प्रदोष व्रत वर्ष 2021:- जाने शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि  

प्रदोष व्रत वर्ष 2021:- जाने शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि

 

  • प्रदोष शुभ मुहूर्त वर्ष 2021:-

त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ – 26 जनवरी रात 00:24 पर।

त्रयोदशी तिथि की समाप्ति – 27 जनवरी रात 01:11 पर।

पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम को 05:56 से रात 08:35 तक।

 

  • 26 जनवरी का पंचांग:-

भौम प्रदोष के दिन चन्द्रमा – मिथुन राशि में प्रकट होगा। 26 जनवरी यानि प्रदोष व्रत के दिवस वैधृति योग का निर्माण होगा।

इस दिन अभिजीत मुहूर्त – दोपहर को 12:12 से 12:55 तक होगा।

राहुकाल – दोपहर को 03:14 से 04:34 तक होगा।

 

  • प्रदोष व्रत कथा:-

एक गांव में तीन मित्र रहते थे। एक का नाम ब्राह्मण कुमार था, दूसरे का राजकुमार और तीसरे का धनिक पुत्र। ब्राह्मण कुमार और राजकुमार दोनों का विवाह हो रखा था और धनिक पुत्र का केवल विवाह ही हुआ था परंतु गौना होना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों के विषय में चर्चा कर रहे थे। तभी ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की तारीफ करते हुए कहा की जिस घर में स्त्रियां नहीं होती है वहां भूतों का निवास होता है। ऐसा सुनते ही धनिक पुत्र तुरंत उठा और घर को गया। उसने फैसला कर लिया था की अब वह अपनी पत्नी को घर ले कर ही आएगा। धनिक पुत्र के माता – पिता ने कहा की यह समय सही नहीं है क्यूंकि शुक्र देवता डूबे हुए है और ऐसे में  बहु को घर से विदा कर ससुराल लाना अशुभ मन जाता है। धनिक पुत्र ने अपने माता और पिता की एक भी बात नहीं सुनी और धनिक पुत्र अपने ससुराल पहुँच गया। धनिक पुत्र जब ससुराल में अपनी पत्नी को ले जाने की बात करता है तो धनिक पुत्र के ससुराल वालों ने भी यह समय अनुचित बताया परंतु उसने ससुराल वालों की भी एक ना सुनी और कन्या की विदाई करनी पड़ी। दोनों अब अपने घर के लिए निकल गए, निकलने के कुछ समय बाद ही बैल गाड़ी का पहिया खुल गया और बैल टांग भी टूट गई। साथ ही साथ दोनों को चोट भी लगी। इसके बाद भी वह रुके नहीं। तभी कुछ समय बाद उन्हें कुछ डांकू लूट लेते है और वह लोग घर खाली हाथ पहुँचते है। धनिक पुत्र जैसे ही घर पहुँचता है वैसे ही उसे एक साप काट लेता है। धनिक पुत्र  के लिए उसके पिता एक वैद्य को बुलातें है जो बताते है की धनिक पुत्र 3 से ज़्यादा जीवित नहीं रह पाएगा। यह सब सुन वह पर ब्राह्मण कुमार और राजुमार आए। ब्राह्मण कुमार ने धनिक के माता – पिता से कहा के आप धनिक पुत्र को बचाने के लिए शुक्र प्रदोष का व्रत रखिये और धनिक कुमार को उसकी कन्या सहित उसके ससुराल भेज दो, सब ने ठीक ऐसा ही किया और धनिक पुत्र और उसकी पत्नी ससुराल चले गए और उसके माता फीता ने शुक्र प्रदोष का व्रत रखा। इन सब के बाद धनिक कुमार ठीक हो गया और धन की समस्या भी ठीक हो गई।

 

  • प्रदोष व्रत का महत्व:-

मान्यतानुसार प्रदोष व्रत रखने से और साथ ही साथ भगवान शिव की पूजा करने से कष्ठ दूर होते है। व्रत और पूजा करने से ग्रहों की अशुभता भी दूर हो जाती है।

 

  • प्रदोष व्रत पूजा कथा:-

प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ़ कपड़े पहन लें। अब पूजा घर या पूजा स्थल को साफ़ करें और फिर गंगाजल से जगह को पवित्र कर लें। अब एक चौकी लें और उस चौकी पर सफेस कपड़ा बिछा लें और उसके चारों और कलावे से बाँध दें। अब उस चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति को विराजित करें। अब शिवजी के चरणों में गंगाजल अर्पित करें और फिर फूल माला भी चढ़ाएं। अब शिवजी की मूर्ति को चंदन लगाएं।

इस दिन शिवलिंग का अभिषेक जरूर करें और फिर भांग और धतूरा भी चढ़ाएं। शिवजी के सामने अगरबत्ती, धुप या फिर दीपक जरूर जलाएं। अब शिवजी की आरती करें और फिर उन्हें भोग लगाएं।