बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध 

 

आज के इस लेख में हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध ( Essay on beti bachao beti padhao in hindi ) आप अपने स्कूल या फिर college प्रोजेट  के लिए इस्तेमाल कर सकते है।आपको हमरे इस website  पर और भी कहीं विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे पढ़ सकते है।

प्रस्तावना

बेटी, मां, बहन और पत्नी ये सभी एक महिला के ही रूप है, हर रूप में वो सम्माननीय है, प्रेम और आदर के योग्य है।  संसार में जीवन इनकी ही वजह से संभव है और girl व boys के सामान अधिकार है।  परन्तु आज भी शायद बहुत से लोग इस बात को समझ नहीं पाए है इसलिए वे बेटी और बेटो में भेदभाव करते है।  बेटियों को हीन समझने है और उनके अधिकारों से वंचित रखते है।

हमारे पुरषा प्रधान भारत देश में बालिकाओ की दशा अच्छी नहीं है।  कई लोग घर  में बेटी का जन्म होना अच्छा नहीं मानते और कई बार तो उन्हें जन्म लेने से पहले ही उन की हत्या कर दी जाती है।  ऐसे लोगो का मन है की बेटिया बोझ  होती है और बेटे कमाई का साधन।  ये सिर्फ इंसानो की दकयानूसी बाते ही है, वरना आज के इस युग में महिला किसी भी क्षेत्र में परषो से कम नहीं है।  कल्पना चावला , किरण बेदी , सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी अपना नाम किया है।

आज महिला घरो में बंद अबला नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली वक्तित्व की बन चुकी है।  खेल , चिहित्स , व्यपार , राजनीती , फिल्म , वकालत जैसे सरे क्षेत्रों में महिलाओ ने अपना बेहतरीन प्र्दशन कर के अपने शक्ति को फेहलाया है।  फर भी कुछ तुच्छ मानसिकता वाले लोग बेटियों को अच्छी शिक्षा नहीं देते और घर के काम काज में लगा देते है।  जिसकी वजह से बेटियों का भविष्य अंधकार में चला जाता है।

बेटियों को अपनी बात या रये रखने का कोई अधिक नहीं मिलता।  उनको हर वास्तु से वंचित रखा जाता है।  कुछ घरो में बेटियों की साथ किसे वास्तु जैसा व्यवाहर किया जाता है और साथ ही बेटियों को प्यार तो क्या माता का सनेह भी नहीं  मिलता।  दिश के  कई राज्यों में लिंगानुपात अत्यधिक गिर गया है और बेटियों की सख्या दिल प्रतिदिल कम होती जा रही है।  इसे देखते हुए सरकार ने एक योजना का शुभारंभ किया ताकि देश की बेटियों की इस्थिति में सुधर किया जा सके।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ  की अभियान  शुभारभ : –

बेटी बचाओ बाटी पढ़ाओ योजना का अर्थ है कन्या शिशु को बचाइए और इन्हे शिक्षित करे।  हमारे देश  प्रधानमत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को बालिका दीवार के मोके पर इस योजना की शुरुवात की थी।  जिससे समाज में बेटियों को उनके अधिकार मिल सके।  इस योजना के लिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए का बजट तय किया था।  इस योजना की शुरुवात के समय नरेंद्र जी ने कहा था ” हम भारतीयों को घरो में कन्या की जन्म को एक उत्सव की तरह  मानना चाहिए।  हमें बच्चियों पर गर्व करना चाहिए। ”

भारत में 2001 की जंगरना में 0 -6 वर्ष के बच्चो का लिंग अनुपात का सक्खय 1000 लडको के अनुपात में लड़कियो  की सक्खया 927 थी।  जो कि 2010 की जनगण में घटकर 1000 लड़को के अनुपात में 918 लड़किया हो गई।  यह एक चिंता का विषय है इसलिए सरकार को ये योजना शुरू करने की अवश्यकता महासुर हुई।

बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ अभियान के उदेश्य : –

इस अभियान का मुख्य उदेश्य की सुरक्षा और कन्या भ्रूण हत्या  को रोकना है।  इसके आलावा बालिकाओ की शिक्षा को बढ़ावा देना और उनके भविष्य को सवर्ण भी इसका उदेश्य है।  साकार ने लिंग अनुपात में समानता लेन के लिए ये योजना  शुरू की।

बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ अभियान के कार्य : –

हर थोड़े दिनों बाद हमें कन्या भ्रूण हत्या, दाहिज प्रथा , महिलाओ पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार जैसा अपराधों की खबर देने और सुनने को मिली है।  जिसके लिए भारत देश की सरकार इन बालिकाओ को बचने और उनके अच्छे भविष्य के लिए हर संभव कोशिश क्र रही है और अलग अलग योजना चला रही है।

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