ऋषि पंचमी व्रत कथा सुनने से कई जन्मों के पाप होंगे तुरंत नष्ट आयेगी सुख शांति समृद्धि बनेंगे धनवान

ऋषि पंचमी व्रत कथा सुनने से कई जन्मों के पाप होंगे तुरंत नष्ट आयेगी सुख शांति समृद्धि बनेंगे धनवान

ऋषि पंचमी का दिन एक शुभ त्योहार माना गया है। भाद्रपद शुक्ल पंचमी को सप्त ऋषि पूजन व्रत का विधान है। यह दिन हमारे पौरा‍णिक ऋषि-मुनि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, और भारद्वाज इन सात ऋषियों के पूजन के लिए खास माना गया है।प्रतिवर्ष ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष यह पर्व शनिवार, 11 सितंबर 2021 को मनाया जा रहा है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन चारों वर्ण की स्त्रियों को यह व्रत करना चाहिए। सभी महिलाओं तथा पुरुषों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों के पक्षालन के लिए बहुत महत्व का माना गया है।

इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यतानुसार यह ऋषि पंचमी का उपवास रखने से व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है और जीवन में हुए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

इस दिन प्रातः नदी आदि पर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। तत्पश्चात घर में ही किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी को शुद्ध करके हल्दी से चौकोर मंडल (चौक पूरें) बनाएं। फिर उस पर सप्त ऋषियों की स्थापना करें।इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तर्षियों का पूजन करें। तत्पश्चात निम्न मंत्र से अर्घ्य दें-कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः।जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः॥अब व्रत कथा सुनकर आरती कर प्रसाद वितरित करें,तदुपरांत अकृष्ट (बिना बोई हुई) पृथ्वी में पैदा हुए शाकादि का आहार लें।इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत करके आठवें वर्ष में सप्त ऋषियों की सोने की सात मूर्तियां बनवाएं।तत्पश्चात कलश स्थापन करके यथाविधि पूजन करें।अंत में सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्मण को भोजन करा कर उनका विसर्जन करें।व्रत कथा-उत्तरा नाम का एक ब्राह्मण था जो सुशीला नाम की अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनकी बेटी विधवा हो गयी थी इस कारण उनके साथ ही रहती थी। एक रात को बेटी के सम्पूर्ण शरीर को चींटियां लग गईं। माता-पिता चिंता मे डूब गए । उन्होंने एक ऋषि को इस बारे में बताया। तब ऋषि ने बताया कि उनकी बेटी ने पूर्व जन्म में रजस्वला काल मे पाप किया था। जिसका दंड उसे अब उसके शरीर पर चीटियां लग कर मिल रहा है। ऋषि ने पापों की मुक्ति के लिए उस ब्राह्मण कन्या को ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी। ब्राह्मण कन्या के व्रत करने से उसके सारे कष्ट दूर हो गए सभी पापों से मुक्ति मिल गयी और अगले जन्म में सौभाग्य की प्राप्ति हुई।ऋषि पंचमी पूजा मंत्र-कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम।

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।