बकरी के दूध से डेंगू का इलाज :-

बकरी के दूध से डेंगू का इलाज :-

 देश भर में आज के समय डेंगू और मौत का जो है।  और अस्पतालों में मरीजों के संख्या बरती जा रही है।  ऐसे सीजन में आयुर्वेद  से इलाज कारगर साबित हुआ है।  मौजूदा सिजान में जिस तरह मरीजों के लिए खतरा बरता जारहा है उसे देखते हुए आयुर्वेद चिकत्सा अदिकारी ने कई आयुर्वेद नुस्के बताए है उन्हने बताया है की कैसे आयुर्वेद में इलाज होते है।  ये इलाज हेलो पेथी से कारगर है कुछ इलाज तो घर पर ही हो सकते है।  भूकर का इलाज तो घर पर ही कर सकते है।  मगर कुछ को आवश्यक जांच के बाद ही इलाज किया जा सकता है।  

किलोए – आयुर्वेद में किलोए का बहुत ही महत्व है।  आयुर्वेद में किलोए को अमृत या अमृत के सामान मन गया है।  किलोए मेटाबोलिक रेट को बढ़ने के साथ ही प्रतिरक्षक प्रणाली को मजबूत रखते है और बॉडी में एनर्जी बचने में भी काम करता है।

तुलसी – रामबाण है तुलसी के पत्ते तुलसी को सरवोनाथ बताया गया है।  तुलसी के पत्ते को गर्म पानी में उबाल कर छान कर रोगी को पिलाने को दे।  तुलसी के इस चाय से डेजू रोजी को बहुत आराम पहुँचता है।  यह छाए दिन में दो से तीन बार दी जा सकती है।  डेंगू के भुखार में सबसे असर दर दवा मानी अति है पपीता।  पपीता का रास रोगी को दिन में दो बार दी जाती  है यो रोगी को देखकर दिया जाता है।  पपीते के पते में मौजूद पपेनेंजाइम रागी के पाचन शक्ति को मजबूत बनता है।  डेंगू के उपचार के लिए पपीते से पत्ते का रास निकलकर रोजे को पिलाने से रोगी के पेटलेट की मात्रा बरती है.

बकरी का दूध – बकरी का दूध डेंगू के भुखार को काम करने के लिए एक और प्रभाव शैली दवा है।  बकरी का दूध बहुत काम हुए पेटलेट को भी तुरंत बढ़ाने की क्षमता रखता है।  यह दूध दिन में दो बार लिया जा सकता है।  डेंगू रोगो को दिन भर में पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए।  डेंगू रोगी दिन में पानी काम पिने लगे और पश्चाप काम जाने लगे तो यह समस्या गभीर हो सकती है।  

कहाड़ा कैसे बनाए – 

दो गिलोए , 10 से 15 पत्ते तुलसी के, एक छोटी अदरक की गाठ इन सब को एक साथ कूट कर दो मीन पानी में उबालना है।  पानी को उबलते समय इस बात का धियान रहे पानी तब तक उबालना है अब तक पानी आधा न हो ऐ।  पानी आधा हो जाने पर गुनगुना रोगी को पिलाना है।  रोगी को यह कहाड़ा दिन में तीन बार पिलाना है।  

क्या नहीं खाना चाहिए – 

रोगी को ज्यादा मसाले दार खाना न खाने दे , रोजी को हलके मसाले या खिचड़ी जैसा ही भोजन दे।