महिलाओं के 16 श्रंगार की लिस्ट
अनिरुद्ध जोशी
किसी पर्व विवाह मंगल कार्य शुभ मागंलिक अवसरों पर अक्सर महिलाए 16 श्रंगार करती है करवा चौथ हरियाली तीज पर भी महिलाए सजती और सावरन्टी है सौभग्य के लिए किए यह श्रंगार किया जाता है संजने-सवरने है के लिए महिलाए कई तरह केसौंदर्य प्रसाधनो का उपयोग करती है आओ जानते है की 16 श्रंगार में क्या क्या किया जाता है।
* बिंदी: सुहागिन महिलाओ दवरा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है यह गुरु के बल को बढ़ती है।
* सिंदुर: सिंदुर से मांग भरी जाती है ऐसा माना जाता है की इससे पति की आयु वृद्धि होती है।
* काजल: काजल से आँखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है।
* मेहंदी: मेहंदी से हाथो की सुंदरता बढ़ती है मेहंदी लगाना शुभ होता है कहते है की इससे पति का प्यार मिलता है।
* चूड़िया: चूड़िया सुहाग का प्रतीक है लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
* मंगल सूत्र: मंगल सूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसके काले मोती बुरी नजर से बचते है इसके आलावा गले में नौलखा हार या कहें की स्वर्णमाला भी पहनते है।
* नथ: इसे नथनी भी कहते है नाक में चांदी का तार या लौंग पहना जरुरी होता है इससे जहां सुंदरता बढ़ती है वह बूंध का दोष भी दूर होता है।
* गजरा: इसे वेणी या चूड़ा मणि भी कहते है ययह बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए लगाया जाता है।
* मांग टीका: यह माथे के बीचोंबीच पहना जाता है यह विवाह के बाद शालीनता और सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक है।
* झुमके: इसे कुंडल और बाली भी कहते है कानों में स्वर्ण बाली या झुमके पनहने से राहु और केतु का दोष दूर होता है यह इस बात का भी प्रतीक है की ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना।
* बाजूबंद: यह सोने या चांदी का सुन्दर सा कड़े की आकृति का जेवर रहता है जो बाजु में पहना जाता है इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है।
* कमरबंद: इससे तगड़ी भी कहते है यह कमर में पहना जाता है यह इस बात का प्रतिका है की सुहागिन आप अपने घर की मालकिन है यह सदी को संभालकर भी रखता है।
* बिछिया: इसे बिछुआ भी कहते है यह पैरो के अंगुली में पहनी जाती है यह सूर्य और शनि के दोष दूर करती है और यह इस बात का प्रतीक भी है की सुहागिन अब हर समस्याओ का साहस के साथ सामना करेगी।
* पायल: इसे पाजेप भी कहते है पायल और बिछिया दोनों ही चांदी ही चांदी की ही पहनते है।
* अंगूठी: विवाह के पूर्व यह मांगनी के दौरान पति अपनी पत्नी को पहनता है।
* स्नना: शृंगारो का प्रथम चरण है स्नान कोई भी और शृंगार करने से पूर्व स्नान करते है स्नान में शिकाकाई भृगराज आवला उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलते है तब वस्त्र धरण करते है दुल्हन है तो लाल रंग का लहंगा पहनती है जिसमे हरे और पिले रंग का उपयोग भी होता है।
इसके आलावा आजकल नेलपेंट और लिपस्टिक का भी प्रचलन हो चला है हालंकि पौराणिक समय में और भी कई तरह के 16 श्रंगार होते थे जिसमे अधरों और नख का रंगना ताबुल आदि कई और भी श्रंगार की साम्रगी शामिल थी।