राजस्थान के लोकनृत्य

राजस्थान के लोकनृत्य

 

28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों से मिल कर बना देश भारत है। हर राज्य की अपनी संस्कृति है। संस्कृति में लोकनृत्य का भी एक अलग ही मुकाम है और लोकनृत्य का एक विशेष महत्व है। तो आज हम देश के एक राज्य राजस्थान के लोकनृत्य पर बताने जा रहे है। तो चलिए जानते है, राजस्थान के सभी लोकनृत्यों के बारे में।

 

  1. तेरहताली नृत्य:-

रामदेव मेले में कामड़ जाती की विवाहित महिलाओं द्वारा पेश किया गया नृत्य तेरहताली नृत्य होता है। यह नृत्य लोकनृत्य के साथ धार्मिक नृत्य भी है। इस लोकनृत्य में 13 मंजीरों की सहायता से यह नृत्य किया जाता है। यह नृत्य बैठे – बैठे किया जाता है।

 

  1. कत्थक शास्त्रीय नृत्य:-

कत्थक शास्त्रीय नृत्य जयपुर के राजकीय घराने से निकला। कत्थक में 100 से भी अधिक घुंघरुओं को पैर में बाँध कर नाचा जाता है।

 

  1. भवाई नृत्य:-

भवाई नृत्य मेवाड़ की भवाई जाती का लोकनृत्य है। भवाई में एक महिला सर के ऊपर 7 या उससे अधिक मटके रख कर नृत्य करती है।

 

  1. कच्छी घोड़ी नृत्य:-

यह नृत्य पुरुषों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य को करने के लिए बांस से बानी नकली घोड़ी को पूरी तरह सजा कर और फिर उसे पहन कर किया जाता है। यह राजस्थान का बहुत ही महत्वपूर्ण और आकर्षक नृत्य है।