श्रीकृष्ण का ससुराल , जहां जन्माष्टमी पर होती है मथुरा – वृंदावन जैसी धूम !
श्रीकृष्ण का ससुराल कुदरकोट को कहा जाता है। कुदरकोट को पहले कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था। भगवान कृष्ण द्वारा देवी रुक्मणी का हरण होने के बाद उनके भाई ने यहां हाथियों से लोगों को कुचल डाला था। इस घटना के बाद इसका नाम कुदरकोट पड़ गया। जन्माष्टमी का नाम सुनते ही हर इस व्यक्ति के मन के साथ साथ दिमाग में भी भगवन श्रीकृष्ण का ससुराल घूमने लगता है। कुदरकोट को श्रीकृष्ण का ससुराल मन जाता है। भगवान कृष्ण द्वारा देवी रुक्मणी का हरण होने के बाद उनके भाई ने यहां हाथियों से लोगों को कुचल डाला था। इस घटना के बाद इसका नाम कुदरकोट पड़ गया। लोगों का कहना है कि यहां बने मंदिर की एक खास और अलग पहचान है।
क्यों कृष्ण को करना पड़ा देवी रुक्मिणी का हरण?
श्रीकृष्ण के जन्मोत्स्व पर जहां मथुरा और वृंदावन में धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है। वही, कृष्ण का ससुराल भी इस दिन पीछे नहीं रहता है। कुदरकोट में भी यह पर्व पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अपने प्रिय दामाद का जन्मदिन मनाने की वजह से इस जगह को खास पहचान मिली हुई है।
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले का कुदरकोट कस्बा कृष्ण की ससुराल के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, औरैया का कुदरकोट कस्बा द्वापर युग के समय कुन्दनपुर नाम से जाना जाता था। कुंदनपुर देवी रुक्मणि के पिता राजा भीष्मक की राजधानी हुआ करती थी और रुक्मणी यहां माता गौरी की पूजा करने प्रतिदिन एक मंदिर आती थीं।
पिता भीष्मक द्वारा श्रीकृष्ण से विवाह की बात देवी रुक्मणी के भाई रुकुम को बर्दाश्त नहीं हुई। उसने अपने साले शिशुपाल से देवी रुक्मणी की शादी तय कर दी। देवी रुक्मणी जो की श्रीकृष्ण को बहुत प्यारी थीं. रुक्मणी जब पूजा करने इस मंदिर में आईं तो श्रीकृष्ण ने उनका हरण कर लिया. उसी समय माता गौरी भी इस मंदिर को आलोपा देवी मदिर के नाम से जाना जाता है और कुदरकोट भगवन कृष्ण की ससुराल के नाम से प्रशिद्ध हो गया।
यहां के लोग भगवन कृष्ण की भक्ति में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मानते। पास में ही स्थित भगवन शंकर का भी मदिर है जो भयंकर नाथ के नाम से जाना जाता है। भयानक नाथ के रूप में भगवन शिव का प्राचीन मंदिर भी अपनी अलग छटा बिखेर रहा है। 15 अगस्त, 2018 को तीन साधुओं की हत्या के बाद कुदरकोट काफी चर्चा में रहा था.