श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत शुरू करने से पहले यह लेख जरूर देखे वरना पछतावा होगा।
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। आज से ठीक 5248 वर्ष पहले भगवान कृष्ण कन्हैया का अवतार द्वापर युग में हुआ था वर्तमान समय में कलयुग चल रहा है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में हुआ था। इस बार जन्माष्टमी जिसे गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है वह 30 अगस्त 2021 सोमवार को मनाया जाएगा। जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं उनको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है जितने भी जीवन की इच्छाएं होती हैं वह सभी पूरे हो जाते हैं।
तिथि
इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 29 अगस्त 2021 रविवार की रात्रि 11:25 से आरंभ हो जाएगी और जो सूर्य उदय व्याप्ती रहेगी 30 अगस्त 2021 सोमवार।
अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी रविवार 11: 25 से 30 और 31 के मध्य रात्रि 1:59 तक रहेगी। 30 अगस्त को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी रात को भी 1:00 बजे तक अष्टमी तिथि मुंतहा रहेगी।
जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं वह 30 अगस्त 2021 सोमवार को ही रखना होगा उसी दिन शुभ मुहूर्त बन रहा है।
जो भी व्यक्ति व्रत रखना चाहते हैं उनको 1 दिन पहले से ही कुछ नियमों का पालन करना होता है। जिस प्रकार आप एकादशी का व्रत करते हैं , उसी प्रकार जन्माष्टमी का व्रत का नियम 1 दिन पहले से ही प्रारंभ हो जाते हैं। जो जन्माष्टमी से अगले दिन नवमी तक पारणा करने होंगे। जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं उनको नवमी तिथि यानी 31 अगस्त 2021 को पारणा करना है। पारणा तिथि रहेगी 9 :46 से लेकर के दोपहर 11: 46 के बीच ही होना चाइये।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी दिनांक 30 अगस्त 2021सोमवार को ही मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा ।जन्माष्टमी के दिन नंदगोपाल को खुश करने के लिए पूजा में शामिल करें ये 10 चीज
जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए देश भर में तैयारियां शुरू हो चुकी है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए इस बार विशेष सावधानी बरती जा रही है। इस बार लोग जन्माष्टमी का पर्व घर पर ही श्रद्धाभाव से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए प्रयास भी आरंभ हो गए है। जन्माष्टमी के पर्व पर घरों में झांकी सजाने की भी परंपरा है। इस साल ये पर्व 30 अगस्त,सोमवार को मनाया जएगा। हिंदू पंचांग की मानें तो भगवान कृष्ण को समर्पित ये पावन त्योहार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के श्रृंगार के लिए इत्र, बाल गोपाल के नए पीले वस्त्र, सुंदर बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माता, सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए चूड़ियां और पैरों के लिए पैजनिया पहले ही एकत्रित करके पूजा स्थान पर रख लें। इसके साथ ही पूजा सामग्री के लिए कुछ फल, सब्जी, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, बाल कृष्ण की मूर्ति, एक सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, दही, शहद, दूध, दीपक, गाय का देसी घी, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी के पत्ते, माखन, मिश्री और अन्य भोग सामग्री का होना भी आवश्यक होता है। दक्षिणावर्ती शंख से करें बालगोपाल का अभिषेक इस माह में रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में बालगोपाल की पूजा करें। श्रीगणेश की पूजा के बाद बालगोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। इसके लिए दूध में केसर मिलाएं और बाल गोपाल को अर्पित करें। इसके बाद जल से स्नान कराएं। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। भगवान को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। ध्यान रखें भोग में तुलसी जरूर रखें।