श्री महालक्ष्मी व्रत कथा सुनने मात्र से छप्परफाड़ बरसेगी धन दौलत व् घर में आयेगी अपार खुशियाँ
भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से श्री महालक्ष्मी व्रत शुरू होता हैयह सलाह दिनों तक चलता है और इस व्रत में माँ लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है शस्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाए पूरी हो जाती है इस व्रत में अन्य ग्रहण नहीं किया जाता है इस व्रत को काफी शुभ मन जाता है कहते है विधि-विधान से पूजा करने से सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है मान्यता है की जिस घर की महिलाए इस व्रत को रखती है इस घर में पारिवारिक शनती हमेशा बनी रहती है।
जानिए महालक्ष्मी व्रत कथा
एक गांव में एक गरीब ब्रह्मण रहता था वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का आराधना करता था एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा तब ब्रह्मण ने उसके घर माँ लक्ष्मी का निवासी होने की इच्छा जाहिर की तब भगवन विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया भगवान विष्णु ने कहा की मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहाँ आकर उपले थापती है तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना वह माँ लक्ष्मी है भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा जब माँ लक्ष्मी सव्य तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धन्य से भर जाएगा यह कहकर भगवान विष्णु अंतध्यान हो गए अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया लक्ष्मी माँ उपले थापने के लिए आई तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गई की यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा की मै तुम्हारे साथ चलूँगी लेकिन तुम्हे पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा 16 दिन तक व्रत करने और 16 वे दिन चन्द्रमा को अधर्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी ब्राह्मण ने माँ लक्ष्मी के कहे अनुसार वृथ किया और माँ लक्ष्मी को उत्तर दिशा की लक्ष्मी के अनुसार व्रत किया और माँ लक्ष्मी को उत्तर दिशा की और मुख करके पुकारा इसके बाद माँ लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया मन जाता है की तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी।