OM Jaijagdish ji Aarti :- ॐ जय जगदीश हरे: विष्णु भगवान की आरती
ॐ जय जगदीश हरे :- भगवान विष्णु की आरती हर गुरुवार और एकादशी के व्रत में की जाती है। और जहाँ पर राधा कृष्ण का मंदिर होता है। वहाँ पर सुबह -शाम दोनों समय ही विष्णु भगवान की आरती होती है। क्योकि भगवान विष्णु तो सृष्टि के पालनहार है। और मोक्ष के दाता भी। भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा -अर्चना करने से जन्म -जन्मांतर के पाप धुल (उत्तर )जाते है। भगवान की आरती सुनने से ही मनुष्य के मन को बहुत सुकुन महसूस होता है।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे ,
भक्तजनो के संकट श्रण में दूर करे।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावै दुःख बिनसे मन का।
सुख-सम्पति घर आवै कष्ट मिटे तन का।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
मात-पिता तुम मेरे शरण गेहू में किसकी ,
तुम बिनु और न दूजा आस करू जिसकी।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम पुराण परमात्मा तुम अंतरयामी।
पारब्रहा परमेश्वर तुम सबके स्वामी।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर तुम पालंनकर्ता।
में मुर्ख खल कमी कृपा करो भर्ता।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति।
किस विधि मिलु दयामय तुमको में कुमति।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
दीनबन्धु दुखहर्ता तुम ठकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा।
श्रदा-भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तन-मन धन और सम्पति सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अपर्ण क्या लगे मेरा।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
जगदीश्ररजी की आरती जो कोई न्र गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे।।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।