सावन माह की कामिका एकादशी का व्रत, पूजा एवं पारणा कब, कैसे करें, कामिका एकादशी व्रत कथा 

सावन माह की कामिका एकादशी का व्रत, पूजा एवं पारणा कब, कैसे करें, कामिका एकादशी व्रत कथा

आज हम आपको सावन मह से किष्ण पक्ष में जो कामिका एकादशी आ रही है, उस बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे है। इस दिन आपको किन बातो का धियान रखना चाहिए , पूजा कब करना चाहिए , व्रत कैसे रखना चाहिए , पूजा विधि क्या होगी , कैसे पारणा करना चाहिए ये सभी जानकारी आपको इस लेख में आपको देने जा रहे है।

पुरे वर्ष में 24 एकादशी अति है , लेकिन जिस मास अधिक मार आता है उस मास 26 एकादशी होती है। पुरे महा में दो बार एकादशी अति है कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में। दोनों ही एकादशी का अपने आप में अलग अलग महत्व होता है। हमारे धर्म गर्थो में लिखा हुआ है की एकादशी का जो व्रत होता है वह सबसे बड़ा व्रत होता है। इस व्रत को करने से जन्म जन्मांतर के सभी पापा नष्ट हो जाते है।

सावन माह में पड़ने वाली पहली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष कामिका एकादशी का जो व्रत है वो 4 अगस्त 2021 बुधवार के दिन रखा जाएगा। कामिका एकादशी के दिन भगवन विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। कामिका एकादशी के दिन विशेष रूप से तुलसी के पत्तो का प्रयोग करना चाहिए। इस दिन व्रत रखने से , विधि विधान से पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामना पूरी होती है।

तिथि का प्रारंभ – 3 अगस्त 2021 मगलवार को दोपहर 12 बजे एकादशी प्रारम्भ हो जाएगी।
तिथि का समापन – 4 अगस्त 2021 बुधवार को दोपहर 03 : 17 min पर होगा।
पर्ण का समय – 5 अगस्त 2021 5 बजकर 35 min से ले कर के 8 बजकर 26 min के बिच।

सभी भक्त जानो को 4 अगस्त 2021 को ही व्रत रखना है। इस दिन व्रत करखने से ही फल की प्राप्ति होगी। यानि व्रत को सही समय , सही मुहर्त पर ही करना चाहिए।

अगर आप एकदशी का व्रत करते है तो आपको दशमी तिथि से द्वादशी तक कुछ नियमो का पालन करना चाहिए। जो भी कामिका एकादशी का व्रत करते है उन्हें दशमी के दिन एक समय ही भोजन करना चाहिए, और सहद का सेवन बिलकुल नहीं करना किये। एकादशी के दिन आपको जल्दी उठना होगा , जल्दी उठ कर आपको नाहा लेना है नहाने के बाद आपको साफ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए।

उसके बाद आप अपने भगवन की पूजा अर्चना करना चाहिए , पूजा करने के बाद आप भगवन सूर्य देव को जल अर्पित करे। साथ ही तुलसी जी को जल चड़ा कर उसी पूजा करे। फर आपको भगवन के सामने हतो में जल ले करके व्रत करने का संकल्प करे। और याद रखे की पूजा का संकल्प लेते समय तुलसी के पत्ते का होना जरुरी है। एकादशी के दिन तुलसी जी को तोड़ना अशुभ माना जाता है इस लिए तुलसी जी को एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए।

एकादशी के दिन चावल का सेवन बिल्कु भी नहीं करना चाहिए , जो भक्त एकादशी का व्रत नहीं करते उनको भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। और साथ ही लहसुन पियाज का सेवन भी नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन आपको फलहर ही करना चाहिए , फलहर के रूप में आप गाय के दूध से बानी चीजे भी खा रखते है।

अब इस एकादशी की व्रत कथा :-

एक समय की बात है अर्जुन से भगवन कृष्ण को प्रणाम किया और बोले हे प्रभु आप मुझे सावन महा की पहेली एकादशी की व्रत कथा सुनाने की कृपा करे। अर्जुन ने भगवन कृष्ण से अनुरोध किया की हे प्रभुः इस एकादशी का नाम क्या है, इस व्रत को करने कोई विधि क्या है, इसमें कोण से भगवन का पूजा किया जाता है ,और के व्रत को करने से कोण से फलो की प्राप्ति होती है।
भगवन कृष्ण ने कहा की हे अर्जुन सावन महा की कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा में तुमको सुनाने जा रहा हु। एक कथा को तुम दिन पूर्वक सुनना। सावन माह की एकादशी का नाम कामिका एकादशी है इस एकादशी कथा सुनने मात्र से ही उसके फलो की सख्या बार जाती है। इस एकादशी के दिन भगवन विष्णु जी का पूजन होता है। जो भक्त इस दिन भगवन विष्णु जी की पुरे विधि विधान से पुजा अर्चना करते है उनको गंगा स्नान के बराबर फाल प्राप्त होता है। कामिका एकादशी का व्रत को करने से सबसे बारे फाल प्राप्त होता है। और साथ ही इस एकादशी का अगर कोई व्रत रख लेता है , उसे सभी पूजा से पुण्य फलो की प्राप्ति हो जाती है। जो व्यक्ति व्रत विधि विधान से करता है उसके जन्म जनमात्र के सभी पाप धूल जाते है। इस को करने से व्यक्ति को कभी यमराज के दर्शन नहीं होते , और उसको नर्क का कास्ट नहीं बोगना परता है। जो व्यक्ति एक दिन भगवन विष्णु के पूजा के समय तुलसी पत्तर का प्रयोग करते है उसे महा फल प्राप्त होता है। भगवन विष्णु जी सोने चाँदी या जेवर से नहीं बल्कि तुलसी पत्तर से ज्यादा पर्सन होते है। तुलसी जी को जल से स्नान करने से पुणे फलो का फल प्राप्त होता है। जो व्यक्ति कामिका एकादशी की रात्रि को रात जागरण करते है उन्हें भी पुण्य फलो की प्राप्ति होती है। इस प्रकार कामिका एक देशी को महन्तं एकादशियो में से एक मन गया है।
इस एक देशी की पौराणिक कथा अति है वो इस प्रकार है :-
एक गाओ में वैद क्षत्रिय वास करता था। एक दिन किसी कारण वर्श एक ब्राह्मण से लड़ाई हो गई , हातपाई हो गई। और अनजाने से ब्राह्मण का वृद हो गया। ब्राह्मण की हत्या उसके हातो हो गई। उस मनुष्य के हातो ब्राह्मण का क्रिया होना चाहिए था मगर बाकि ब्राह्मणो ने क्रिया में शामिल होने से माना कर दिया। ब्राह्मणो ने बताया की तुमने ब्राह्मण की हत्या की है उसका वाद किया है। तुम भर्म हत्या के दोषी हो गए हो। पहले तुम प्रय्च्चित करके इस पाप से मुक्त हो जाओ तब हम तुम्हारे घर का पूजन करेंगे। उस व्यक्ति ने पूछा इस पाप से मुक्त होने का कोई तो उपाए होगा। अगर है तो आप मुझे बताइये , तब ब्राहम्णो ने बरताया की सावन मार की एकादशी का तुम पुरे विधि विधान से पूजा करो और भक्ति भाव से भगवन विष्णु जी का पूजन करके , ब्राह्मणो को दक्षिणा दे कर के उनको प्रणाम करना। उनका आशीर्वाद प्राप्त करना। जिससे तुम्हारे सभी पापो का नष्ट हो जाएगा। जैसा ब्राह्मण ने बताया वैसे ही उस व्यक्ति ने भगवन विष्णु की पूजा की और साथ में व्रत भी रखा। तब उसको विष्णु जी ने दर्शन दे करके बोले तुम ब्रह्म हत्या के मुक्त हो चुके हो। तुम्हारे ऊपर कैसे भी प्रकार का दोष नहीं है। इस प्रकार उसने भगवन को प्रणाम किया और पूरी जिन्दगी सुख बोगा।
इस प्रकार कामिका एकादशी का व्रत रखने से सभी लोगो का कल्याण होता है।