shree krishna janmashtami 2021 श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है जाने डेट पूजा-विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

shree krishna janmashtami 2021 श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है जाने डेट पूजा-विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

shree krishna janmashtami 2021: हिन्दू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है भगवान श्री कृष्ण के जनमोत्स्व को कृष्ण के जनमोत्स्व को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है धर्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण जन्माष्टमी का उत्स्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है इस दिन श्री कृष्ण बल रूप की लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की जाती है इस दिन व्रत भी रखा जाता है।
आइए जानते है श्री कृष्ण जन्माष्टमी डेट पूजा-विधि महत्व और साम्रगी की पूरी लिस्ट
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है।

* इस साल 30 अगस्त को श्री क्षण जमष्टमी का पवन पर्व मनाया जाएगा।
मुहूर्त

* अष्टमी तिथि प्राम्भ-29 अगस्त दिन रविवार को रात 11 बजकर 25 मिनट से
* अष्टमी तिथि समाप्त-30 अगस्त दिन सोमवार को देर रात 1 बजकर 59 मिंट पर होगा।

पूजा-विधि
* सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत जो जाए
* घर के मंदिर में साफ-सफाई करे।
* घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करे।
* सभी देवी-देवताओ का जलाभिषेक करे।
* इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
* लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।
* इस दिन लड्डू गोपाल को झूलने में बैठाए।
* लड्डू गोपाल को झूला झुलाए।
* अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोगा लगाए इस बात का ध्यान रखे की भगवान को सिर्फ सत्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
* लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करे।
* इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
* रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करे।
* लड्डू गोपाल को मिश्री मेवा का भोगा भी लगाए।
* लड्डू गोपाल की आरती करे।
* इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखे।
* इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करे।

महत्व

* श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है।
* इस दिन विधि-विधान भगवान दसहरी कृष्ण की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाए पूरी हो जाती है।
* इस दिन पूजा-अर्चना करने से निसंतान दपंतियो को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।

रात्रि में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म

* भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना रात्रि में ही की जाती है।

पूजा का सुबह मुहूर्त

* 30 अगस्त को रत 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिंट तक है।

कुल अवधि
*45 मिनट

कृष्ण जन्माष्टमी पारण मुहूर्त

* कृष्ण जन्मास्टमी के व्रत में रात्रि को लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है हालंकि कई लोग व्रत का पारण अगले दिन भी करते है।

रोहणी नक्षत्र के समापन के बाद किया जाता है व्रत पारण
* कई लोग रोहणी नक्षत्र के समापन के बाद भी व्रत का पारण करते है।

व्रत पारण समय
* 31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिंट बाद व्रत का पारण कर सकते है।

रोहणी नक्षत्र प्राम्भ- 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से
रोहणी नक्षत्र समापन-31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिंट पर।