Jivitputrika vrat katha hindi जितिया व्रत चिल्हो-सियारो की कथा

Jivitputrika vrat katha hindi जितिया व्रत चिल्हो-सियारो की कथा

कब है 2021 जितिया व्रत पूजा विधि 2021 date

जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार 29 सितम्बर 2021 को पद रहा है जीवित्पुत्रिका का व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है इस व्रत को शुगना स्त्रियाँ अपनी संतान को कष्टों दुखो से बचाने और लम्बी आयु तथा स्वस्थ जीवन के लिए मनोकामना के लिए करती है इस व्रत को निर्जला कहा जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत में पुरे दिन और रात को पानी भी नहीं पिया जाता है इस अनुष्ठान को तीन दिन तक मनाया जाता है यह जीवित्पुत्र बिहार झारखण्ड और उतर प्रदेश में मनाए जाने वाला एक लोकप्रिय पर्व है वही नेपाल में जीवित्पुत्रिका व्रत जितिया उपवास के रूप में लोकप्रिय है वंश वृदि व् संतान की लम्बी आयु के लिए महिलाए जिउतिया का निर्जला व्रत रखती है इस दिन माताए अपनी सन्तानो की सुरक्षा व् स्वास्थ्य के लिए पुरे दिन तथा पूरी रात 24 घंटे तक निर्जला उपवास करती है ये सबसे कठिन व्रतों में से एक है इसे भी महापर्व छठ की तरह तीन दिन तक किया जाता है पंचांग के अनुसार अश्विन माह की कृष्ण पक्ष सप्तमी से नवमी तक जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है अश्विन मास की अष्टमी को ये निर्जला व्रत होता है उत्स्व तीन दिनों का होता है सप्तमी का दिन नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है बिलकुल छठ की तरह ही जिउतिय में है खाय होता है इस दिन महिलाए सुबह-सुबह उठकर गंगा स्नान करती है और पूजा करती है अगर आपके आस -पास गंगा नहीं है तो आप सामान्य स्नान कर भी पूजा का संकल्प ले सकती है है खाय के दिन सिर्फ एक बार ही भोजन करना होता है इस दिन स्त्वीक भोजन किया जाता है नहाय खाय की रात को छत पर जाकर चारों दिशाओ में कुछ खाना रख दिया जाता है ऐसी मान्यता है की यह भोजन चील व् सियारिन के लिए रखा जाता है इसी दिन जिउतिया पर्व मनाया जाएगा व्रत से एक दिन पहले सप्तमी 9 सितम्बर की रात महिलाए नहाय-खाए करेंगी पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी नोनी का साग कंदा झिमनी आदि का सेवन करेंगी व्रती स्नान भोजन के बाद पितरो की पूजा भी करेंगी नहाय-खाय की सभी प्रक्रिया व्रत के दूसरे दिन को खुर जितिया कहा जाता है इस दिन महिलाए निर्जला व्रत रखती है और अगले दिन पारण तक कुछ भी ग्रहण नहीं करती व्रत तीसरे और आखिरी दिन पारण किया जाता है जितिया में इस दिन नोनी का सैग मड़ुआ की रोटी आदि खाई जाती है जीवित्पुत्रिका व्रत का अंतिम दिन होता है जिउतिया व्रत में कुछ भी कहाया या पिया नहीं जाता इसलिए यह निर्जला व्रत होता है व्रत का पारण अगले दिन प्रात:काल किया जाता है जिसके बाद आप केसा भी भोजन कर सकते है जिउतिया व्रत का पारण करने का शुभ समय 30 को है।