Ganesh Chalisain in Hindi 2022 :-गणेश चालीसा हिंदी में

Ganesh Chalisain Hindi 2022 :- गणेश चालीसा

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन,

कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण,

जय जय गिरिजालाल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू।

मंगल भरण करण शुभः काजू॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।

मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

राजत मणि मुक्तन उर माला।

स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।

गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।

अति शुची पावन मंगलकारी॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।

मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी।

बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।

तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।

पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै।

पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।

बिना गर्भ धारण यहि काला॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।

लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।

देखन भी आये शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।

बालक, देखन चाहत नाहीं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो।

उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई।

का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।

बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।

सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा।

शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।

शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।

काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।

प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।

पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।

तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

चले षडानन, भरमि भुलाई।

रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी।

करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।

जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै।

अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

॥ दोहा ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,

ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो,

मंगल मूर्ती गणेश ॥

श्री गणेश यह चालीसा,

पाठ करै कर ध्यान।

नित नव मंगल गृह बसै,

लहे जगत सन्मान॥

माताजी (नवरत्रि स्पेशल) की सभी आरती का संग्रह

ॐ Jay jagdish ki Aarti 2022 :- विष्णु भगवान की आरती