पापमोचनी एकादशी व्रत कथा सुनने से जन्मों जन्मों के पाप होंगे नष्ट,मिलेगा राजाओं की तरह सुख,वैभव

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा सुनने से जन्मों जन्मों के पाप होंगे नष्ट,मिलेगा राजाओं की तरह सुख,वैभव

चैत्र का मास शुक्ल पक्ष पापमोचनी एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है पंचांग के अनुसार 28 मार्च 2022, सोमवार को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. हर माह में दो एकादशी पड़ती हैं और सभी का महत्व अलग होता है चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार पापमोचनी एकादशी 28 मार्च को है पापमोचनी एकादशी का महत्व (papmochani ekadashi 2022 significanceशास्त्रों की मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाती है ये एकादशी इस बात का भी अहसास कराती है कि जीवन में कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए. हर संभव प्रयास से उन जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए जानें अंजाने यदि गलत हो भी जाए तो इस एकादशी का व्रत उन सभी पापों से छुटकारा दिलाता है. इसीलिए पापमोचनी एकादशी को पापों से मुक्ति पाने वाली एकादशी भी कहा जाता है इस दिन नियमानुसार व्रत रखने से भक्तों को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं पापमोचनी एकादशी कब है।

पाप मोचनी एकादशी व्रत कथा papmochani ekadashi 2022 vrat katha पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चैत्ररथ सुंदर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या में लीन थे एक दिन एक अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजरी. अप्सरा मेधावी को देख मोहित हो गई अप्सरा ने मेधावी को आकर्षित करने के जतन किए  किंतु उसे सफलता नहीं मिली अप्सरा उदास होकर बैठ गई तभी वहां से कामदेव गुजरे कामदेव अप्सरा की मंशा को समझ गए और उसकी मदद की जिस कारण मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए.अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप मिला अप्सरा के इस प्रयास से मेधावी भगवान शिव की तपस्या को भूल गए. कई वर्ष बीत जाने के बाद जब मेधावी को अपनी भूल याद आई तो उन्होने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया मेधावी को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने इस कृत्य के लिए माफी मांगी अप्सरा की विनती पर मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करो सभी पाप दूर होंगे अप्सरा ने कहे अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा. विधि पूर्वक व्रत का पारण किया ऐसा करने से उसके पाप दूर हो गए और उसे पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई इसके बाद अप्सरा वापिस स्वर्ग लौट गई हो गई. दूसरी तरफ मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए.धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले- हे जनार्दन! चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसकी विधि क्या है कृपा करके आप मुझे बताइए श्री भगवान बोले हे राजन् – चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम पापमोचनी एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्‍य के सभी पापों का नाश होता हैं यह सब व्रतों से उत्तम व्रत है इस पापमोचनी एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।

एक समय देवर्षि नारदजी ने जगत् पिता ब्रह्माजी से कहा महाराज! आप मुझसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विधान कहिए।ब्रह्माजी कहने लगे कि हे नारद चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के रूप में मनाई जाती है इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता हैं। इसकी कथा के अनुसार प्राचीन समय में चित्ररथ नामक एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इन्द्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद विहार करते थे एक बार मेधावी नामक ऋषि भी वहाँ पर तपस्या कर रहे थे वे ऋषि शिव उपासक तथा अप्सराएँ शिव द्रोहिणी अनंग दासी (अनुचरी) थी। एक बार कामदेव ने मुनि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा। युवावस्था वाले मुनि अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गए। रति-क्रीडा करते हुए 57 वर्ष व्यतीत हो गए एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा माँगी। उसके द्वारा आज्ञा माँगने पर मुनि को भान आया और उन्हें आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल में पहुँचाने का एकमात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया।श्राप सुनकर मंजुघोषा ने काँपते हुए ऋषि से मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनिश्री ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। और अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर पिता च्यवन के आश्रम में चले गए। पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निन्दा की तथा उन्हें पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई।अत: हे नारद! जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक इस व्रत को करेगा उसके सारों पापों की मुक्ति होना निश्चित है और जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता और सुनता है उसे सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है।

 

Papmochani Ekadashi 2022 Date

पापमोचनी एकादशी तिथि की शुरुआत – मार्च 27, 2022 को शाम 06:04 बजे से होगी. पापमोचनी एकादशी तिथि का समापन – मार्च 28, 2022 को शाम 04:15 बजे पापमोचनी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त papmochani ekadashi 2022 parana time

पापमोचनी एकादशी के व्रत का पारण 29 मार्च सुबह 06:15 से सुबह 08:43 तक किया जाएगा. पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – दोपहर 02:38

 

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