Akbar Birbal Story in Hindi sabse priya kaun akbar birbal ki kahani
बीरबल की चतुराई से सभी दरबारी जलते थे वे अपने आप को बीरबल के पद पर देखना चाहते थे एक दरबारी ने कहा जहाँपनाह हम भी बीरबल की तरह चतुर और बुद्धिमान है परन्तु आप हमरी और कभी ध्यान नहीं देते मेहरबानी करके हमें कम-से कम एक मौका तो दो।
बादशाह अकबर बोले तो तुम लोगो को लगता है की बीरबल की झूठी तारीफ करता हूँ आज में तुम लोगो के सामने एक चुनौती रखने जा रहा हु अगर तुम उसे पूरा कर सके तो में यह मन लूंगा की बीरबल ही एकमात्र अक्लमंद दरबारी है।
जी जहापनाह बोले क्या चुनौती है एक दरबारी ने पूछा उसने सोचा की आज उसे अपनी योग्यता दिखने का मौका मिल ही गया वह बादशाह की चुनौती पूरी करके बीरबल से बजी मर ले जाएगा।
बादशाह अकबर बोले तुम्हें तीन सिक्कों से तीन चीजें खरीदकर लानी हैं। ये तीन चीजें ‘यहां’, ‘वहां’ और ‘न यहां न वहां की होनी चाहिए।
बादशाह अकबर की बात सुनकर उस दरबारी के होश उड़ गए यह किसी अजीब-सी चुनौती है पहले तो उसने सोचा की हर मन ले लेकिन फिर सोचा की क्यों न अपनी और से एक कोशिश कर ली जाए।
तत्पश्चात वह दरबारी शहर के सबसे बड़े व्यापारी के पास गया और उससे बोला, “जनाब! मुझे तीन सिक्कों से ‘यहां’, ‘वहां’ और ‘न यहां न वहां’ की चीजें चाहिए।
व्यापारी बोला हुजूर अगर आप बुरा न मने तो एक बात काहू मुझे लगता है की आपके दिमाग में कोई खराबी है ऐसी कोई चीज हमरे यहां नहीं मिलती।
फिर वह दरबारी दूसरे व्यापारियों के पास गया, लेकिन वे चीजें कोई नहीं बेचता था। सारा दिन इधर-उधर दौड़ने के बाद वह अंतत: दरबार में वापस आ गया।
उसने अकबर से कहा, ‘क्षमा करें जहांपनाह, मैं आपकी चुनौती पूरी नहीं कर सकता।” तब बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाया और यही चुनौती पूरी करने को कहा। बीरबल तुरंत दरबार से चले गए।
सभी दरबारियों ने सोचा कि बीरबल भी यह चुनौती पूरी नहीं कर सकते, क्योंकि अकबर ने ऐसी चीजें खरीदने को कहा था, जो दुनिया में कहीं नहीं मिल सकती थीं।
सभी दरबारी यह सोच रहे थे कि आज बीरबल को भी हार माननी पड़ेगी। उन्हें भी सबके सामने अपमानित होना पड़ेगा। परंतु ये क्या! बीरबल दो घंटे बाद दरबार में वापस आ गए। सभी दरबारी और मंत्री यह देखकर हैरान हुए कि बीरबल ने इतनी जल्दी चुनौती कैसे पूरी कर ली। अब वे लोग यह देखना चाहते थे कि बीरबल क्या खरीदकर लाए थे।
अकबर ने पूछा, “बीरबल! क्या तुम ‘यहाँ’, ‘वहां’ और ‘न यहां न वहां’ खरीद लाए?” बीरबल ने सलाम करते हुए कहा, “जहांपनाह! मैंने ‘यहां’ एक सिक्के से मिठाई खरीदी। फिर एक सिक्का भगवान के नाम पर भिखारी को दिया, जो ‘वहां’ गया। तत्पश्चात तीसरे सिक्के से मैंने जुआ खेला, जो ‘न यहां न वहां’ कहीं नहीं गया।
बादशाह अकबर बीरबल के इस उत्तर से बहुत संतुष्ट हुए। इस तरह बीरबल ने साबित कर दिया कि वे सबसे बेहतर हैं। ऐसी स्थिति में दरबारियों के चेहरे देखने लायक थे।