Bhado purnima 2021:-: आज पूर्णिमा के दिन करें। सत्यनारायण भगवान की पूजा संतान प्राप्ति और घर में सुख- समृद्धि के लिए सुने कथा और आरती
पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का है विशेष विधान।
* पुत्र प्राप्ति के लिए भी महिलाओं के लिए यह व्रत हे बेहद खास।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन किया जाता है उमा महेश्वर व्रत।
Bhado purnima 2021:-
सनातन हिन्दू धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है इस दिन व्रत कर चंद्रदेव की पूजा -अर्चना करने से सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है और विशेष फल की प्राप्ति होती है पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते है इस दिन सत्यनारयण भगवान की कथा सुनने से सभी कष्टों का निवारण होता है व्ही नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा महेश्वर व्रत किया जाता है इस दिन किसी पवित्र नदी सरोवर ,गंगा स्नान या कुंड में स्नान करने से विशेष महत्व होता है।
.Bhado purnima ki vrat katha/Story
द्धापर युग में एक बार यशोदा माँ (माता ) ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा की वः उन्हें एक ऐसा व्रत बताए जिसको करने से मृत्यु लोग में स्त्रियों को विधवा होने का भय ना रहे तथा वह व्रत मनुष्यो की सभी मनोकामनाए पूर्ण करने वाला हो ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए यशोदा माँ को एक ऐसे व्रत की कहानी विस्तार से बताते हुआ कहा की सौभग्य की प्राप्ति के लिए स्त्रियों को 32 पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए यह व्रत अचल सौभग्य देने वाला और भगवान शिव के प्रति मनुष्यो की भक्ति बढ़ाने वाला है।इसे सुन योशदा माँ ने श्रीकृष्ण से पूछा की इस व्रत को मृत्युलोक में किसने किया था इस पर श्रीहरि ने बताया की इस धरती पर एक रत्रो से परिपूर्ण कार्तिक नाम की नगरी थी वहां चन्द्रहास नामक एक राजा राज करता है उसी नगरी में एक धनेश्वर नामक ब्रह्मण था उसकी बहुत सुन्दर और सुशिल पत्नी थी जिसका नाम रूपवती था दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे लेकिन संतान ना होने के कारण वह अक्सर चिंतित रहा करते थे।
एक दिन एक योगी उस नगरी में आया वह नगर के सभी घरो से भिक्षा लेता था परन्तु रूपवती के घर से कभी भिक्षा नहीं लेता था एक दिन वः योगी रूपवती से भिक्षा ना लेकर किसी अन्य से भिक्षा के अनादर से दुखी होकर धनेश्वर योगी से भिक्षा ना लेने की वजह पूछता है इस पर योगी ने कहा की निसंतान के घर की भीख पतिथो के अन्य ग्रहण करता है वह भी पतिथ हो जाता है इसलिए पतिथ हो जाने के भी से उनके घर की भिक्षा नहीं लेता है।
इसे सुन धनेश्वर अत्यंत दुखी हो गए और उन्होंने योगी से पुत्र प्राप्ति का उपाय पूछा यह सुन योगी ने उन्हें माँ चंडी की उपासना करने के लिए कहा धनेश्वर देवी चंडी की उपासना करने के लिए कहा धनेश्वर देवी चंडी की उपसना करने के लिए वन में चला गया माँ चंडी ने धनेश्वर की भक्ति से पर्सन होकर 16 वे दिन उसे दर्शन दिया और कहा की उसके यहाँ पुत्र होगा लेकिन वह केवल 16 वर्षो तक ही जीवित रहेगा यदि वह स्त्री और पुरुष 32 पूर्णिमा का व्रत करेंगे तो वः दीघार्य हो जाएगा उन्होंने कहा की यहां एक आम का वृक्ष दिखाई देगा उस वृक्ष पर चढ़कर फल तोड़कर उसे घर ले जाए और पत्नी को सारी बात बताए तथा सनान कर वह शंकर भगवान शिव की कृपा से गर्भवती हो जाएगी इस उपाय को करने के बाद धनेश्वर को पुत्र की प्राप्ति हुई तथा 32 पूर्णिमा का व्रत करने से पुत्र को दीघायु की प्राप्ति हुई।
उमा महेश्वर के व्रत की कथा/कहानी :-
इस व्रत का वरन नारद पुराण और मत्यस्य पुराण में किया गयाः यह कथा भगवान विष्णु से संबधित है एक बार महर्षि दूवर्षा कैलाश पर्वत से भगवान शिव के दर्शन करके लौट रहे थे तभी रस्ते में उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हुई उन्होंने प्रसाद के तौर पर विष्णु ने उस माला को गरुण के सिर डाल दिया इसे देख दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने विष्णु जी को श्राप दे डाला की वह माँ लक्ष्मी से दूर हो जाएंगे उनसे क्षीर सागर चीन जाएगा और शेषनाग भी उनकी सहायता नहीं कर पाएंगे इसे सुन विष्णु जी चिंतित हो गए और उन्होंने डुवर्स ऋषि से क्षमा मंगाते हुआ कहा की वह उन्हें इस श्राप से मुक्त होने का उपाय बताएइसके बाद दुर्वासा ऋषि ने बताया की उमा महेश्वर व्रत करो उसी से मुक्ति मिलेगी तब भगवान विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत समस्त शतिया वापस मिल गई।
पूर्णिमा के व्रत का शुभ मुहूर्त
* पूर्णिमा तिथि की शुरु : 20 सितम्बर 2021 सोमवार 5 :28 am से
* पूर्णिमा का समाप्ति : 21 सितंबर 2021 मंगलवार 5 :24 am तक
पूर्णिमा के व्रत का महत्व
सभी पूर्णिमा तिथियों में भाद्रपद पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन चंद्रदेव की पूजा आराधना करने से सभी मनोकामनाए पुराण होती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है इस दिन से पितृ पक्ष या श्राद्ध की शुरुआत भी होती है पूर्णिमा तिथि के दिन सत्यनारयण भगवान की कथा सुनने से भी विशेष पुण्य होता है तथा सभी कष्टों दूर होते है।
OM Jaijagdish ji Aarti :-ॐ जय जगदीश हरे: विष्णु भगवान की आरती
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे ,
भक्तजनो के संकट श्रण में दूर करे।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावै दुःख बिनसे मन का।
सुख-सम्पति घर आवै कष्ट मिटे तन का।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
मात-पिता तुम मेरे शरण गेहू में किसकी ,
तुम बिनु और न दूजा आस करू जिसकी।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम पुराण परमात्मा तुम अंतरयामी।
पारब्रहा परमेश्वर तुम सबके स्वामी।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर तुम पालंनकर्ता।
में मुर्ख खल कमी कृपा करो भर्ता।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति।
किस विधि मिलु दयामय तुमको में कुमति।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
दीनबन्धु दुखहर्ता तुम ठकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा।
श्रदा-भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा।।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
तन-मन धन और सम्पति सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अपर्ण क्या लगे मेरा।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
जगदीश्ररजी की आरती जो कोई न्र गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे।।
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।