देवशयनी कादशी शुभ मुहूर्त,व्रत,पूजा,पारणा समय एवं आषाढ़ी एकादशी व्रत कथा
पुरे वर्ष में 24 एकादशी आती है। लेकिन जिस वर्ष अधिक मॉस अति है उस वर्ष 26 एकादशी आती है। एकादशी का जो व्रत होता है वो सबसे बड़ा व्रत माना जाता है। भगवन विष्णु जी का कोई प्रिय व्रत है तो वो एकादशी का ही होता है। और प्रत्येक महा में दो बार एकादशी आती है। किशन पक्ष तथा शुकल पक्ष। और इन दोनों का अपना अपना अगल अलग महत्व होता है।
एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते है। सभी जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है। सभी पाप के नष्ट हो जाने से उनके पुण्य फलो की प्राप्ति शुरू हो जाती है। अगर आपको अपने पाप से मुक्ति पानी है तो आप को एकादशी हो व्रत जरूर करना चाहिए। सभी भक्तो को दोनों पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए।
इस बार देवशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी का व्रत आपको कब करना चाहिए , कैसे करना चाहिए , व्रत कथा, शुभ मुहूर्त के बारे में आज हम आप को इस लेख में बताने जा रहे है।
देवशयनी एकादशी जो की इस बार 19 July 2021 को रात 9:59 min से प्रारभ हो रही है।
जो 20 July 2021 को शाम को 7 : 17 min पर ख़तम हो जाएगी।
तो एकदशी मानाने का सही दिन 20 July को ही होगा। इसी दिन एकादशी का व्रत करना चाहिए।
एकादशी का व्रत का पर्ण 21 July 2021 का समये , शुभ 5: 36 min से ले कर के 8:21 min तक रहेगा।
देवशयनी एकादशी व्रत कथा-
देवशयनी एकादशी जिसे पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। एक समय की बात है धर्म राज युदिष्ट्र ने कहा की हे केशव अशन महा के शुकल पक्ष की एकादशी का क्या मान है, तथा इस व्रत को करने की विधि क्या है। साथ ही इस दिन कौन से देवता का पूजन करना चाइये। भगवन कृष्ण कहने लगेकी हे राजन ! जिस कथा को भ्र्म जी ने नर्क जी से कहा था वही में तुम से कहता हु।
एक दिन नर्क जी ने भरमा जी ये ही प्रश्न किया था। तब भरमा जी में नर्क जी से कहा ये नर्क तुम ने कल योग जीवा के उधर के लिए एक उत्तम प्रश्न किया है। क्युकी ये जो एकादशी है यह सभी वर्तो में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। इस व्रत को करने से भगवन विष्णु बहुत खुश होते है। इस एकादशी का नाम पद्मा एकादशी है। अब में तुम को इस एकादशी की कथा सुनाने जा रहा हु। तुम मन लगा कर सुनो सुये वंश में मालदा नाम का चक्रवाती का जनम हुआ। उनका मन हमेशा से ही धर्म के कार्यो में लगा रहता था। उनकी प्रजा धन धन्य से पारी पूण थी उनकी प्रजा में कभी भी अकाल परता था। एक समय ऐसा आया उनके राज्ये में 3 वर्षो तक बरसात नहीं हुई। मेने उनके राज्ये में पानी नहीं दिया। इस कारण से उनके राज्ये में अकाल पर गया। प्रजा अन्य कारण दुखी हो गई। भोजन न होने के कारण कोई भी पूजा पाठ का कार्य कर्म नहीं हो सका। एक दिन प्रजा राज के पास जा क्र कहने लेगी। ये राज सारि प्रजा त्राहि त्राहि पुकार रही है क्युकी वर्षा 3 सालो से नहीं हुए है। इसी लिए आप कोई ऐसा उपाए बताओ प्रजा के कष्ट दूर हो जाए। राजा कहने लगे में आप लोगो के दुख का कारण समज रहा हु। ये कहा क्र राज जंगल चले गए और उनको विष्णु जी के पुत्र से भेठ का अवसर मिला। जैसे ही राज में पुत्र को देखा वैसे ही उनसे भेट करने गए। उनसे भेट कर के पुत्र ने उनसे यहाँ आने का कारण पूछा। तो फर राज ये अपनी सारी बात पुत्र को बताया।
उनकी बात सुन कर के पुत्र कहने लगे ये राजन आप के राज्ये में एक व्यक्ति तपस्या कर रहा है। उसके कारण आपके राज्ये में वर्षा नहीं हो रही है। तो पुत्र ने कहा की आप उस व्यक्ति को अपने राज्ये से निकल दो या उसे मार दो तभी ही आप के राज्ये में वर्षा होगी। तब राज ने कहा की मैं उस व्यक्ति को कैसे मार सकता हु आप मुझे कोई रास्ता बताओ।
तो उन्होंने राज की बात सुन क्र बोला – तो जो मैं आप को बताने जा रहा हु उस को दियाँ पूर्वक सुनो। तुम देवशनी एकादशी का व्रत करो जिसे पदमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। उस का तुम विधि पूर्वक व्रत को जिससे तुम्हारे राज्ये में वर्षा होगी। और प्रजा खुश होगी। यह व्रत तुम भी करो और साथ में अपनी प्रजा से भी करवाओ। यह सब सुन राज ने वो ही किया और उसके राज्ये में अगले दिन ही वर्षा हो गई।