जया एकादशी 2022: शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत कथा
जया एकादशी 2022 का शुभ मुहूर्त,
एकादशी तिथि शुरू – 11 फरवरी, 2022 को 1 : बजकर 53 मिनिट से।
एकादशी तिथि समाप्ति – 12 फरवरी, 2022 4 बजकर 28 मिनिट तक।
पारण का समय – 13 फरवरी, 2022 को सुबह 9 बजकर 30 मिनिट तक 09 तक
जया एकादशी की व्रत कथा/कहानी (story ) :-
बहुत समय पहले की बात है, देवराज इंद्र नंदन वन में अप्सराओं के साथ गान कर रहे थे। देवराज के साथ उनकी पत्नी मालिनी, गंधर्व पुष्पदंत, चित्रसेना और कन्या पुष्पवती थी। यही देवराज का पुत्र पुष्पवान और उसका पुत्र माल्यवान भी गान कर रहे थे। तभी गंधर्व कन्या पुष्पवती, माल्यवान को देख कर उस पर मोहित हो गई और अपने रूप से माल्यवान को अपने वश में कर लिया। इस कारण दोनों का चंचल हो गया। अब माल्यवान स्वर से उल्टा ही गान करने लगा। इसे इंद्रदेव ने अपना अपमान के रूप में लिया और फिर दोनों को श्राप देते हुए कहा – तुम दोनों ने न सिर्फ यहां की मान एवं मर्यादा को भंग किया है साथ ही साथ मेरी आज्ञा का भी उल्लंघन किया है। अब तुम्हे इस कारण दोनों को स्त्री – पुरुष के रूप में मृत्युलोक जाकर वहीं अपने किये का पश्चाताप करना होगा।
इंद्रदेव के श्राप से दोनों धरती में हिमालय पर्वत क्षेत्र में अपना जीवन को बिताने लगे। जैसे – जैसे दिन गुजरते रहे वैसे – वैसे संकट बढ़ता ही जा रहा था। अब दोनों ने निर्णय लिया कि देव आराधना करें और पूरी संयम से जीवन गुजारें। कुछ समय बाद एक दिन माघ मास में शुक्लपक्ष एकादशी तिथि पड़ी। उन दोनों ने व्रत करके दिन गुजारा और संध्या काल में पीपल के पेड़ के नीचे अपने पाप से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु को स्मरण करते रहे। रात हो गयी, पर सोए नहीं। दूसरे दिन प्रात: उन दोनों को इसी पुण्य प्रभाव से पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई और दोनों को फिर से अप्सरा का रूप प्राप्त हुआ और वह दोनों स्वर्गलोक के लिए निकल गए। जब वह दोनों स्वर्गलोक पहुंचे तो देवताओं ने उन दोनों पर पुष्प की वर्षा की और देवराज इंद्रदेव ने भी उन्हें माफ़ कर दिया। इस व्रत के बारे में श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं, “जिस भी मनुष्य ने एकादशी का व्रत किया, उसने मानो सब यज्ञ, दान, तपस्या आदि कर लिए। यही कारण है कि सभी एकादशियों में जया एकादशी का विशेष रूप से महत्व है”।
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