Shani Pradosh Vrat Katha, Pradosh Vrat 2021 Pradosh 2021

शनि प्रदोष व्रत कथा पूजा विधि महत्व Shani Pradosh Vrat Katha, Pradosh Vrat 2021 April Pradosh 2021 !

आज हम इस लेख में शनि प्रदोष व्रत के बारे में जानने वाले हैं जो कि 2021 अप्रैल में आ रही है। शनि प्रदोष व्रत किस दिन है ? इस दिन आप को क्या करना चाहिए ? किस प्रकार इस दिन की पूजा करनी चाहिए ? और किस व्रत कथा को आप को सुनना चाहिए ? आज हम इस लेख में पूरी जानकारी देने वाले हैं।  अगर आपको शनि प्रदोष व्रत के बारे में जानना है तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े ताकि आप इस वक्त का पूर्ण लाभ उठा सकें।

प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को अर्पित होता है। इस दिन प्रदोष काल में ही भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है।  प्रदोष काल माना जाता है सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का समय। सप्ताह  के अलग-अलग दिनों के अनुसार प्रदोष व्रत किया जाता है।  शनि प्रदोष व्रत 24 अप्रैल 2021 शनिवार को है।  सप्ताह के अलग-अलग दिनों के अनुसार पर प्रदोष व्रत का नाम रखा जाता है शनिवार को पढ़ने वाला का नाम प्रदोष व्रत का नाम शनि प्रदोष व्रत है ऐसे ही सोमवार को करने वाला प्रदोष व्रत सॉन्ग प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।  हर महीने की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।  इस दिन जिन लोगों की कुंडली में दोष होता है किसी भी प्रकार का उन लोगों के लिए प्रदोष व्रत रखना सबसे लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही अन्य लोग भी प्रदोष व्रत रख सकते हैं।  जो लोग भोलेनाथ के भक्त हो।  भोलेनाथ को मनाना चाहते हो और अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हो किसी भी प्रकार की  मनोकामना हो उन लोगों को प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए।

उनको लाभ जरूर प्राप्त होता है सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखने पर मनोकामना जरूर पूरी होती है।  जो लोग प्रदोष व्रत को प्रारंभ करना चाहते हैं यानी पहली बार प्रदोष व्रत को कर रहे हैं उन लोगों के लिए यह महीना सबसे अच्छा माना गया है।  क्योंकि माना जाता है प्रदोष व्रत या फिर कोई भी वर्क है उसको शुक्ल पक्ष से ही प्रारंभ करना चाहिए।  शनि प्रदोष व्रत रखने से शनि के जो भी प्रभाव हैं या कोई दोष के वजह से आपके जीवन में कोई भी समस्या आ रहे हैं तो आपको यह व्रत रखने से दोष से मुक्ति मिल सकती है।  दोस्तों इस माह में पढ़ने वाला शनि प्रदोष व्रत जो कि 24 अप्रैल को है क्योंकि 24 अप्रैल को शनि प्रदोष व्रत की तिथि प्रारंभ होगी हो रही है शाम 5:18 से यह तिथि खत्म अगले दिन 25 अप्रैल रविवार  4:15 पर शाम को होगी।  इसलिए सभी प्रदोष व्रत शनिवार को ही 24 अप्रैल को ही रखा जाएगा।

इस दिन सूर्योदय का समय क्या रहेगा और सूर्यास्त का समय क्या रहेगा।  24 अप्रैल को सूर्योदय का समय रहेगा सुबह 6:02 से और सूर्यास्त का समय रहेगा शाम 6:47 पर प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की भी पूजा  जरूर करनी चाहिए क्योंकि शनिवार के दिन यह प्रदोष व्रत पड़ता रहा है।  आज के दिन शनि देव की पूजा जरूर करनी है क्योंकि प्रदोष व्रत शनिवार को ही पड़ रहा है। पीपल के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है।  इसलिए खासकर शनिवार के दिन सरसों के तेल का एक दिया आपको पीपल के पेड़ के नीचे जरूर चढ़ाना चाहिए।  शाम के दिन जब आप प्रदोष व्रत की पूजा समाप्त कर लेते हैं और आपके लिए  बाहर जाकर पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाना संभव हो तो आप जरूर जलना चाहिए।  माना जाता है भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।ऐसे में आप प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ को मनाते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ समापन भाव के साथ अगर प्रदोष व्रत कर लिया जाए तो जीवन में आने वाली और वर्तमान में चल रही परेशानियों से मुक्ति की जा सकती है।

दोस्तों पहले सुन लेते हैं प्रदोष व्रत की कथा और उसके बाद मैं आपको बताऊंगा पूजा विधि के बारे में। पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने के लिए  जाती थी और शाम के समय वापस लौट के आती थी।  एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तब उसे नदी के किनारे एक सुंदर बालक दिखाई दिया।  जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मपुत्र थ।  शत्रुओं ने उससे पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की मृत्यु भी अकाल हो गई थी। ब्राह्मणी ने उसे अपने पुत्र की तरह अपने घर पर लाकर रख दिया और उसका पालन पोषण करना प्रारंभ कर दिया। कुछ समय के बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ कुछ समय के बाद देवलोक से देव मंदिर गई वहां पर जाकर उनका वेट ऋषि से हुई।

एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन दोनों को कुछ गंधर्व कन्या दिखाई पड़ती है।  ब्राह्मण बालक दो घर लौट आया किंतु राजकुमार घर नहीं गया और अंशु मधील गंधर्व कन्या के साथ बात करने लगा। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए। कन्या ने विवाह के लिए राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह है दुबारा गंधक कन्या से मिलने के लिए गया तब गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह गंधर्व देश का राजकुमार है।  भगवान शिव की आज्ञा से  राजा ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मराज के साथ करवा दिया।  इसके बाद  राजकुमार  गुप्त ने गंधर्वसेना की सहायता से विदर्भ देश पर अपना अधिकार पुनः प्राप्त कर लिया। यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धाम गुप्त के प्रदोष व्रत करने का ही फल था।  इस प्रकार प्रदोष व्रत के दिन जो भी भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा के बाद यह साथ लीन होकर प्रदोष व्रत की कथा पड़ता है , यह सुनता है , यह दूसरों को सुनाता है उसे सात जन्म तक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और भगवान भोलेनाथ की कृपा से उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

अब  जानते हैं भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने वाली पूजा विधि के बारे में। प्रदोष व्रत के दिन शुभ हो उठकर स्नान कर ले उसके बाद साफ हल्के रंग के वस्त्र का प्रयोग करना चाहिए। हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। हे भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ सबसे पहले सूर्य देवता को जल अर्पित करना जरूर करना चाहिए। इसके बाद सुबह में आप भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ , मां पार्वती भगवान,गणेश भगवान, कार्तिकेय और नंदी बैल की पूजा जरूर करनी चाहिए। क्योंकि शनिवार का दिन है

इसलिए आज का दिन पूजा करते समय आप शनि देवता की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ के मंदिर के साथ-साथ शनि देव के मंदिर का भी दर्शन जरूर करना चाहिए। शनिदेव की कृपा भी आप पर बनी रहे। सुबह की पूजा में आप शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ की आरती के साथ। शनि देवता की आरती भी कीजिए।  शनि चालीसा का पाठ कीजिए और सारा दिन भगवान भोलेनाथ शनि देवता का ध्यान करते हुए प्रारंभ कीजिए। प्रदोष व्रत के दिन मीठा भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। आज के दिन संभवत नमक का प्रयोग बिल्कुल ना करें।

दोस्तों किसी भी प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है। इसलिए आज के दिन शाम  के समय सूर्यास्त होने से पहले स्नान कर लीजिए साफ वस्त्र धारण कर लीजिए एक बार फिर से।  उसके साथ में आप संभव हो तो आप अपने घर के आस-पास किसी शिव  मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक कीजिए,  पंचामृत से स्नान करवाइए और नहीं तो आप अपने घर पर भी पूजा कर सकते हैं।  पूजा करने से पहले आप अपने मंदिर को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लीजिए। इसके साथ ही बेलपत्र , अक्षत , धूप ,गंगाजल आदि के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा कीजिए और मन ही मन ओम नमः शिवाय का जाप करते रहिए भगवान शिव को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही शनि देवता की भी पूजा करने के लिए सरसों के तेल 1 दिन पीपल के पेड़ में आपको जलाना है। भोग में आप भगवान भोलेनाथ को अखंड चावल खीर का भोग लगाएं बहुत शुभ रहेगा। इसके साथ ही सबसे अंत में आप कथा सुनिए आरती कीजिए और अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना कीजिए और उसके बाद भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ पूरे शिव परिवार से शनिदेव से प्रार्थना कीजिए की जिस भी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए या विचलित परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए आप प्रदोष व्रत वत कर रहे हैं उनकी कृपा से आपके घर परेशानी दूर हो सके।

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