वैशाख महीने (मास ) की चौथ माता के व्रत का शुभ मुहूर्त ,पूजन विधि ,महत्व और व्रत कथा /कहानी (Story ) 2021 :-
एक नगर में एक माता पिता रहा करते थे माँ चौथ माता की पूजा और व्रत करती थी। और कुछ मीठा बनाकर चौथ माता को भोग लगाती थी। उस औरत की जो पड़ोसने थी वो उससे जलती थी सो उन्होंने उसके बेटे को सीखा दिया की उसकी माँ अच्छा अच्छा खाने के लिए ही चौथ माता का व्रत करती है वो तो गटक चोत करती है, गटक चोत। तब लड़का घर आया और अपनी माँ से बोलने लगा तुम तो अच्छा खाना खाने के लिए यह चौथ माता व्रत करती हो। और मुझे कुछ नहीं देती हो तो मैं यह घर छोड़ कर जा रहा हु। तो उसकी माता ने कहा तू जारहा है तो मैं तुझे नहीं रोकूंगी क्युकी तू पड़ाए के बातो में आ चूका है। लेकिन जाने से पहले यह चौथ माता की आखा लेकर जा , जहा भी तुझे कोई मुश्किल पड़े वही इन्हे बिछाकर बैठ जाना और चौथ माता का नाम लेलेना फर तेरे ऊपर आने वाली जो वपता है वो टाल जाएगी। माँ ने कुछ गेहू के दाने उसे अखा रूप में दे दी। और उसे लेकर वह लड़का गुसे में वह से निकल गया , चलते चलते वह बहुत दूर
एक गाओ में जो की कुम्हरो का गाओ था वह चला गया। वह पानी पिने के लिए एक घर के सामने रुका और आवाज लगाने लगा की माई पानी पिलादो लेकिन कोई भहर नहीं आया , तो वह देखने के लिए अंदर चला गया तो वह अंदर जाकर क्या देखता है की एक बुड़िया मई पुआ बना रही थी और साथ में रोती भी जा रही थी। यह सब उस लड़के को कुछ अजीब लगा और उस बुड़िया मई से पूछ पड़ा बेटा की माई तुम रोती जा रही हो और पुआ भी बनती जा रही हो। आखिर बात क्या है , तो उस बुड़िया मई ने कहा की आज मेरे बेटे की बलि का दिन है। इस गाओ में हर छे महीने में हाव पकता है। और किसी न किसी के घर से एक बलि दी जाती है। जब जाकर हावा में बर्तन पकते है। उन बर्तनो को बेचकर ही इस गाओ के लोग गुजर बसर करते है। एक ही बेटा है मेरा और उसकी आज बली है। तो मैं उसके जाने से पहले कुछ अच्छा बनाकर खिला दूँ , और इसलिए में पुआ बना रही हु और रोती भी जा रही हु, अपने बाटे के लिए।
तब वह लड़का बोला की तू ऐसा कर माई यह जो पुआ तू बना रही है वो मुझे खिला दे और जब रात होगी राज के सिपाई तेरे बेटे को हाव में पकने के लिए ले जाएगे तब तू मुझे उठा लेना तेर बेटे की जगह बलि के लिए मैं चला जाउगा। तब उस बुड़िया मई ने कहा की बीटा पुआ तो तू ऐसे ही खा ले तो लड़का बोलने लगा की नहीं मई तू तो मुझे उस वक्त जगा देना जब राजा के सैनिक उसे लेने आएगे। मैं पुआ खा कर सोने के लिए जा रहा हुआ। कुछ ही देर बाद राजा के सैनिक उस बुरिया के घर पर आए और उसके बेटे को बेझने के लिए कहे ने लगे तभी उस लड़के की आँख कुल गई और वह कहने लगा की क्या हुआ मई , मुझे लेने के लिए आगे क्या ? वह उस बुड़िया मई का आशीर्वाद लेने लगा और आशीर्वाद लेकर राजा के सेनिको के साथ निकल गया।गाओ के बीचो बिच एक बड़ी सी जगह पर , जहा हाव पकता था वह चौथ माता के नामकी हक़ बिछाकर और एक पानी का लोटा रख दिया और वह जा कर बेट गया।
अब सभी ने उसके ऊपर मिटी के बर्तन चुन दिए। और वह लड़का चौथ माता से अरदाज करने लगा की जो मेरी माँ ने सच्चे मन से व्रत किया हो , तो आज मेरी जान बक्श दे न। और मेरे माँ के द्वारा किये गए व्रत मान(फल देना ) रखना। फिर हाव में आग लगा दी। तीन दिन बाद गाओ के कुछ बच्चे कंचे खेल रहे थे और उनमे से एक कंकर हावे के बर्तनो को जा लगा। जिससे तन की आवाज आई , बर्तन के पकने की होती है। तब बच्चो ने गाँव वालो को बताया हावे के बर्तन तीन दिन में ही पाक गए। गाँव वाले भी आश्चर्यचकित रहे गए की जो बर्तन छे महीनो में पका करते थे वो तीन दिन में ही कैसे पाक गए। यह बात राजा को पता चली तो वह भी वह पहुंचे और राजा ने हवे के बर्तनो को उतरने के लिए कहा ,तो अंदर से आवाज आई धिरे उतरना अंदर तो मैं हु कही मुझे लग न जाए। तो सभी गाओ वाले डरने भी लगे। की अरे अंदर भूत है।
जब वह लड़का हाव में से जिन्दा निकला तो राजा ने उस लड़के से पूछा की तुम जिन्दा कैसे रहे गए। तब उसने अपने माँ द्वारा चौथ माता के व्रत कथा करने को कही। राजा ने हाव में झक कर देखा की अंदर तो चौथ माता के आँख बिखरे परे है। और पानी का लोटा रखा पड़ा है। राजा ने भी चौथ माता की महिमा मानी। और सरे गाओ में केहेलवा दिया , की चौथ माता संकट के समय में अपने भक्तो की रक्षा करती है। तो आज से सभी चौथ माता की पूजा और व्रत करे। तब उस राजा ने अपनी बेटी का विवाह उस लड़के के साथ कर दिया। वह दोनों राजा के महल में आराम से रहने लगे। और एक दिन उस लड़के से उसकी पत्नी ने पूछा की आप के परिवार कहा है। तब उस लड़के ने अपने माँ से रूत कर जाने की बात बताई।
उसकी पत्नी ने खाना आप की माँ ने सच्चे मन से चौथ माता का व्रत किया था तो आप को चल कर उनसे माफ़ी मागनी चाहिए और अपनी माँ के साथ रहना चाहिए। तब वह दोनों राजा की आज्ञा से वह से विदा हुए। तब राजा ने उपहार समेत बहुत सारा दान दिया। वो लड़का अपने गाओ पंहुचा तब सभी गाओ वाले उस उस बुरिया से खानने लगे की मई तेरा बेटा लोट आया है। तब बुरिया बोली इतने साल होगए अब तक नहीं आया। उसके लिए रोते रोते अंधी होगी। अब उसे मेरी याद नहीं आएगी। वो कहा से आइये गए तब वह लड़का उसे माँ के पैरो में गिर कर पड़ा और अपने किये की माफ़ी मगनी लगा उसी पत्नी ने उस बुरिया के पैर छुए। बुरिया के आखो की रोशनी भी आ गई। उस बुरिया ने अपने बेटे को माफ़ किया और बहु को गले से लगा लिया। यह देख कर गाव वालो के आँखे भी भर आई।