Shree Hanuman Chalisa – हनुमान चालीसा का पाठ
हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बहुत महत्व है। हनुमान चालीसा को हर मंगलवार को पढ़ने से हनुमान जी की आप पर विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान चालीसा को प्रतिदिन पढ़ने से हमारे सारे संकट दूर होते है. और हमारे बिगड़े सारे काम – काज फिर से बनने लगते है। क्योकि संकट मोचन हनुमान हमारे सारे संकट हर लेते है। इसलिए ही तो हनुमान जी को संकट मोचन हनुमान कहते है। और हनुमान चालीसा का रोजाना पाठ करने से “ भूत -पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे “ अथार्थ आपको आपके घर के आस -पास भी बुरी शक्तिया नहीं आती है। हनुमान जी इस कलयुग में भी जागृत देवता है। रोज हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में किसी भी तरह की समस्याओ का सामना नहीं करना पड़ता। और आपकी सभी मनोकामनाये पूरी होती है। और हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे अधिक प्रिये भक्त है। और हनुमान जी की आज्ञा के बिना प्रभु श्री राम और माता सीता के दर्शन भी नहीं हो सकते। इसलिये हमे प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये। और इस भाग -दौड़ की जिंदगी में अगर आप रोज हनुमान चालीसा रोजाना नहीं पढ़ सकते तो कम से कम .मंगलवार और शनिवार को तो जरूर से ही पढ़ना चाहिये। हनुमान चालीसा पढ़ने से बहुत सारे फायदे होते है।
1 . हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास (मनोबल ) बढ़ता है। क्योकि किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है। ऐसे बहुत से लोग होते है। जिनमे आत्मविश्वास की कमी होती है। वो लोग किसी भी कार्य को करने से पहले असफलता से डरने लगते है। ऐसे लोगो को तो रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य ही करना चाहिए। जिसे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
2 .प्रतिदिन (रोजाना ) हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय (डर ) से मुक्ति मिलती है। बहुत सी बार ऐसा होता है। की आपको छोटी -छोटी चीजों से भय लगने लगता है। और रात में अजीब -अजीब से सपने आते है। और आपको सपने में भी डर (भय ) लगने लगता है। या फिर कई बार हमे अपने आस -पास किसी बुरे साये के होने का अहसास होता है। तो ऐसे में हमे रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ ही करना चाहिए।हनुमान चालीसा का रोजाना पाठ करने से “ भूत -पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे “ क्योकि हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय (डर ) से मुक्ति मिलती है।और हमे कभी भी डर नहीं लगेगा।
3 . रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करने से कर्ज की समस्याओ से मुक्ति मिलती है। और आर्थिक स्थिति में बहुत अच्छी हो जाती है। आपके सारे काम फिर बनने लगते है। और कोई भी विघ्न नहीं आता है। आपकी मनोकामना भी पूरी हो जाती है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। और आपके आस -पास पॉजिटव एनर्जी का संचालन होने लगता है। सबसे बड़ी बात तो ये है। हनुमान चालीसा पढ़ने वाले और हनुमान जी की पूजा करने वाले हनुमान जी के भक्तो पर शनि देव की बुरी दृष्टि कभी भी नहीं पड़ेगी। और शनि देव की साढ़े साती भी नहीं लगती हनुमान जी के भक्तो पर
माना जाता है की श्री हनुमान जी अभी भी धरती पर विराजमान है। जब तक कलयुग ख़तम नहीं होता तब तक हनुमान जी धरती पर ही विराजमान रहेंगे। हनुमान चालीसा पड़ने से व्यक्ति को शक्ति मिलती है। जब भी व्यक्ति डरा होता है तब तब वह हनुमान चालीसा पड़ता रहता है। हनुमान चालीसा पड़ने से सिर्फ व्यक्ति को शक्ति ही नहीं , शांति भी मिलती है। हनुमार चालीसा को पड़ने से मनुष्य की आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जब भी मनुष्य भयभीत होता है तब तब हनुमान चालीसा पड़ने से वह भय मुक्त हो जाता है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी मनुष्य हनुमान चालीसा पड़ता है। इसे पड़ने से कार्यों में विघ्न नहीं पड़ता है। सभी कार्य विघ्न मुक्त हो जाते है। ऐसे पड़ने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है, नकारात्मकता दूर होती है। चलिए अब हम हनुमान चालीसा पड़ना शुरू करते है।
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।