आमला एकादशी (ग्यारस ) कब है। जाने पूजन विधि ,शुभ मुहूर्त ,,महत्व और व्रत कथा । इस दिन क्यों की जाती है। आंवले के पेड़ की पूजा।
एक साल में 24 एकादशी होती है। लेकिन किसी साल अधिक मास होने से एकादशी की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हिन्दू पंचाग के अनुसार आमलकी एकादशी फागुन महीने के कृष्ण पक्ष को आती है। यह एकादशी हर साल फरवरी या मार्च के महीने में मनाई जाती है। और इस वर्ष (साल ) आमलकी एकादशी 25 march 2021 को है। इस एकादशी को आंवला एकादशी और आमलकी के नाम से जाना जाता है।
आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त :-
पारण मुहूर्त – 26 March 2021 को 06 :18 :53 से 08 :46 :12 मिनट तक
अवधि 2 घंटे 27 मिनट
आमलकी एकादशी की व्रत कथा :-
प्राचीन समय की बात है। एक चित्रसेन नाम का एक राजा राज्य करता था। राजा एकादशी व्रत ( तिथि) का बहुत ही महत्व मानता था। और राजा के साथ उसकी सभी प्रजा भी एकादशी का व्रत करती थी। क्योकि राजा एकादशी के प्रति बहुत ही श्रद्धा रखता था
एक दिन राजा शिकार करते हुये जंगल में बहुत दूर तक चला ( निकल )गया था। और जंगल में राजा को कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने घेर लिया था। और फिर डाकुओ ने राजा को बंदी बनाकर उस पर शस्त्रों से राजा पर वार(हमला ) कर दिया था। लेकिन भगवान की कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाये गये। वो सभी पुष्प में बदल जाते थे। लेकिन डाकुओ की संख्या ज्यादा होने से राजा शक्तिहीन होकर जमीन पर गिर गया था। लेकिन उसके बाद राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई। और सभी राक्षसों का वध (मारकर )करके वो शक्ति अदृश्य (गायब ) हो गई। जब राजा को होश (चेतना लौटी ) आया। तब राजा ने देखा की सारे राक्षसों को मरा हुआ पाया । तब राजा को बहुत अफ़सोस (आश्चर्य ) हुआ की इन सभी डाकुओ को किसने मारा ? और तभी आकाशवाणी हुई। – हे राजन। ये सभी राक्षसों और डाकुओ का वध तुम्हारे आमलकी एकादशी के व्रत करने के प्रभाव से मारे गये। और तुम्हारे शरीर से उत्पन्न आमलकी एकदशी की वैष्णवी शक्ति से इन राक्षसों का संहार किया गया है। इनका वध करके वह शक्ति पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश करपु गई। यह सब सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। और राजा अपने राज्य में वापस लौटकर अपनी प्रजा को एकादशी तिथि का महत्व बताया।
आमलकी एकादशी का महत्व :- इस एकादशी के व्रत के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है। कि इस एकादशी का व्रत को करने से सौ गायों का दान करने के बराबर पुण्य (फल ) मिलता है। लेकिन जो व्यक्ति एकादशी का व्रत नहीं कर सकते है।तो वह एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित (चढ़ाये ) और स्वयं भी खाये।
आमलकी एकादशी के दिन क्यों की जाती है। आंवले के पेड़ की पूजा :- इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। क्योकि पीपल और आंवले के पेड़ (वृक्ष ) को हिन्दू धर्म में भगवान (देवता ) के समान माना जाता है। ऐसी मान्यता है। कि जब भगवान श्री हरि विष्णु ने सृष्टि कि रचना के लिए ब्रह्म जी को जन्म दिया।,उसी समय भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया था। इसी कारण से आंवले के वृक्ष की पूजा जी जाती है। आंवले के पेड़ के हर शाखाओँ में भगवान का वास होता है।