मौनी अमावस्या वर्ष 2021: जाने शुभ मुहूर्त और कथा
हिन्दू पंचांगों के महीने के अंत वाले दिन अमावस्या होती है। शास्त्रों में अमावस्या का बहुत ही महत्व है और माघ के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या को माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यतानुसार इस दिन देवता संगम में निवास करते हैं, जिस वजह से इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व बढ़ जाता है। तो चलिए जानते है किस दिन मनाई जाएगी मौनी अमावस्या, शुभ मुहूर्त और कथा।
- मौनी अमावस्या शुभ मुहूर्त एवं तिथि:-
मौनी अमावस्या आरंभ तिथि – 11 फरवरी, 2021
मौनी अमावस्या समाप्ति तिथि – 12 फरवरी, 2021
मौनी अमावस्या आरंभ समय – 01:10 से।
मौनी अमावस्या समाप्ति समय – 00:37 पर।
- मौनी अमावस्या व्रत कथा:-
बहुत समय पहले की बात है। कांचीपुरम में एक ब्राह्मण देवस्वामी निवास करते थे। उनकी पत्नी का नाम धनवती और बेटी का नाम गुणवती था। देवस्वामी के सात पुत्र भी थे और सभी विवाहित थे। देवस्वामी अब अपनी पुत्री गुणवती के लिए एक अच्छा वर ढूंढ रहे थे। वर की तलाश हेतु देवस्वामी ने अपने बड़े पुत्र को नगर से बहार भेजा। देवस्वामी ने अपने पुत्री की कुंडली एक ज्योतिषी से अध्यन करवाई। ज्योतिष ने कहा, की विवाह के वक़्त सप्तपदी होते ही वर की अकालमृत्यु हो जाएगी। यह सुनकर देवस्वामी हिल गए और फिर ज्योतिष से इस समस्या का कोई कारगर उपाय पूछा। ज्योतिष ने उत्तर दिया की इसका निवारण सिंहलद्वीप में रहने वाली सोम धोबिन ही कर सकती है और धोबिन को घर पर आमंत्रित करके उसकी पूजा करने से ही यह समस्या का समाधान संभव होगा।
इसके बाद देवस्वामी ने अपने सबसे छोटे पुत्र और अपनी पुत्री गुणवती को सिंहलद्वीप भेज दिया और बोला सोम धोबिन को ले कर आओ। वह दोनों भाई बहन समुद्र किनारे पहुंचे और समुद्र पार करने के लिए उपाय ढूंढ रहे थे पर उन्हें कुछ नहीं मिला तो फिर दोनों भाई – बहन भूक प्यास से एक वट वृक्ष के नीचे बैठ गए। उसी वट वृक्ष पर एक गिद्ध का परिवार निवास करता था। गिद्ध के बच्चों ने देखा के यह दोनों मनुष्य बहुत देर से परेशान है। कुछ समय बाद जब उन गिद्ध बच्चों की मां आई तो उन बच्चों ने अपनी मां को उन दोनों भाई – बहन के बारे में बताया। यह सुन गिद्ध को दया आई और वह उन दोनों भर बहन के पास गई और कहा तुम दोनों के बारे में मुझे पता चल गया है, पहले तुम भोजन कर लो और फिर तू दोनो को सुबह समुद्र पर सोमा धोबिन के यहाँ पहुंचा दूंगी। यह सब सुन देवस्वामी के पुत्री गुणवती और पुत्र दोनों खुश हो गए। अगले दिन, सुबह होते ही गिद्ध ने दोनों भाई – बहन को समुद्रपार सिंहलद्वीप पर सोमा धोबिन के यहाँ पंहुचा दिया। इसके बाद दोनों सोमा धोबिन को अपने घर ले कर पधारे और उसकी पूरे मन के साथ पूजा की।
पूजा के बाद गुणवती का विवाह हुआ और सप्तपदी होते ही गुणवती के पति की अकाल मृत्यु हो गई और फिर इसके बाद सोमा धोबिन ने गुणवती को अपने पुण्य का फल दान कर दिया, जिसके बाद उसका पाती वापस जीवित हो गया। इसके बाद सोमा ने देवस्वामी की पुत्री गुणवती और उसके पति को आशीर्वाद दे कर घर लौट आई। सोमा का पुण्य चले जाने से उसके पति, पुत्र और दामाद की अकाल मृत्यु हो गई। जिसके बाद सोमा ने एक नदी किनारे स्थित एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा – अर्चना की और फिर उस वृक्ष की 108 बाद परिक्रमा की, जिसके बाद सोमा धोबिन के पुण्य वायस आ गए और उसके पति, पुत्र और दामाद पुनः जीवित हो गए।