फाल्गुन आमलकी एकादशी कब पूजा के दौरान इस कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश और होती है मोक्ष की प्राप्ति

फाल्गुन आमलकी एकादशी कब पूजा के दौरान इस कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश और होती है मोक्ष की प्राप्ति

आमलकी एकादशी का महत्‍व

आमलकी एकादशी का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. आमलकी यानी कि आंवला. आपको बता दें कि शास्त्रों में आंवला को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है. मान्‍यता है कि श्री हरि विष्णु ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया, उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया. आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है. इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है. मान्‍यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि विष्‍णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. मान्‍यता है कि जो लोग स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं, उनको आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए. कहते हैं कि आंवला भगवान विष्णु का प्रिय फल है. आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है।

 

आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार आमलकी एकदशी तिथि 13 मार्च सुबह 10:21 मिंट से शुरू होकर अगले दिन 14 मार्च दोपहर 12:05 मिंट तक मान्य रहेगी उदय तिथि के हिसाब से ये व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा वहीं व्रत का पारण करने के लिए शुभ समय 15 मार्च सुबह 6 :31 मिनट से लेकर सुबह 8:55 मिनट तक होगा।