shiv chalisa 2022 :-शिव चालीसा हिंदी में।

shiv chalisa 2022 :-शिव चालीसा हिंदी में।

 

जय गिरिजापति दीनदयाला सदा करत संतन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नाइके कानन कुण्डल नाग फनी के


अंग गौर शिर गंग बहाये मुण्डमाल तन छार लगाये।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे छवि को देखि नाग मन मोहे।

मेना मातु की हवे दुलारी बाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छविभारी करत सदा शत्रुन क्षयकारी।

shiv chalisa paath on every monday fulfill all wishes shiv ji ka jaap mantra sry | Shiv Chalisa: सोमवार के दिन करें शिव चालीसा का पाठ, मिलेगी भोलेनाथ की अपार कृपा

नंदी गणेश सोहै तहाँ कैसे सागर मध्य कमल है जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ या छवि को कहि जात न काउ।

देवन जबहि जाय पुकारा तबहि दुख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भरी देवन सब मिली तुम्ही जुहारी।

तुरत षडानन आप पठायउ लव निमेष मह मारि गिराऊ।
आप जलंधर असुर सहारा सुयश तुम्हरा विदित संसारा।

त्रिपुरासुर सं युद्ध मचाई तबहि कृपा कर लीन बचाई।
किया तपाहि भगीरथ भारी पूरव प्रतिज्ञा तासु पुररी।

दनिन मह तुम सम कोई नहीं सेवक स्तुति करत सदाहीं।
वेद नाम महिमा तब गई अकथ आनंदी भेद नहीं पाई।

परगठि उददी मथन में ज्वाला जरत सुरासुर भए विहाला।
कीन्ह दया तह कृ शहाई नीलकण्ड तव नाम कहाई।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा जीत जीत के लंक विभीषण दीन्हा।
सहस कमल में हो रहे धारी लीन्ह परीक्षा तबहि पुरारी।

सहस कमल प्रभु राखेउ जोई कमल नेन पूजन चहु सोई।
कठिन भक्ति देखि प्रभु शंकर भए प्रसन्न दिए ईछित वर।

जय जय जय अनन्त अविनशि करत कृपा घट घट के वासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावे भम्रत रहे मोहि चेन न आवै।

त्राहि-त्राहि में नाथ पुकारों यहि अवसर मोहि आन उबारो।
ले त्रिभुज शत्रुन को मारो संकंट ते मोहि आन उबारो।

मात-पिता भर्ता सब कोई संकट में पूछत नहीं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हरी आय हरहु मम संकट भारी।

धन निधर्न को देत सदा ही जो कोई जांचे सो फल पाही।
स्तुति केहि विधि करू तुम्हरी क्षमुह नाथ अब चूक हमारी।

योगी यति मुनि ध्यान लगावें नारद शारद शीशा नवावे।
नमो नमो जे नम शिवाये सुर भरहादिक पार न पाये।

जो यह पाठ करे मन लाई ता पर होत है शम्भू सहाई।
श्रण जो कोई हो हमरी पाठ करे सो पावन हारी।

पुत्र होंन की इच्छा जोई निश्चय शिवप्रसाद तेहि होइ।
पंडित त्रयोदशी को घर लावे ध्यानपूर्वक हवन करावे।

त्रयोदशी व्रत करे हमेशा तन नहीं ताके रहे कलेशा।
शंकर समुख पाठ सुनावे मनकर्म वचन से ध्यान लगावे।

जन्म जन्म के पाप तुम्हरी जान सकल दुःख हरहु हमारी।

 

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