Diwali 2021:- दीवाली की रात 1 दीपक जलाकर गरीब से गरीब भी बन सकते है. धनवान।
एक बार सनतकुमार ने ऋषि-मुनियों इ कहा-महानुभाव कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को प्रात: काल स्नान करके भक्तिपूर्वक पितर तथा देव पूजन करना चाहिए उस दिन रोगी तथा बालक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए सायंकाल विधिपूर्वक लक्ष्मी का मंडप बनाकर उसे फूल, पत्ते, तोरण, ध्वजा और पताका आदि से सुसज्जित करना चाहिए अन्य देवी-पूजनोपरंत परिक्रमा करनी चाहिए।
मुनिश्ररों ने पूछा-लक्ष्मी का पौषशोपचार पूजन के साथ अन्य देवी-देवताओं के पूजन का क्या कारन है।
संतकुमारजी बोले-लक्ष्मीजी समस्त देवी-देवताओं के साथ राजा बलि के यहाँ बंधक थी तब आज ही के दिन भगवान विष्णु ने उन सबको कैद से छुड़ाया था बंधन मुक्त होते ही सब देवता लक्ष्मीजी के साथ जाकर श्रीरसागर में सो गए इसलिए अब हमे अपने-अपने घरो में उनके शयन का ऐसा प्रबंध करना चाहिए की वे श्रीरसागर की ओर न जाकर स्वच्छ स्थान और कोमल शय्या पाकर यहीं विश्राम करें जो लगा लाक्स्मीजीके स्वागत की तैयारियां उत्साहपूर्वक करते है उनको छोड़कर वे कहीं भी नहीं जाती।
रात्रि के समय लक्ष्मीजी का आवाहन और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें विविध प्रकार के मिष्ठान का नैवेद्य अपर्ण करना चाहिए दीपक जलाने चाहिए दीपकों को सर्वनिष्ठ निवृति हेतु अपने मास्तक पर घुमाकर चौराहे या श्मशान में रखना चाहिए।
दीपावली के संदर्भ में माता लक्ष्मी की यह कथा प्रचलित है एक बार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी विचरण कर रही थी तभी वह रास्ता भूल गई हर ओर अँधेरा था पृथ्वी लोक पर हर कोई सो रहा था घर के दरवाजे बंद थे माता लक्ष्मी भर्मण करते हुआ एक वृद्ध महिला के घर पहुँची जो चरखा चला रही थी उसने माता लक्ष्मी को विश्राम करने के लिए बिस्तर आदि की व्यवस्था की जहां पर माता लक्ष्मी ने आराम किया।
इस दौरान वह वर्दा अपने काम में व्यस्त रही काम करते-करते वह सो गई जब उसकी आंख खुली तो उसकी कुटिया की जगह महल बन गया था उसके घर में धन-धान्य के अतिरिक्त सभी चीजे मौजूद थी किसी चीज की कमी नहीं थी माता लक्ष्मी वहां से कब चली गई थी उसे वृद्ध महिला को पता ही नहीं चल पाया था माता लक्ष्मी उस महिला की सेवा से प्रस्सन होकर उस पर कृपा की थी उसके बाद से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में प्रकाशोतस्व करने की परम्परा शुरू हो गई इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए लोग अपने घरों के द्वार खोलकर रखने लगे।
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कथा के अनुसार, एक गांव में साहूकारा। उसकी जो पीपल के फल पर फल लगते थे, उस पेड़ पर माता लक्ष्मी का वास था। लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा कि वह एक अच्छे दोस्त की तरह है। गर्ल ने जवाब दिया कि वह अपनी देखभाल कर रहे थे। घर में साहूकार की बेटी ने नई संख्या चील की। बेटी की बात साहूकार ने। लक्ष्मीजी को सहेली ने बनाया है। अकॉर्डिन्स. लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले एक। लक्ष्मी जी ने अपनी घर में साहूकार की पुत्री का भागी अदर और परोसे। जब साहूकार की बेटी ने अपने घर में ही लक्ष्मी जी ने कहा था कि वह अपने घर के सदस्य के रूप में। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर, इस स्थिति को ठीक से पहचाना गया है।
साहूकार अपनी बेटी की समझ के बारे में। अपनी बेटी को समझाते हुए कहा कि वह दोहराए घर की साफा-सफाई चौका डामर से दे। चार बत्ती वाला दिया लक्ष्मी जी के नाम से काम के लिए भी साहूकार ने अपनी बेटी से कहा। एक ही समय में रानी काजलखारी साहूकार के घर आ गया। साहूकार की पुत्री ने रख-रखाव की व्यवस्था की। हील के लिए माँ लक्ष्मी गणेश के साथ साहूकार के घर और साहूकार के परिचय से प्रसन्नता . लक्ष्मी जी की साहूकार के बाहरी व्यक्ति की अच्छी दिखने वाली पोशाक न हों। घर के ऋणात्मक संतुलन और रेटीद्रता आउट पेशेंट है। लक्ष्मी लक्ष्मी दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक एलईडी हनुमानजी की आरती करें। किसी भी भौम में हनुमान जी भी हो सकते हैं। भोजन सभी प्रकार के पूर्ण होना चाहिए। खंडित सरसों पर चढ़ा।4. दीपावली पर महालक्ष्मी की पोली निगरानी भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा प्रकाशक से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। ️ धन️ धन️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ दीपावली पर महालक्ष्मी की पोली निगरानी भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा प्रकाशक से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। ️ धन️ धन️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ दीपावली पर महालक्ष्मी की पोली निगरानी भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा प्रकाशक से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। ️
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त :-
दीपावली पूजा के शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजे से 7:30 (शुभ) प्रातः: 10:30 से सुबह 3 बजे तक (चर, लाभ, अमृत) शाम 6 बजे से 9 बजे तक (अमृत,चर) प्रदोषकाल काल मुहूर्त-शाम 5:43 से 8:18
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