Ekarthak shabd in Hindi
एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
बहुत से शब्द एक जैसे अर्थ वाले लगते है, परंतु अगर उन सभी शब्दों पर गौर दिया जाये तो उनके अर्थ में अंतर साफ दिखाई देता है। इन शब्दों के प्रयोग के लिए सभी छात्रों को इनकी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। हर एक भाषा में अनेक पर्यायवाची शब्द होते है, परंतु उनमे थोड़ा-बहुत अंतर अवश्य होता हैँ। हिंदी में प्रचलित इस प्रकार के कुछ शब्द निम्नलिखित है :
- अस्त्र : जिन हतियारो को फेंककर चलाया जाता है।
- अभिमान : अपनी संपति या श्रेष्ठ्ता के कारण स्वयं को बड़ा समझना।
अहंकार : झूठा घमंड।
- शस्त्र : जिनको हाथ में पकड़ कर चलाया जाता है।
अमूल्य : जिसका कोई मूल्य न हो।
बहुमूल्य : अत्यधिक कीमत वाली या साधारण से अधिक मूल्य वाली वस्तु।
- अधिक : आवश्यकता से अधिक।
पर्याप्त : आवश्यकता के अनुसार।
- अनिवार्य : जिसके बिना कार्य संभव न हो सके, जिसका कोई विकल्प न हो।
आवश्यक : ज़रूरी।
- अभिवादन : किसी को प्रणाम या नमस्कार करना।
अभिनन्दन : किसी का प्रसंसापूर्वक विधिवत सम्मान।
स्वागत : किसी के आगमन पर लोक मर्यादा के अनुसार सम्मान प्रदान करना इसमें आतिथ्य का भाव रहता हो।
- अद्वितीय : जिसके सामान कोई दूसरा न हो।
अनुपम : जिसकी किसी से समनता न की जा सके।
- अपराध : कानून या नियम के विरुद्ध, जिसका विधिवत दंड होता है।
पाप : अनैतिक काम, जो सामन्यतः अनुचित या निंदा के योग्य मन जाता है, कानून में उसका दंड नहीं भी हो सकता।
- राजा : किसी विशेष देश का स्वामी।
सम्राट : राजाओं का राजा।
- निर्बल : जिसमे उपयुक्त बल का आभाव हो।
दुर्बल : जिसमे रोगादि के कारन बल में कमी हो।
- आराधना : देव के नकट दया-याचना करना।
भजन : ईश्वर और देव का मानसिक जप आदि।
- न्याय : सच-झूट का सही-सही फैसला।
निर्णय : फैसला, चाहे वह सही हो या गलत।
- आवेदन : निर्धारित और वांछित योग्यताओं के आधार पर किसी पद या कार्य के लिए विचारार्थ भेजा गया पत्र।
अनुमति : माँगे जाने पर अपने से छोटों या अधीनस्थ को किसी कार्य के लिए सहमति देना।
- आशा : प्राप्ति की संभावना के साथ इच्छा का समन्वय।
इच्छा : किसी वास्तु के प्रति मन की लगन का भाव, चाहना।
- प्रेम : लगाव के कारण उत्पन्न अपनापन।
परिणय : विवाह।
प्रणय : पति-पत्नी अथवा प्रेमी-प्रेमिकाओं का आपसी लगाव।
- अर्चना : देव की धुप, दीप, फूल आदि से की जाने वाली पूजा।
पूजा : भक्तिपूर्ण विनती।
- अवस्था : वय, उम्र।
आयु : संपूर्ण जीवन-काल।
- आमंत्रण : किसी अवसर पर सम्मिलित होंने की प्रार्थना।
निमंत्रण : भोजनादि के अवसर पर बुलाना।
- कष्ट : सभी प्रकार के दुःख।
क्लेश : मानसिक दुःख।
- आधि : मानसिक पीड़ा।
व्याधि : शारीरिक पीड़ा।
- श्रम : केवल शारीरिक शक्ति से काम करना।
परिश्रम : शरीर और मन से कोई काम करना।
- पुरस्कार : किसी भी अच्छे काम हेतु दिया गया इनाम।
पारितोषिक : किसी प्रतियोगिता अथवा परीक्षा आदि में प्रदर्शित श्रेष्ठ्ता पर दिया जाने वाला इनाम।
- अनुनय : किसी बात पर सहमत होने के लिए मानना
विनय : अनुसाशन एवं शिष्टतापूर्ण निवेदन।
- मत : एक विचार को मानाने वाला समूह।
धर्म : कर्तव्य तथा अकर्तव्य का भेद बताने वाले नियम।
- वात्सल्य : छोटे प्रति बड़ो का स्नेह।
भक्ति : छोटों का बड़ो के प्रति श्रद्धा समन्वित प्रेम, विशेषकर ईश्वर के प्रति।
- सेवा : टहल, पूजा, चाकरी, सेवा करना।
सुश्रूता : रोगी की सेवा।
- मूक : गुँगा, जो बोल न सके।
मौन : चुप रहना, बोलने की इच्छा न करना।
- वन : प्रकृति द्वारा निर्मित क्रमहीना वृक्ष लतादि से आच्छादित भूमि।
उपवन : मानव द्वारा निर्मित वृक्ष लतादि का समूह, उद्यान।
- मुनि : धर्म और धर्म तत्तवो पर विचार करने वाला।
ऋषि : वेदमंत्रों का प्रकांड पंडित एवं व्याख्याता, वेद मंत्रो का सृष्टा या लेखक।
- संतोष : जितना प्राप्त हो सके उससे अधिक न चाहते हुए उसी में प्रसन्न रहना।
तृप्ति : यथेष्ट प्राप्ति पर इच्छा पूरी होना।
- स्वागत : किसी के के आगमन पर सम्मान।
अभिनंदन : अपने से बड़ो का विधिवत सम्मान।
- महिला : कुलीन घराने की स्त्री।
पत्नी : अपनी विवाहित स्त्री।
- वध : प्रकट रूप से दुष्टों को मार डालना।
हत्या : छिपकर किसी को मारना।
- नमस्कार : समान अवस्था वालों को।
प्रणाम : अपने से बड़ो को।
- अग्रज : बड़ा भाई।
अनुज : छोटा भाई।