Hanuman Jayanti 2021 Kab Hai : 27 अप्रैल 2021 हनुमान जयंती व्रत पूजा विधि, मंत्र, उपाय, नियम, महत्व !
हनुमान जी को शिव जी का 11वा अवतार माना जाता है। हिंदू मान्यता अनुसार रफ्तार माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। ग्रंथों के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था। हनुमान जी के जन्म का वर्णन वायु पुराण में किया गया है क्योंकि हनुमान जी का जन्म पूर्णिमा की रात्रि में हुआ था इसलिए मान्यता है कि पूर्णिमा काल की अवधि में हनुमान जी की पूजा संपन्न करना शुभ है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती के अवसर पर रात्रि के समय हनुमान जी पूजा अत्यंत फलदाई होती है। इतना ही नहीं इस समय में हनुमत आराधना हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी कलयुग में भी जीवित देवता है। हनुमान जयंती पर व्रत करने और बजरंगबली की पूजा करने से दुश्मनों से जीत मिलती है। इसके साथ ही हर मनोकामना भी पूरी होती है।
अब बात करते हैं इसकी पूजा विधि के इस व्रत को करने वाले पूर्व रात्रि ब्रह्मचर्य का पालन करें। जमीन पर सोना ज्यादा अच्छा है। जमीर पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता जी के साथ हनुमान जी का भी स्मरण करें। वह दिन भी शुभ मुहूर्त में उठ कर राम और सीता के साथ हनुमान जी का विवरण करें। इसके बाद नाहा कर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर भगवान राम और सीता माता के साथ हनुमान जी को स्थापित करें। हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें और अपनी मनोकामना भगवान जी से कहें।चाहे तो आप सुबह साधारण पूजा कर और संध्या काल में मतलब सूर्य अस्त के बाद विधिवत पूजा करें या फिर सुबह विधिवत पूजा करने के बाद संध्या काल में दीपक जलाकर हनुमान जी की आरती करें। क्योंकि सूर्य अस्त के बाद हनुमान जी की पूजा का बड़ा महत्व है पूजा करते समय मंत्र का उच्चारण जरूर करें तीन मंत्र मैं आपको बता रही हूं इनमें से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते है।
पूजा करते समय उच्चारण करें यह तीन मंत्र है ओम श्री हनुमते नमः , ओम रामदूत आए नमः , ओम पवन पुत्र आए नमः पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ हो और आप एक मोटे आसन पर बैठकर पूजा करें शुद्ध देसी घी का तिल के तेल का दीपक जलाएं धूप चलाएं। पहले भगवान राम और माता सीता की पूजा करें उसके बाद भगवान हनुमान जी की करें। पानी का छींटा देते हुए स्नान कराएं। उन्हीं लाल फूल सिंधु तुलसी के पत्ते लाल वस्त्र चढ़ाएं।
चमेली का तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हल के चीते दे दे। इसके बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें फिर बताया गया मंत्रों का किसी भी मंत्रों का 108 बार जाप करें। आरती करें और भोग लगाएं। भोग आप गुड़ चने या बूंदी के लड्डू का भी लगा सकते हैं। मंगल कामना के लिए निवृत्ति का भी भूख लगाया जा सकता है। पूरे दिन मन ही मन राम नाम का जाप करते रहे। अब देवों के बारे में बात करते हैं ब्रह्मचर्य का पालन करें। मांस मच्छी से दूर रहें। दोनों समय पूजा करते समय स्वच्छता का ध्यान रहे। नहाने के बाद साथ खुले कपड़े पहने और पूजा करते समय लाल या पीले वस्त्र पहने।
हनुमान जयंती के समय जो व्रत रहे हैं वो नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। एक समय का भोजन ही लेना है। मान्यता यह है कि इस मिठाई का आप दान कर रहे हैं उस मिठाई को आप स्वयं खा नहीं सकते। अगर सूतक है तो हनुमान जयंती के दिन ना तो हनुमान जी का व्रत रखे और ना ही उनकी पूजा करें। मतलब जब घर में किसी की मौत हो जाती है तो या बच्चे का जन्म होता है तो सूतक कहा जाता है सूतक के दौरान भगवान पूजा करने की मनाई है। भगवान हनुमान जी की उपासना में चंद्र अमृत का सेवन नहीं किया जाता।
सूर्य अस्त के समय हनुमान जी की पूजा करना शुभ माना जाता है। स्त्रियों के लिए कुछ विशेष नियम है। मान्यता है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और रहते थे और स्त्रियों के ट्रस्ट से दूर रहते थे। मान्यता के अनुसार पूजा करते समय महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर वस्त्र ना चढ़ाएं और बजरंग पाठ का जागना करें। व्रत के समय हनुमान जी की मूर्ति का स्पष्ट ना करें सोने से पहले सम क्षमा याचना जरूर करें अगर किसी मुश्किल में पड़ गए हैं निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है ग्रह दोष से बचने के लिए दुर्घटनाओं से बचने के लिए।
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