Hindi kaal
काल
मिम्नलिखित वाकयों में सही से पढ़िए :
राम ने रावण को वध किया था।
पिछले सप्ताह हम मेले गए थे।
हम स्कूल जा रहे है।
मैं रोटी खा खाता हूँ।
हम रेलगाड़ी से शिमला जाएँगे।
हम लाल किला देखने जाएँगे।
इन वाक्यों में ‘वध किया था’, ‘गए थे’, ‘जा रहे है’, ‘खाता हूँ’, ‘जाएँगे’, तथा ‘देखने जाएँगे’ क्रियाएँ अलग-अलग समय का बोध करा रही हैं।
‘वध किया था’ तथा ‘गए थे’ क्रिया-पदों से कार्य के पूरा होने क बोध होता है। ‘जा रहे हैं’, तथा खता हूँ’ क्रिया पदों से बोध होता है की कार्य अभी हो रहा है। ‘जाएँगे’ तथा ‘देखने जाएँगे’ क्रिया-पदों से बोध होता है की कार्य अभी हुआ नहीं है, आने वाले समय में होगा। अतः हम कह सकते हैं कि –
क्रिया के वे रूप जिनसे कार्य के होने के समय का बोध होता है, उन्हें काल कहते हैं।
काल के भेद :
क्रिया के निम्नलिखित तीन काल होते हैं।
- भूत काल
- वर्तमान काल
- भविष्य काल
- भूतकाल : क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय में क्रिया का करना या होना प्रकट हो, वह भूतकाल कहलाता है।
क. यतिन ने निबंध याद किया था।
ख. मोहन ने कहानी सुनी थी।
इन वाक्यों में ‘याद किया था’, क्रियाओं से बीते हुए समय का बोध होता है। ये भूतकाल की क्रियाएँ हैं। भूतकाल के छह भेद हैं :
(i) सामान्य भूत
(ii) आसन्न भूत
(iii) पूर्ण भूत
(iv) अपूर्ण भूत
(v) संदिग्ध भूत
(vi) हेतुहेतुमद भूत
(i) सामान्य भूत : क्रिया के जिस रूप से कार्य के संपन्न होने बोध तो होता है परंतु समय का निश्चित बोध नहीं होता। इस प्रकार की क्रियाएँ सामान्य भूत कहलाती है ; जैसे –
नेहा ने पुस्तक पढ़ ली।
खेल समाप्त हो गया।
(ii) आसन्न भूत : क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य अभी-अभी समाप्त हुआ है। इनमे कार्य भूत काल में आरंभ होता है, किंतु उसकी समाप्ति वर्तमान काल में होती है ; जैसे –
मेने खाना खा लिया।
रमा बाजार से आ गई है।
(iii) पूर्ण भूत : जिन क्रियाओं से कार्य की पूर्णता का बोध होता है अर्थात कार्य भूतकाल में पूरा हो चूका है। इस प्रकार की क्रियाएँ पूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ कहलाती हैं ; जैसे –
नेह वर्षा आरंभ होने से पहले ही विद्यालय पहुँच चुकी थी।
हनुमान सुरक्षा के मुख से बाहर निकल आए।
(iv) अपूर्ण भूत : जिन क्रिया-पदों से पता चलता है की क्रिया भूतकाल में हो रही थी, परन्तु यह नहीं पता चलता की कार्य पूरा हुआ या नहीं।
इस प्रकार के क्रिया-पद अपूर्ण भूतकाल को प्रकट करते हैं ; जैसे –
रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था।
यतिन स्कूल जा रहा था।
(v) संदिग्ध भूत : जिन क्रिया-पदों से कार्य के पूर्ण होने में संदेह हो, वे संदिग्ध भूत कहलाते हैं ; जैसे –
मोहन ने खाना खा लिया होगा।
मेरी अध्यापक ने उत्तर-पुस्तिकाएँ जाँच ली होंगी।
(vi) हेतुहेतुमद भूत : जिन क्रिया-पदों से भूतकाल में क्रिया के होने का संकेत तो मिलता है किंतु क्रियाएँ हो नहीं पातीं। इन क्रिया-पदों को हेतुहेतुमद भूत कहते हैं ; जैसे –
यदि तुम आ जाते तो मैं अवश्य चलता।
अगर वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
- वर्तमान काल : क्रिया के जिस रूप से कार्य के वर्तमान समय में होने का बोध हो, उसे वर्तमान काल कहते हैं।
लोग बस में चढ़ रहे हैं।
बच्चे खेल रहे हैं।
ऊपर लिखे वाक्यों में ‘चढ़ रहे हैं’ क्रियाओं से कार्य वर्तमान समय में होने का बोध का बोध हो रहा है। अतः ये उदाहरण वर्तमान काल के हैं।
वर्तमान काल के भेद :
वर्तमान काल के मुख्यत: तीन भेद हैं :
(i) सामान्य वर्तमान
(ii) अपूर्ण वर्तमान
(iii) संदिग्ध वर्तमान
(i) सामान्य वर्तमान : क्रिया के जिस रूप से कार्य के वर्तमान काल में होने का बोध हो, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है ; जैसे –
क. चमन पाठ पढता है ख. वे विद्यालय जाते हैं।
(ii) अपूर्ण वर्तमान : जिस क्रिया के द्वारा यह पता चले की कार्य वर्तमान काल में शुरू हुआ है तथा अभी समाप्त नहीं हुआ है, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते है ; जैसे –
क. माताजी कपडे धो रही हैं। ख. नेहा पढ़ रही है।
(iii) संदिग्ध वर्तमान : क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में क्रिया के होने का संदेह हो, उसे संदिग्ध वर्तमान कहते है।
क. पिताजी आ रहे है। ख. नेहा पढ़ती होगी।
भविष्यत् काल : क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में उसके करने या होने का बोध हो, उसे भविष्यत् काल कहते है।
चमन कहनी सुनेगा जब हम स्टेशन पर पहुँचेंगे तब गाड़ी चलेगी।
इन वाक्यों में ‘सुनेगा’, ‘पहुंचेंगे’, तथा ‘चलेगी’ क्रियाएँ आने वाले समय में होने का संकेत दे रही हैं। अतः ये सभी उदाहरण भविष्यत् काल के हैं।
भविष्यत् काल के भेद :
भविष्यत् काल के दो भेद हैं :
(i) सामान्य भविष्यत्
(ii) संभाव्य भविष्यत्
(i) सामान्य भविष्यत् : क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में उसके करने या होने का बोध हो, उसे सामान्य भविष्यत् काल कहते है ; जैसे –
क. हम निबंध लिखेंगे। ख. कल कार्यलय बंद रहेगा।
(ii) संभाव्य भविष्यत् : क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में कार्य के पूर्ण होने में संदेह या संभावना पाई जाए, उसे संभाव्य भविष्यत् कहते है ; जैसे –
क. शायद परसो मेरी दीदी आए। ख. संभव है हमारा विद्यालय भी बंद रहे।