कार्तिक पूर्णिमा वर्ष 2020: कब है देवों की दीवाली, जाने कथा, शुभ मुहूर्त और महत्व
हिन्दू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यतानुसार कार्तिक मॉस की पूर्णिमा की रात को देवताओं के दिवाली की रात मानी जाती है। इस दिन कीड़ी भी नदी या झील में नहाने से इंसान के पाप धूल कर मिट जाते है। कार्तिक मास पूर्णिमा के दिन दान करने से देवता अपना आशीर्वाद भेजते है।
कार्तिक मास पूर्णिमा की कथा:-
मान्यतानुसार एक दिन महर्षि विश्वामित्र जी ने देवताओं को चुनौती दे दी, की हम तुम्हारी सत्ता जीत लेंगे। फिर उन्होंने अपनी तपस्या के दम पर त्रिशंकु को पुरे शरीर सहित स्वर्गलोक भेज दिया। ऐसा होते हुए देख सभी देवता हैरान – परेशान हो गए। इसके पश्चात् देवता त्रिशंकु को वापस पृथ्वी पर भेज दिया, ऐसा देख विश्वामित्र क्रोधित हो गए और उन्होंने इसे अपना अपमान समझ लिया। विश्वामित्र को ऐसा बिल्कुल स्वीकार न था। जिसके बाद महर्षि विश्वामित्र ने अपनी तपस्या से त्रिशंकु को हवा में ही रोक दिया और स्वर्ग एवं सृष्टि की नई रचना प्रारम्भ कर दी, जिसे देख देवता काँप उठे। इसके बाद देवता ने विश्वामित्र को मानाने और अपनी गलती स्वीकार करने की प्राथना शुरू की। इसके बाद विश्वामित्र मान गए और देवता इस कार्य में सफल हो गए और महर्षि विश्वामित्र ने नए स्वर्ग और सृष्टि की रचना पर रोक लगा दी। जिसके बाद सभी देवताओं ने दिवाली मनाई और बहुत प्रसन्न हुए और इस दिन को देवताओं की दिवाली का नाम दिया गया।
कार्तिक पूर्णिमा 2020 तिथि एवं शुभ मुहूर्त:-
कार्तिक पूर्णिमा तिथि – 30 नवंबर को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा का आरंभ – 29 नवंबर को दोपहर 12:47 बजे से।
कार्तिक पूर्णिमा की समाप्ति – 30 नवंबर को दोपहर 2:59 तक।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व:-
पौराणिक कथानुसार, एक बार भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार धारण किया। फिर भगवान शिव ने एक अत्याचारी राक्षस को मार दिया जिसका नाम त्रिपुरासुर था। जिससे पूर्णिमा का एक और नाम त्रिपुरी पूर्णिमा पड़ गया। इस प्रकार भगवन शिव ने अत्याचार करने वाले एक और राक्षश को मार दिया। इन सब के कारन देवता खुश हुए और खुशी में दिवाली मनाई।