7 मई वरुथिनी एकादशी तिथि, पारण मुहूर्त, व्रत नियम, पूजा विधि एवं कथा !
आज हम वरुधिनी एकादशी के बारे में बात करने वाले हैं। वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को करने से संपूर्ण सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही वरुथिनी एकादशी करने से 10000 सालों तक की गई तपस्या का फल की प्राप्ति होती है। इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत किस दिन किया जाएगा , व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है ,वरुथिनी एकादशी पूजा की विधि और इसके नियम क्या है। इस दिन आप किस मंत्र का जप करें और वरुथिनी एकादशी की कथा क्या है। अगर किन्ही कारणों से एकादशी का व्रत नहीं रख सकते तो आप इस दिन माता लक्ष्मी और माता विष्णु की संपूर्ण कृपा प्राप्ति के लिए, सौभाग्य प्राप्ति के लिए परम सिद्धि के लिए कौन से छोटे-छोटे उपाय कर सकते हैं। यह सारी चीजें आज इस लेख में बताने जा रहे हैं इसलिए को पूरा पढ़ें।
दोस्तों हिंदू धर्म में एकादशी का अत्यंत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है और वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है और इसके बारे में यह मान्यता है कि एकादशी का व्रत संपूर्ण सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत है। इस व्रत को करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वरुथिनी एकादशी को करने से मनुष्य को 10000 साल तक की तपस्याओं का फल प्राप्त होता है। एकादशी व्रत की महिमा का पता इसी बात से चलता है की सभी दानों में श्रेष्ठ दान तिल के दान का महत्व बताया गया है। और तिल दान से श्रेष्ठ के दान को स्वर्ण के धान को विशेष कहा जाता है। परंतु सवर्ण दान से अधिक एकादशी का व्रत करने के उपरांत जिस फल की प्राप्ति होती है उसको माना गया है। जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु की संपूर्ण कृपा प्राप्त करना चाहे वह एकादशी का व्रत पूरी विधि विधान से और भक्ति भावना से करें। एकादशी व्रत के दिन जुआ खेलना निंदा करना पान दातुन का सेवन करना ,चोरी ,हिंसा ,मेन ,लीन रहना का काम भावना में लीन लेना, क्रोध करना झूठ बोलना ,इन सभी का त्याग करने से महत्व है।
अगर आप एकादशी व्रत करने की सोच रहे हैं। तो आपको नियमों का पालन 1 दिन पहले से ही करना होगा। आप दशमी तिथि को ही सर धोकर नहा ले शुद्ध हो जाए दशमी तिथि से ही सारी सात्विक भोजन करें दशमी तिथि को शाम के समय भोजन कर ले रात को ना करें रात में सोने से पहले अच्छी तरीके से दातुन कर ले ताकि मुख में ताकि मुख में आन का उनका एक भी दाना ना रहता है सोने से पहले भगवान विष्णु का स्मरण करें और उनसे प्रार्थना करें एकादशी का व्रत करने जा रहे हैं भगवान विष्णु ऐसी कृपा करना कि आप एकादशी का व्रत सफल हो और भगवान की आपको कृपा प्राप्त हो जिस दिन आपका व्रत है यानी एकादशी तिथि सुबह सवेरे जल्दी उठकर के दिन सारे कामों से होकर नेत्र होकर स्नान आदि कर कर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें और स्नान के पश्चात भगवान सूर्यनारायण को को जल अवश्य दें और सूर्य को जल देने के पश्चात अब आपको भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी है इसके लिए जहां पर आपका पूजा घर है स्थान को आप साफ कर ले अब वहां एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर के भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक मूर्ति या फोटो स्थापित करें अब चौकी के सामने एक आसन बिछाकर के बैठ जाए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का हाथ जोड़ करके ध्यान करें उनसे यह आग्रह करें कि कि उनके घर में पधारे उनकी प्रार्थना स्वीकार करें और पूजा का शुभ फल प्राप्त हो ऐसी आप पर कृपा करें।
उसके बाद आपको भगवान विष्णु को स्नान कराना है पहले गंगा जल संस्थान कराएं पंचामृत से स्नान कराएं भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत जरूर प्यार कर ले पंचामृत याद करने के लिए गाय के कच्चे दूध में थोड़ा साथ है थोड़ा सा भी दही चौधरी शुद्ध घी दही शहद और शक्कर मिलाकर के पंचामृत तैयार कर ले उससे भगवान विष्णु को स्नान करें उसके बाद फिर से शुद्ध जल अर्थात गंगा जल से स्नान करें भगवान विष्णु को टीका चंदन हल्दी कुमकुम अर्पित करें पीले रंग के पुष्प अर्पित करें वस्त्र अर्पित करें उनको धूप दीप दिखाएं जो प्रसाद आपने लिया है वह निर्मित करें फल अर्पित करें अकेला अर्पित करें जो फल के रूप में अति उत्तम होता है उसके बाद आप पान अर्पित करें इस प्रकार से पूजा करने के पश्चात एकादशी व्रत करने का संकल्प लेना है हाथ में थोड़े से पुष्प और जल साथ में ₹1 का सिक्का लेकर के एकादशी व्रत करने का संकल्प लें मन ही मन अगर आपकी कोई मनोकामना है उससे कहे भगवान आपकी पूजा सफल करें ऐसी आप प्रार्थना करें अगर पूजा में कोई गलती हो तो उसके लिए भगवान सब क्षमा करें ऐसा कहते हुए आपने जो हाथ में चीज देनी है वह भगवान को अर्पित कर दे।
अब भगवान विष्णु की आरती करनी है। आप भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग जरूर करें तो एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़ी जाती तो उसे एक दिन पहले ही तोड़ के रख ले और तुलसी का प्रयोग का भगवान विष्णु की पूजा में कर सकते हैं इस प्रकार से पूजा करने के बाद आपको एकादशी व्रत की कथा सुननी होती है भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना होता है कम से कम 108 बार अर्थात एक माला ओम नमो वासुदेवाय नमः का जाप करना होता है आप विष्णु इस दिन आप विष्णु नाम का भी पाठ कर सकते हैं इस दिन आप पुरुष शब्द का जप कर सकते हैं पूर्व शब्द का जा सके और इसके बाद आप भगवान विष्णु की आरती करनी है और क्षमा प्रार्थना करना है इस प्रकार से पूजा करने के बाद सारे दिन आपको फलाहार करना है शाम के दिन फिर से आपको भगवान विष्णु की पूजा करनी है और पूरे दिन फलाहार करना है एकादशी के दिन रात्रि जागरण का भी बहुत महत्व है तो हो सके आप रात्रि को रात्रि जागरण भी करें भजन कीर्तन करते रहे भगवान का नाम लेते रहे मंत्रों का जप करते रहे और द्वादशी तिथि को भी सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें इस प्रकार से पूजा करने के बाद आपको एकादशी व्रत का पालन करना है उसके लिए आपको पहले ब्राह्मण को दान दे। भोजन कराएं और उसके बाद आप स्वयं भी भोजन करें।
अब जान लेते हैं वरुधिनी एकादशी की तिथि पारण का शुभ मुहूर्त क्या है और इस साल अर्थात 2021 में वरुधिनी एकादशी का व्रत वर्ग किया जाएगा 7 मई शुक्रवार के दिन वही एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी 6 मई को ही दोपहर के 2:10 से और यह रहेगी 7 मई के दोपहर के 3:00 बज के 32 मिनट पर वही एकादशी व्रत का पालन किया जाएगा 8 मई शनिवार के दिन और पारण का शुभ मुहूर्त है 5:35 पर सुबह के 8:00 बज कर 16 मिनट तक द्वादशी तिथि कदवापन और यह रहेगी 7 मई के दोपहर के 3:00 बज के 32 मिनट पर वही एकादशी व्रत का पालन किया जाएगा 8 मई शनिवार के दिन और पारण का शुभ मुहूर्त है 5:35 से सुबह के 8:00 बज कर 16 मिनट तक द्वादशी तिथि द्वादशी का समापन शाम को 5:00 बजे होगा।
वरुधिनी एकादशी के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं
इनमें से एक लोकप्रिय है यह कथा राजा मांधाता की है प्राचीन काल में नर्मदा नदी के किनारे बसी राज्य पर राजा मांधाता राज करते थे एक बार वह जंगल में तपस्या कर रहे थे और उसी समय एक भालू आया और उनके पैर खाने लगा मतदाता तपस्या करते रहे ना भालू पर क्रोध किया और ना ही हिंसा का सहारा लिया पीड़ा जब असहनीय हो गई तब उन्होंने भगवान विष्णु से गुहार लगाई और भगवान विष्णु ने वहां उपस्थित होकर राजा मांधाता की रक्षा की पर भालू द्वारा पाए जाने पर राजा को अत्यंत दुख हुआ भगवान ने उनसे कहा है हे वक्त दुखी मत हो भालू ने जो तुम्हारा पैर काटा है तुम्हारे पूर्व जन्मों का बुरे कर्मों का फल है तुम मथुरा जाओ वहां वरुधिनी एकादशी का व्रत करो तो तुम्हारे आंख दोबारा पहले जैसे हो जाएंगे राजा ने भगवान विष्णु की आज्ञा का पालन किया फिर से सुंदर हो गया। इसके साथ ही दोस्तों हम एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए कुछ छोटे-छोटे उपाय जरूर करनी चाहिए। अगर आप एकादशी व्रत कर रहे हैं तो भी आप इन उपायों को कर सक अगर आप नहीं कर रहे हैं तो भी इन उपायों का प्रयोग कर सकते हैं तो आपको करना क्या है एकादशी के दिन आपको माता तुलसी की विधिवत पूजा अर्चना जरूर करनी चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करने के पश्चात माता तुलसी की पूजा अवश्य करें शाम के समय तुलसी में एक बार जरूर जलाएं उसके बाद तुमसे कि 11 बार परिक्रमा करें परिक्रमा करते हुए ओम भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते रहे।
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