मोक्षदा एकादशी वर्ष 2020

 

मोक्षदा एकादशी वर्ष 2020

 

मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। इस दिन व्रत करने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है। मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोह का नाश करने वाली। तो आइये जानते है तिथि, व्रत विधि और व्रत कथा के बारे में।

Mokshada Ekadashi – Sri Malook Peeth Vrindavan

 

मोक्षदा एकादशी व्रत मुहूर्त 2020:-

मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत – 24 दिसम्बर, 2020

मोक्षदा एकादशी समय की शुरुआत – सुबह 11:17 मिनट से

मोक्षदा एकादशी तिथि की समाप्ति – 25 दिसम्बर, 2020

मोक्षदा एकादशी समय की समाप्ति – रात 1:54 मिनट पर।

 

मोक्षदा एकादशी व्रत विधि:-

मोक्षदा एकादशी के दिन मुहूर्त से पहले उठे और स्नान कर के मंदिर की साफ़ सफाई कर लें। अब पुरे घर में गंगाजल छिड़के। फिर पूजा घर में भगवान की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं। अब उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। अब उन्हें अक्षत और रोली से तिलक करे। फूलों से भगवान की मूर्ति का स्नान करें। अब भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करें। अब भगवान गणपति, फिर माता लक्ष्मी और श्रीहरि की आरती करें।

 

मोक्षदा एकादशी कथा:-

एक बार की बात है। गोकुल नगर में वैखानस नाम का एक राजा हुआ करता था। एक रात राजा ने सपना देखा, की राजा के पिता नर्क में है और बहुत याचनाए झेल रहे है साथ ही साथ अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे है। राजा सपना देख कर व्याकुल हो गया। सुबह उठकर राजा ने अपने घर पर ब्राह्मणों को आमंत्रित किया और अपने सपने के बारे में बताया। यह सब सुन कर ब्राह्मणों ने कहा कि, यहाँ से कुछ ही दूरी पर वर्तमान, भूत, भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के एक ऋषि का आश्रम है। राजन आप वहाँ जा कर अपनी समस्या को बताएं, वह आपकी अवस्य सहायता करेंगे। राजा वैखानस ने ठीक वैसा ही करा जैसा ब्राह्मणों ने बताया। राजा वैखानस वहाँ गए और पर्वत मुनि को अपने सपने की बाद बताई। पर्वत मुनि ने कहा:- आपके पिता अपने पिछले जन्म के बुरे कर्म के कारण नर्क में है और याचनाए झेल रहे है। इसका एक उपाय है की तुम मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखो, जिसका फल तुम्हे अपने पिता को अर्पण करना होगा। ऐसा करने से तुम्हारे पिता की आत्मा को मुक्ति मिल जाएगी। अब राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, दक्षिणा अर्पित कर के आशीर्वाद माँगा। मोक्षदा एकादशी के व्रत की वजह से राजा वैखानस के पिता को मोक्ष मिल गया, जिसके बाद से अब तक मोक्षदा एकादशी का व्रत है।