सोमवती अमावस्या वर्ष 2020: पूजन विधि, महत्व और कथा

सोमवती अमावस्या वर्ष 2020: पूजन विधि, महत्व और कथा

 

इस बार सोमवार अमावस्या 14 दिसंबर 2020 को है। सोमवार अमावस्या 14 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष के दिन है। सोमवार अमावस्या हर वर्ष 2 से 3 बार आती है। इस दिन को भगवान् शिव के लिए समर्पित किया गया है। सोमवार अमावस्या के दिन लोग नदी में में स्नान करके अपने मृतक रिश्तेदारों के लिए प्राथना करते है और मृतकों की आत्मा के शांति की प्राथना करते है। साथ ही साथ मृतक रिश्तेदारों के नाम पर दान भी करते है।

 

सोमवती अमावस्या पर स्नान का महत्व :-

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मान्यतानुसार महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझते हुए कहा था की सोमवार अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ मनुष्य का शरीर स्वस्थ होता है और दुःख भी  दूर होते हैं। इसीलिए सोमवार अमावस्या का बहुत खास महत्व है।

सुहागिनों का व्रत:-

इस दिन सुहागिन महिलाऐं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और साथ ही साथ मौन व्रत भी रखती है। ऐसा करने से महिलाओं को सहस्त्र गोदान फल की भी प्राप्ति होती है। महिलाऐं इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी करती है। पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ को 108 बार धागे से लपेटते हुए पति की लंबी उम्र के लिए प्राथना भी करती है।

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सोमवती अमावस्या की पूरी कथा:-

एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सभी बेटे शादीशुदा थे। साहूकार के घर रोज एक जोगी आता था जिसे साहूकार की बहु भिक्षा देती थी। जब भी साहूकार की बेटी जोगी को भिक्ष देने आती तो जोगी भिक्षा नहीं लेता था और जोगी कहता कि तेरे भाग्य में सुहाग की जगह दुहाग है। साहूकार की बेटी को जोगी की यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। लड़की ने एक दिन अपनी मां से रोते हुए जोगी की यह बात बताई। यह सुनकर मां बोली कल जब जोगी आएगा तब में सुनती हूँ की जोगी क्या कहता है? क्यूँ कहता है?

अगले दिन जब जोगी भिक्षा मांगने साहूकार के घर आया तो लड़की भिक्षा देने जाती है और लड़की की मां चुपचाप सब देखती है। जोगी फिर उस लड़की के हाथ से भिक्षा लेने से इंकार कर देता है और वही बात दोहराता है की तेरे भाग्य में सुहाग की जगह दुहाग है। अब लड़की की मां बाहर आती है और और जोगी से कहती है की एक तो हम तुझे भिक्षा देते है और तू हमें गली देता है। जोगी ने जवाब देते हुए कहा, गाली नहीं दे रहा हूँ जो सच है वही बता रहा हूँ। लड़की के भाग्य में यही लिखा है।

यह सब सुनने के बाद लड़की की मां ने साधू से कहा की अगर आपको यह सब पता है तो इसका कोई उपाय भी पता होगा वह बताओ। जोगी ने कहा, सात – समुंदर पार एक धोबिन रहती है जिसका नाम सोना है। सोना धोबिन सोमवार अमावस्या का व्रत रखती है और वो अगर आकर इसे फल दे दे तब ही इसका दुहाग टल सकता है। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो विवाह के वक़्त सांप के काटने से इसके पति की तत्काल मृत्यु हो जाएगी। यह सब सुन मां रोने लगी और सोना धोबिन की तलाश में निकल गई।

रास्ते में चलते – चलते तेज़ धुप के कारण बहुत ज़्यादा थक गई और पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई। उसी पेड़ पर एक गरुड़ के बच्चे अपने घोसले में थे। तभी वह एक साप आया और उस गरुड़ के बच्चों पर हमला कर दिया और साहूकार की पत्नी ने उस साप को मार कर उन गरुड़ के बच्चों की जान बचा ली। कुछ समय बाद गरुड़ आई और सब जगह खून देखकर साहूकार की पत्नी पर हमला कर दिया और चोंच मरने लगी। तब साहूकार की पत्नी ने बोला एक तो मैंने तेरे बच्चों की रक्षा की और तू मुझे ही मार रही है। यह सब सुनके गरुड़ ने साहूकार की पत्नी से माफ़ी मांग कर कहा, तुझे जो मांगना है मांग।

साहूकार की पत्नी गरुड़ से कहा की मुझे सात समुंदर पार धोबिन के यहाँ छोड़ दो। गरुड़ ने ऐसा ही किया और साहूकार की पत्नी को वहाँ छोड़ दिया। अब साहूकार की पत्नी वहा पहुंच तो गई लेकिन सोचने लगी की धोबिन को व्रत के लिए कैसे मनाऊं? सोना धोबिन के सात बेटे थे और सात बहुएं थी। बहुएं घर का काम करने के लिए सदा लड़ती रहती थी। जब रात को सब सो जाते तो साहूकार की पत्नी आती और चुपके से पुरे घर का काम करके उजाला होने से पहले निकल जाती। सभी बहुएं यही सोचती रह जाती की यह सब कोनसी बहु करती है पर एक दूसरे से पूछ नहीं पाती।

एक रात को सोना धोबिन छिपकर बैठ जाती है की देखूं कोण सी बहु काम करती है। रात में साहूकारनी घर में आई और पुरे घर का आम करने लगी और काम करने के बाद निकलने लगी। तभी सोना धोबिन निकलती है और साहूकारनी से पूछती है तुम कौन हो और क्या करना चाहती हो? साहूकारनी ने कहा पहले तुम मुझे वचन दो फिर बताउंगी। धोबिन वचन दे देती है। फिर साहूकारनी कहती है कि मेरी बेटी के भाग्य में दुहाग लिखा है पर तुम सोमवार अमावस्या करती हो तो तुम मेरे साथ चलकर उसे सुहाग दे दो।

अब सोना धोबिन ने साहूकारनी के साथ चलने को हामी भर दी। फिर सोना धोबिन साहूकारनी के साथ निकलने से पहले अपने घर के सभी लोगों से कहा की में इस औरत के साथ इसकी बेटी को सुहाग देने जा रही हूँ और अगर इस बीच तुम्हारे पिताजी की मृत्यु हो जाए तो उन्हें तेल के कूपे में डाल कर रख देना। अब कुछ दिनों बाद धोबिन साहूकार के घर में पहुँच जाती है। अब साहूकारनी अपने बेटी का विवाह कराती है और फेरों के समय धोबिन अपने साथ कच्चा करवा, दूध और तार लेकर बैठ जाती है। फेरे के वक़्त एक सांप आया और दूल्हे को काटने लगा तभी धोबिन ने करवा आगे कर दिया और सांप को बाँध दिया फिर सांप मर गया। अब सोना ने लड़की को सुहाग दिया और कहा कि जितनी अमावस्याएं मैंने की है उन सभी का फल साहूकार की इस लड़की को फल मिलेगा और अब जो भी अमावस्याएं में करूँ वो फल मेरे पति व बेटों को मिलेगा।

सभी लोग सोमवती अमावस्या की जय – जयकार करने लगे। सोना धोबिन अपने घर वापिस जाने को तैयार हुई तो साहूकारनी ने कहा कि तुमने मेरे जमाई को जीवनदान दिया है इसीलिए तुम जो चाहो मांग लो। सोना धोबिन बोली कि मुझे कुछ नहीं चाहिए और वह चली गई। रस्ते में चलते हुए फिर से सोमवती अमावस्या आ गई उसने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर कहानी कही, व्रत रखा और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा की।

पीपल के पेड़ की पूजा के बाद वह घर जाती है तो देखती है कि उसका पति मरा पड़ा है। अब रास्ते में जो सोमवार अमावस्या उसने की थी उसका फल अपने पति को दे दिया जिसके कारन उस सोना धोबिन का पति फिर दे जीवित हो गया। सभी लोग कहने लगे की सोना धोबिन तूने ऐसा क्या किया की तेरा पति फिर से जीवित हो गया? सोना धोबिन ने कहा मैंने कुछ और नहीं किया बस रास्ते में सोमवती अमावस्या आ गई जिसका मैंने व्रत रखा और पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की।

जिसके बाद हर जगह ये बात फ़ैल गई की हर कोई सोमवार अमावस्या का व्रत रखेंगी, पूजा करेंगी और पीपल के वृक्ष की 108 बार करेगी।

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