सोमवती अमावस्या 2021 :- कब है.जाने ,शुभ मुहूर्त ,पूजन विधि ,और व्रत कहानी / कथा (Story ) ,सोमवती अमावस्या को करने वाले उपाय

सोमवती अमावस्या 2021 :- कब है.जाने ,शुभ मुहूर्त ,पूजन विधि ,और व्रत कहानी / कथा (Story ) ,सोमवती अमावस्या को करने वाले उपाय

हमारे हिन्दु सनातन धर्म मे सोमवती अमावस्या का बहुत ही विशेष महत्व होता है .इस दिन किया जाने वाला कोई भी पुण्य कर्म हमे हजारो गुणा फ़ल प्रदान करता है .वेसे तो हर महीने मे एक अमावस्या आती है .हर अमावस्या के दिन पितर शान्ति देवताओ के लिये तृपण आदि किया जाता है लेकिन जब कोई अमावस्या सोमवार के दिन पडती है.उसे सोमवती अमावस्या कहते है.ओर मे एक या दो बार ही र सोमवती अमावस्या आती है .इसलिये सोमवती अमावस्या अपने आप मे बहुत ही  विशेष महत्व रखती है  सोमवती अमावस्या के दिन मोन व्रत रखने /करने से सहस्त्रो गायो का दान करने का फ़्ल मिलता है.इसलिये सोमवती अमावस्या के दिन मोन व्रत जरुर से करना चाहिये .इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस लिए सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान के लिये जरूर से जाना चाहिए। लेकिन अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते है। तो अपने घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर भी स्नान कर सकते है। और उसी से हमे गंगा स्नान करने का पुण्य प्राप्त हो जाता है। गंगा स्नान करने का महत्वता हमारे शास्त्रों पुराणों में वर्णित है.

हमारे शास्त्रों में लिखा हुआ है। यदि हम माँ गंगा के  दर्शन करते है। तो हमारे सौ जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है। और गंगा जल को छू लेने से (स्पर्श )करने मात्र से 200 जन्मों का पाप नष्ट हो जाते है। और गंगा जल से स्नान या गंगा जल को ग्रहण (पीने ) से भी हमारे  हजारों जन्म -जन्मांतर का पाप नष्ट (धूल )जाते है। इतनी बड़ी महिमा है। माँ गंगा के जल की है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। और गंगा स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल जरूर से चढ़ाये।  अगर कोई व्यक्ति 100 कोस से भी दूर माँ गंगा  के नाम  उच्चारण करता है। उस व्यक्ति के समस्त पापो का नाश हो जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन माँ गंगा का ध्यान जरूर करना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन पितरो का श्राद ,तर्पण करने के लिए और पितृ शांति के लिए विशेष महत्व पूर्ण माना गया है।

सोमवती अमावस्या के दिन सभी  सुहागन महिलाओ को अपने घर -परिवार की सुख -शांति सभी  और  अपने पति की लम्बी (दीर्ध आयु ) उम्र के लिए  के पेड़ के  पूजा करती है। और व्रत भी करती(रखती ) है क्योकि पीपल के पेड़ में समस्त देवताओ का वास होता है। इसलिए पीपल के पेड़ की ही पूजा करे  और 108 पीपल के पेड़ की परिक्रमा करे। और परिक्रमा करने के लिए आप कोई भी 108 मेवा या फल ले सकते है। उसके बाद आपकी परिक्रमा पूरी होने के बाद उस प्रसाद को आप या तो किसी पंडित को दे दो या फिर किसी जरूरत मंद में बाट दो। इस प्रकार सोमवती अमावस्या की पूजा की जाती है। और इस  दिन सुहागन महिलाओ को सोमवती अमावस्या के व्रत की कहानी भी जरूर से सुनना चाहिए।

सोमवती अमावस्या की पूजन सामग्री लिस्ट :-

1 .पुष्प माला

2 .चावल (अक्षत )

3 .कलश

4 .दीपक

5 घी

6 .अगरबती

7 धूप

8 चंदन

9 रोली

10 .कलावा (मोली )

11 .श्रृंगार का चीजें (चूड़ीयां  ,बिंदी ,मेहंदी ,सिंदूर )

12 .सुपारी

13 पान के पत्ते

14 फल

15 108 मूँगफली (परिक्रमा के लिए )

16 .लाल कपड़ा

17 प्रसाद के लिए मिठाई

 

,सोमवती अमावस्या को करने वाले उपाय:-

1 सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नानं और गरीबो को दान पुण्य करने से सभी संकट दूर हो जाते है।

2 .इस  दिन सुहाग महिलाओ को सोमवती अमावस्या के व्रत की कहानी भी जरूर से सुनना चाहिए।

3 सोमवती अमावस्या के दिन सुबह नहाने के बाद चाँदी से बने नाग -नागिन की पूजा अर्चना करे और उसके सफेद फूल के साथ बहते हुये जल में प्रवाहित करने से  कालसर्प योग का दोष दूर होता है।

4 . सोमवती अमावस्या के दिन शिवलिंग को जल चढ़ाने से और ॐ नम :शिवाय का जाप करने से भी कालसर्प योग का दोष दूर हो जाता है।

 

,सोमवती अमावस्या की व्रत कथा / कहानी :-

एक साहूकार के सात बेटा -बहू और एक बेटी थी। साहूकार के घर में एक जोगी भिक्षा लेने आता था। जोगी को साहूकारनी और उसकी बहुये  भिक्षा देती तो जोगी भिक्षा ले लेता था। लेकिन जब साहूकार की बेटी जोगी को भिक्षा देती तो नहीं लेता था। और कहता था की”बाई(बेटी ) है। तो सुहागन ,पर बाई (बेटी )के भाग्य में दुहाग लिखयो है “यह बात सुनने के बाद साहूकारनी की बेटी दुबली -पतली (सूकन पड़गी ) होने लगी। तब माँ ने पूछा की बेटी तुम इतनी सुस्त (उदास )क्यों रहती हो। ,सुकी क्यों जाव है। तब बेटी ने कहाँ की एक जोगी भिक्षा लेने आता है।जो कहता है।” बेटी तेरी चुनरी में भंग है”बाई(बेटी ) है। तो सुहागन ,पर बाई (बेटी )के भाग्य में दुहाग लिखयो है ” ये सब बाते जानने के बाद साहूकारनी ने अपनी बेटी से कहाँ कि मै कल सुनुगी। माँ (साहूकारनी ) छुपकर बैठ गई।और तब  जोगी भिक्षा लेने आया,और तब साहूकार की बेटी भिक्षा देने लगी ,तो दुबारा भी जोगी वही बात बोला ,इतनी बात सुनकर साहूकारनी बाहर आई और जोगी से कहाँ की एक तो हम तुम्हे भिक्षा देते है। ऊपर से तुम हमे गाली देते हो। तब जोगी ने कहा तो मै  आपको गाली नहीं दे रहा हां जो सत्य(सच्ची बात ही तो बोलयू ) है वही कह रहा हूँ  इसके भाग्य में जो  लिखा है वही कह रहा हूँ। 

तब साहूकारनी  ने  कहा  कि आपको(जोगी को ) कि इसके ( मेरी बेटी )के भाग्य में दुहाग लिखा है. तो यह है भी बता दो की ये कैसे टले भी या इसका कोई उपाय भी तो कुछ होगा तब जोगी ने कहा की सात समुंदर पार एक सोना धोबण रहती है जो सोमवती अमावस्या करती है अगर वह यहां आकर इसको(आपकी ) फल दे देवें तो टल भी सकता है नहीं तो इसकी शादी होगी तब हीरा बंद ही बीन्द  ने डस लेगा।

यह बात सुनकर के उसकी मां बहुत रोने लगी और उसके बाद साहूकारनी  सोना धोबण के पास जाने के लिए घर से निकल गई.और

रास्ते में बहुत धूप पड़ रही थी तो  साहूकारनी  एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गई उस पीपल के पेड़ पर एक गरुड़ पंखे का बच्चा रहता था जिसको एक सांप आकर डसने लगा तब साहूकारनी  ने उस सांप को मार कर  ए क ढाल के नीचे फेंक दिया इसके बाद वहां पर गरुड पंख – गुरुर पंखनी आए. यह सब देखकर साहूकारनी  को चोंच  मानने लगे तब साहूकारनी ने  कहा की मैं तो तुम्हारे बच्चे को जिवाया है। अर्थात जीवनदान दिया है और तुम्हारे बच्चे को मारने वाला दुश्मन (बेरी ) तो डाल के नीचे मरा पड़ा है तब उन्होंने कहा की आपने हमारे बच्चे को जीवनदान दिया है तो आप कुछ मांग लो तब साहूकारनी  ने कहा कि  पहले  तुम  मुझे वचन दो। उसने कहां अगर हम अपने बचपन से मुकर जाएं तो धोबी कुंड पर  कांकरी  हो जाऊं तब साहूकारनी  ने  कहा कि तुम लोग मुझे सात समुंदर पार सोना धोबन के घर छोड़ कर आओ वहां जाकर साहूकारनी ने  सोचा की मैं  इसको कैसे राजी करूं।

सोना धोबण  के सात बेटा -बहू थी जो सातो बहुये  रोजना ही काम करने के लिए आपस में लड़ते -झगड़ते थी और काम भी नहीं करती थी तब साहूकारनी   ने रोजाना रात में सब घरवाले सो जाने के बाद उसके घर पर जाकर घर का सारा काम करती थी गोबर थापती ,   गायों को नहलाती  थी, घर धोती, रसोई करती, चौका बर्तन करती, कपड़े धोती, पानी भरती , और सुबह होने से पहले वापस चली जाती थी  तब बहुये  भी सोचती थी कि सारा काम कौन करता है और आपस में एक दूसरे से पूछना भी नहीं चाहती थी एक दिन सोना धोबण  अपनी बहू से पूछा कि आजकल तुम लोग काम के लिए लड़ते झगड़ते भी नहीं हो और काम भी अच्छा करती हो तो तुम में से कौन सी बहू करती है.

तब बहुओं  ने कहा की सासू जी घर का काम तो हमें ही करना पड़ता है वह चाहे राजी से करें या फिर झगड़ कर तो लड़ाई झगड़ा करने से क्या फायदा है तब सोना धोबण ने   सोचा कि आज रात में देखूंगी कि कौन सी बहू काम करती है और फिर वह रात भर जागती रही बिल्कुल भी नहीं सोई तब सोना धोबण  ने देखा  कि उसके घर में एक औरत आई और घर का सारा काम करके, जब वापस जाने लगी तब सोना धोबण  ने पूछा तुम कौन हो और तुम्हें हमसे ऐसी क्या दरकार  है जो तुम हमारे घर का सारा काम करती हो तब है औरत बोली की दरकार है तभी तो इतना काम करूं हूं तब सोना धोबण  ने उसे पूछा कि  तुम्हें क्या चाहिए तब साहूकारनी  ने कहा कि आप पहले मुझे वचन दो कि जब सोना धोबण बोली कि मैं तुम्हें बचन देती हूं अगर मैं अपने वचन से मुकर जाऊं तो धोबी कुंड पर कांकरी  हो जाओ उसके बाद  साहूकारनी  ने कहा  कि मेरी बेटी के भाग्य में दुहाग  लिखा है तो आप वहां पर मेरे साथ चलो और मेरी बेटी को सुहाग दो. आप सोमवती अमावस्या  करो हो जिसका फल मेरी बेटी को दो, उसके बाद  उसने  अपने बेटे बहू से कहा कि मैं तो इसके साथ जा रही हूं अगर मेरे जाने के बाद पीछे से अगर तुम्हारे बाप को कुछ हो जाए जब तक मैं वापस ना आऊं तुम लोग कुछ भी मत करना।

इसके बाद वह दोनों   साहूकार  के घर पर पहुंच गई.. साहूकारनी  की बेटी की शादी तय हो गई और थोड़ी देर में  फेरा में बींद आकर बैठ गयो।  सोना धोबण  बिंद के गोंडा के पास काचा करवा में कच्चा दूध और तात  का तार लेकर बैठ गई फिर थोड़ी देर में सांप हीरा बंद को डसने आयो तब सोना धोबण ने  करवा आगा देकर तात से बंधा दियो। पर   बबींद तो सांप के डसने के डर से ही मर गया फिर सोना धोबण   न टीका में से रोली  निकाली मांग में सिंदूर निकाला कोया में से काजल निकाला नाखून में से मेहंदी निकाली और अपनी सबसे छोटी चिटली अंगुली से  छिटो दिया और बोली कि आज तक मैंने जितनी भी सोमवती अमावस्या करी है उसका सारा फल साहूकार  की बेटी के पति को मिल जाए और आगे सोमवती अमावस्या करूंगी उसका फल मेरे पति और बेटा को मिली जाये।  इतना कहते ही बिंद बैठा हो गया उसके बाद सब लोग सोमवती अमावस्या   की जय-जयकार करने लगे फिर सोना धोबण  अपने घर वापस जाने लगी तब  साहूकारनी  ने कहा कि आपने मेरे जमाई को जीवनदान दिया है तो कुछ तो मांग लो तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस एक खाली कुशाल की हांडी दे दो और  सोना धोबण हांडी लेकर चली गई और फिर रास्ता में सोमवती अमावस्या आई तो हांडी का 108 और 13 चौपाइयां करके पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करके  उसी के नीचे कहानी सुनी और पीपल के पेड़ के 108 परिक्र्मा  लगाई और सारे चौपाइयां पीपल के नीचे गाड़  कर अपने घर आ गई और वहां आकर देखा तो उसका पति मंगर  होयड़ा तेल घी में गुफा में डूबा है तो फिर सोना धोबण  न टीका में से रोली निकाली, मांग में सिंदूर,कोया में से काजल और नाखूनों में से मेहंदी निकाली ,अपनी सबसे छोटी चिटली अंगुली से  छिटो दिया और बोली कि जो रास्ते में सोमवती करी है उसका फल मेरे पति को लगे.

इतना कहते हीसोना धोबण  का पति उठ कर बैठ गया उसके बाद घर को जोशी आया और बोला जजमान सोमवती अमावस्या का जो भी किया है वह मुझे भी दे दो फिर सोना तो बोली कि मेरे तो सो मोती रास्ता में आई तो मैंने कुछ भी नहीं किया  वह मैं वही पीपल के पेड़ के नीचे  गाड़  कर आ गई फिर जोशी ने कहा वहां जाकर पीपल के पेड़ के नीचे खोद  कर देखा तो 108 और 13 सोना  के चौपाइयां हो गए उसके बाद जोशी जल्दी जल्दी घर सारा लेकर आ गया और कहां जजमान ऐसी ऐसी फेरी करी है और मुझे कह रहे हो कि कुछ भी नहीं किया तब सोना धोबण बोली कि यह तो आपके ही भाग्य से हो गया है तो आप ही सारा ले जाओ.तब जोशी   बोला कि मेरी तो चौथी (हिस्सा ) पाती होती है। बाकि  जिसको आपका मन हो  उसे दे दो फिर सारी नगरी में हैलो फिरवादियो  दिया कि सभी को सोमवती अमावस्या करनी चाहिए है सोमवती अमावस्या जिस तरह साहूकार  की बेटी  को सुहाग दिया है वैसे ही आपके सोमवती अमावस्या करने वालों को सभी कोअमर सुहाग देना  सबके घर में सुख -शांति बनाये रखना ,और बच्चो को भी स्वस्थ रखना और सबकी मनोकामना पूर्ण करना।

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