Vijay Ekadashi 2022: हर क्षेत्र में विजय पाने के लिए रखे विजय एकादशी व्रत जानिए तिथि ,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vijay Ekadashi 2022: हर क्षेत्र में विजय पाने के लिए रखे विजय एकादशी व्रत जानिए तिथि ,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 

एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में विजय प् सकते है अपने शत्रुओ को परास्त कर सकते है और अपने आने वाले जीवन को खुशहाल बना सकते है।

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की उदया तिथि को एकदशी का व्रत किया जाता है इस एकदशी को विजय दिलाने वाली एकादशी कहा जाता है इस एकदशी का व्रत करने से व्यतिक को हर क्षेत्र में विजय मिलती है प्रत्येक एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है एकदशी का व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में विजय प् सकते है अपने आने वाले जीवन को खुशहाल बना सकते है जानिए विजय एकदशी की तिथि शुभ मुहूर्त पूजा विधि और व्रत कथा।

विजया एकादशी व्रत कथा

एकदशीयो का माहात्म्य सुनने में अर्जुन को अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है जया एकदशी की कथा का श्रवण रस पाने के बाद अर्जुन ने कहा – पुंडरीकाक्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकदशी का क्या नाम है तथा उसके व्रत का क्या विधान है कृपा करके मुझे इसके संबधं में भी विस्तारपूर्वक बताए।

श्रीकृष्ण ने कहा हे अर्जुन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकदशी का नाम विजया है इसके व्रत के परभव से मनुष्य को विजयश्री मिलती है इस विजया एकदशी के माहात्म्य के श्रवण व् पठन से सभी पापों का अंत हो जाता है।

एक बार देवर्षि नारद ने जगत पिता ब्रह्माजी से कहा- हे ब्रह्माजी! आप मुझे फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी का व्रत तथा उसकी विधि बताने की कृपा करें।

नारद की बात सुन ब्रह्माजी ने कहा- हे पुत्र विजया एकादशी का उपवास पूर्व के पाप तथा वर्तमानके पापों को नष्ट करने वाला है। इस एकादशी का विधान मैंने आज तक किसी से नहीं कहा परंतु तुम्हें बताता हूँ, यह उपवास करने वाले सभी मनुष्यों को विजय प्रदान करती है।

अब श्रद्धापूर्वक कथा का श्रवण करो- त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी को जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया, तब वे लक्ष्मण और सीता जी सहित पंचवटी में निवास करने लगे। वहां पर दुष्ट रावण ने जब सीताजी का हरण किया तब इस समाचार से रामचंद्र जी और लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हुए और सीताजी की खोज में चल दिए।

घूमते-घूमते जब वे मरणासन्न जटायु के पास पहुंचे तब वह उन्हें सीता जी का वृत्तांत सुनाकर स्वर्गलोक चला गया। कुछ आगे जाकर उनकी सुग्रीव से मित्रता हुई और बाली का वध किया हनुमान जी ने लंका में जाकर सीता जी का पता लगाया और उनसे श्री रामचंद्र जी और सुग्रीव की मित्रता का वर्णन किया वहां से लौटकर हनुमान जी ने भगवान राम के पास आकर सब समाचार कहे।

श्री रामचंद्र जी ने वानर सेना सहित सुग्रीव की सम्पति से लंका को प्रस्तान किया जब श्री रामचंद जी समुंद्र से किनारे पहुंचे तब उन्होंने मगरमछ आदि से युक्त उस अगाध समुन्द्र को देखकर लक्ष्मण जी से कहा की इस समुन्द्र को हम की प्रकार से पार करेंगे श्री लक्ष्मण ने कहा हे पुराण पुरुषतम आप आदिपुरुष है सब कुछ जानते है यहां से आधा योजना दूर पर कुमारी दिव्प में वकलभ्य नाम के मुनि रहते है उन्होंने अनेक ब्रहा देखे है आप उनके पास जाकर इसका उपाय पूछिए।

लक्ष्मण जी के स प्रकार के वचन सुनकर श्री रामचंद्र जी दालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रणाम करके बैठ गए। मुनि ने भी उनको मनुष्य रूप धारण किए हुए पुराण पुरुषोत्तम समझकर उनसे पूछा, हे राम आपका आना कैसे हुआ रामचंद्र जी कहने लगे, “हे ऋषे! मैं अपनी सेना सहित यहां आया हूँ और राक्षसों को जीतने के लिए लंका जा रहा हूं। आप कृपा करके समुद्र पार करने का कोई उपाय बतलाइए मैं इसी कारण आपके पास आया हूं।

दालभ्य ऋषि बोले, हे राम! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का उत्तम व्रत करने से निश्चय ही आपकी विजय होगी, साथ ही आप समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे।”

 

विजया एकदशी पूजा विधि
धर्मिक ग्रंथो के अनुसार विजया एकादशी के दिन व्रत करने वाले मनुष्य को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए इसके पश्चात विष्णु भगवान और माँ लक्ष्मी की मूर्ति पर गंगाजल से छिड़काव करे और फिर रोली और चावल का तिलक लगाकर आरती करे ध्यान रहे की लक्ष्मी पूजन के दौरान गहि का दीपक ही जलाए पूजा करने के पश्चात अपने रोजाना के कार्य करें। विजया एकादशी के दिन व्रतधारी पुरे दिन मन ही मन भगवान का ध्यान करे और शाम में आरती के बाद फलाहार कर सकते है

विजया एकदशी शुभ मुहूर्त

एकदशी प्रारंभ: 26 फरवरी सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू
एकादशी समाप्त: 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक

विजया एकादशी पर शुभ संयोग

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, एकादशी के दिन खास संयोग बन रहा है। इसदिन त्रिपुष्कर योग के साथ सिद्दि योग रहेगा।
त्रिपुष्कर योग- 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 28 फरवरी सुबह 5 बजकर 42 मिनट तक
सिद्धि योग- 26 फरवरी को रात 8 बजकर 52 मिनट तक