अक्षय तृतीया की कथा सुनने से होगी धन, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति/ घर में आयेगी सुख, शान्ति, समृद्धि !
आज हम आपको अक्षय तृतीय की दिव्य और ज्ञान में कथा सुनाने जा रहे हैं सबसे पहले आपको और आपके परिवार को अक्षय तृतीया की बहुत-बहुत शुभकामनाएं भगवान लक्ष्मी नारायण का भरपूर आशीर्वाद आपके जीवन पर सदैव बना रहे आप तथा आपका पूरा परिवार सुखी रहे स्वस्थ रहे भगवान की कृपा से आपकी उन्नति हो प्रगति हो तथा आप दीर्घायु को प्राप्त करते रहे।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को अक्षय तृतीय कहा जाता है जो कि इस बार 14 मई 2021 शुक्रवार के दिन यह महा पर्व मनाया जाएगा और अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है अमूर्त का अर्थ होता है बिना पहचान देखे कोई भी शुभ कार्य इस दिन संपन्न किया जा सकता है यदि आप नए घर के लिए भूमि पूजन करना चाहते हैं या फिर नए घर में प्रवेश करना चाहते हैं या फिर नया घर आप खरीदना चाहते हैं या फिर आप नया वाहन खरीदना चाहते हैं।
या कोई भी अब नया कार्य शुरू करना चाहते हैं तो अच्छे शिष्य सबसे खास मुहूर्त रहेगा अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है और इस दिन विवाह के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन कहा गया है और इस दिन यदि आप नया पदभार ग्रहण करेंगे तो यह दिन आपके लिए सबसे विशेष रहेगा और अक्षय तृतीया के दिन भगवान सूर्य देव तथा चंद्रमा दोनों ही अपनी अपनी उच्च राशि में विराजित रहते हैं। इसलिए इस दिन जो भी शुभमंगल कार्य संपन्न किए जाएंगे उनसे आपको उत्तम फलों की प्राप्ति होगी तथा लंबी अवधि के लिए वह कार्य आपको जीवन में भागवत साबित होंगे लाभदायक साबित होंगे , उन्नति दायक साबित होंगे।
4इस दिन आप कोई भी शुभ और मंगल कार्य निश्चिंत होकर के प्रारंभ कर सकते हैं शुरू कर सकते हैं इसमें किसी भी प्रकार का मुहूर्त देखने की या मुहूर्त पूछने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती पूरे वर्ष में 3:30 ऐसे अभूतपूर्व होते हैं बताए गए हैं जैसे कि सबसे पहला अबूझ मुहूर्त है प्रतिपदा यानी गुड़ी पड़वा कब है तथा दोष मुहूर्त वैशाख मास की तिथि तथा यानी अक्षय तृतीया का दिन उसके बाद तीसरा अबूझ मुहूर्त होता है आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी विजयदशमी का दिन। उसके बाद आधा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी गोवर्धन पूजा का आधा देव इसे भी अभूतपूर्व माना गया है इस प्रकार पूरे वर्ष में 3:30 अबूझ मुहूर्त बताए गए हैं उनमें सबसे खास यदि अबूझ मुहूर्त होता है जिन्हें सभी कार्यों के लिए उत्तम माना गया है वह होता है
अक्षय तृतीया इस दिन विवाह आदि बड़े मांगलिक कार्यक्रम बिना मुहूर्त देखे बिना पहचान देखें संपन्न किए जा सकते हैं इसमें किसी भी प्रकार की कोई मूरत देखने की कोई पहचान देखने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं होती है और अक्षय तृतीया के दिन धन संग्रह करना बैंक में नया खाता खुलवाना इसके अलावा कोई नया निवेश करना भी अत्यंत शुभ माना गया है अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है कोई सोने की खरीदारी करता है तो उसको लंबी अवधि में उसका बहुत अच्छा परिणाम देखने को मिलता है इसके साथ ही अक्षय तृतीया का दिन खरीदारी के साथ-साथ डालने का भी शुभ दिन माना गया है।
यदि इस दिन यदि हम जल का दान करेंगे वस्त्र का दान करेंगे जल कलश का दान करेंगे। या खरबूजे का दान करेंगे।
गोदान करेंगे या कोई भी दान फोन में हम अक्षय तृतीया के दिन करेंगे तो उसका हमें अक्षय पुण्य प्राप्त होगा अक्षय का अर्थ होता है जो कभी भी शेर नहीं होने वाला ऐसे कार्य को अक्षय कहा जाता है और इस दिन किया गया प्रत्येक कार्य आपके जीवन में अक्षय पूर्ण जाए साबित होगा इस दिन भगवान परशुराम जी का प्रकट हुआ था इस दिन इसलिए परशुराम जयंती भी मनाया जाता है तो आप सभी भक्तजनों परशुराम जयंती की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं वैसे तो अक्षय तृतीया का पूरा दिन और रात अत्यंत शुभ मानी जाती है लेकिन आप मुहूर्त देखकर कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो 14 मई को सुबह 5:39 से तृतीय तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो कि 15 मई की सुबह 7:00 बजे तक रहेगी वशिष्ठ समय की हम बात करें अक्षय तृतीया के दिन सुबह 6:00 बजे से लेकर के 10:30 बजे तक का शुभ मुहूर्त रहेगा उसके बाद दोपहर 12:00 बजे से लेकर के 1:30 तक का शुभ मुहूर्त रहेगा उसके बाद शाम को 4:30 बजे से लेकर के 6:00 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा तथा रात में 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक का विशेष मुहूर्त रहेगा।
यदि हम स्थिर लग्न की बात करें तो वृषभ ट्रेलर सुबह 5:00 से लेकर के पास 7:46 तक तक रहेगी उसके बाद स्थिर लग्न क्योंकि दोपहर 12:15 से लेकर 2:27 तक रहेगी उसके बाद रात को व्हाट्सएप से प्रारंभ होकर 9:10 तक रहेगी। इस दौरान आप प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यक्रम तथा नए कार्य शुरू कर सकते हैं इसमें किसी भी प्रकार का इसमें किसी भी प्रकार का भ्रम पालने का आवश्यकता नहीं है।
अक्षय तृतीया के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठना है और स्नान करते नए वस्त्र धारण करना चाहिए नए वस्त्र आपके पास उपलब्ध नहीं है तो आप पुराने वस्त्र को अच्छी प्रकार से धो करके धारण करें धारण करें तथा भगवान सूर्य देव को जल चलाएं और अर्थ उनको अर्पित करें। तथा उसके पश्चात आप आप अपने मुख्य द्वार के ऊपर गंगाजल छिड़क कर मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं जोशी जी का पूजन करें गौ माता का पूजन करें गौ माता की सेवा करें उसके बाद आप हल्दी में पीले चावल करके पूजा करें और पूरे घर में कमरों में छिड़कना चाहिए तथा एक नारियल लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में आपको रखना चाहिए और खाने में भी लहसुन प्याज मदिरा का सेवन ना करें तथा आपको इस दिन आप को क्रोध नहीं करना चाहिए।
अक्षय तृतीया के दिन विवाद नहीं करना चाहिए किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन घर के बड़े माता-पिता बुजुर्गों पर बिल्कुल भी क्रोध नहीं करना चाहिए उनकी सेवा यात्रा करनी चाहिए तथा सास ससुर का 20 दिन अनादर नहीं करना चाहिए उनकी सेवा करनी चाहिए इनका दिल इस दिन नहीं दुखाना चाहिए अक्षय तृतीया के दिन पेड़ पौधों को काटना नहीं चाहिए अक्षय तृतीया के दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए अक्षय तृतीया के दिन आपको दाढ़ी कटिंग नहीं करवाना शरीर के अंग नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन आपको नाखून भी नहीं काटना चाहिए और अक्षय तृतीया के दिन ऐसा कोई भी पाप कर्म नहीं खाना चाहिए।
यदि आप उस दिन कोई बुरा कार्य करते हैं तो जिस प्रकार आपको अच्छे कार्य का फल प्राप्त होता है उसी प्रकार आपको हम गोरे खाने का भी फल प्राप्त होगा गौ माता का अपमान बिल्कुल भी नहीं करना है अन्यथा आपको देवी देवताओं का साफ लग सकता है गौमाता को इस दिन आपको झूठ नहीं खिलाना है और अक्षय तृतीया आज के दिन दिव्य कथा का पढ़नी चाहिए कथा हमेशा ब्राह्मण के मुख से ही सुनना चाहिए और कथा सुनने के बाद अपनी शक्ति तथा क्षमता के अनुसार ब्राह्मण को दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।
अब हम आपको अक्षय तृतीया की ज्ञान में कथा सुनाने जा रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि इस प्रथा को पूरा सुनेगा ताकि आपको सब कुछ फल प्राप्ति हो। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीय का विषय महत्व हमारे धर्म ग्रंथों तथा पुराणों में बताया हुआ है अक्षय तृतीया के पर्व को दिवाली धनतेरस और बड़े पर्व की तरह हमारे देश में ही नहीं वरन विदेशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है हमारे धर्म ग्रंथों और पुराणों में लिखा हुआ है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाएंगे उनका अक्षय फल हमें प्राप्त होता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
इस दिन आप जो भी चीज खरीद करके घर लाते हैं उसमें अक्षय विधि आपको प्राप्त होती है इस दिन स्वर्ण खरीदना यानी सोने का खरीदना सबसे अधिक शुभ माना जाता है इसके अलावा भूमि भवन वाहन या कोई भी नए कार्य का शुभारंभ भी अत्यंत शुभ माना जाता है भगवान श्री हरि लक्ष्मी नारायण यानी विष्णु जी के अवतार भगवान श्री परशुराम जी का जन्म हुआ था इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग का आरंभ माना गया है राम जी के अलावा इस दिन भगवान विष्णु के और नारायण का अवतार हुआ है वहीं इस दिन सतयुग के बाद त्रेता युग का आरंभ माना गया है।
यानी इस दिन से त्रेता युग की गणना भी की जाती है सुदामा जी जो चावल लेकर द्वारका पहुंचे थे वह चावल वह चावल अक्षय तृतीया के दिन ही उनसे प्राप्त किए थे और उन सावर को खाकर ही भगवान द्वारकाधीश में सुदामा की गरीबी को समाप्त कर दिया था और सुदामा जी का तीनों लोगों का वैभव अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री द्वारकाधीश ने प्राप्त किया था यानी उन को प्रदान किया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन माना जाता है कि इस दिन केवल खरीदना ही नहीं दान देना ही अवश्य फलदाई होता है दान करने वाले को अक्षय तृतीया के फल के साथ में महान पुण्य फल की प्राप्ति होती है इसके साथ ही कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं व्रत भी रखते हैं और श्रद्धा के साथ में भगवान का विशेष पूजन भी कर सकते हैं अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी भगवान नारायण और भगवान कुबेर के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं का भी आप अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार पूजन अर्चना सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन घर में सावन और मखाने बना करके माता लक्ष्मी को भोग लगाने से आपके घर में साल भर समृद्धि बनी रहती है। इस दिन के कर्म आपको अक्षय फल की प्राप्ति करवाती है इसलिए आपको अक्षय तृतीया के दिन कोई भी गलत काम या पाप कर्म नहीं करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा जी स्वर्ग स्वर्ग से यानी नारायण के चरणों से प्रकट हुई थी तथा अक्षय तृतीया के दिन रसोई और भोजन की देवी अन्नपूर्णा का भी प्राकृतिक माना गया है अक्षय तृतीया को विवाह करना सबसे शुभ माना जाता है।
देव ब्राह्मणों में सदा सदा रखने वाला धर्मदास नाम का एक बनिया था उसका परिवार बहुत बड़ा था इसलिए वह सदा व्याकुल रहता था उससे किसी ने इस दिन पूजा करने का महत्व बताया था उस वृक्ष में ब्राह्मणों के मुखारविंद से सुना था अक्षय तृतीया के दिन। जो व्रत करेगा दान पुणे करेगा उसे महान पुण्य की प्राप्ति होगी कालांतर में जो अक्षय तृतीया का पर्व आया तो उस मनुष्य ने गंगा जी में स्नान किया और विधि पूर्वक देवी देवताओं की पूजा की गोले के बने लड्डू जल से भरे मटके जो गेहूं नमक सत्तू दही चावल गुड सोना तथा वस्त्र आदि वस्तुएं ब्राह्मण कोष ने दान की स्त्री के बार-बार मना करने कुटुम जनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म कर्म दान पुण्य से कभी भी संपूर्ण हुआ दान करने से भी उसकी पतियों से रोक की टोपी रहे लेकिन उसने कभी भी ब्राह्मणों को अक्षय तृतीया के दिन दान पुणे करना छोड़ा ही नहीं वरन उसने बहुत से दान पुण्य अक्षय तृतीया के दिन किया
अक्षय तृतीया के दिन दान करने से पुण्य करने से फल का दान करने से व्रत करने से अगले जन्म में कुशावती का राजा बना अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत ही धनी तथा प्रतापी राजा बना वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि धर्म से कभी विचलित नहीं हुई अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के श्रवण से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है और इसके साथ ही एक कथा और आती है महाभारत काल में जो अक्षय पात्र पांडवों को प्राप्त हुई थी अक्षय पात्र के प्राचीन ऋषि-मुनियों के पास अक्षय पात्र हुआ करता था अक्षय का अर्थ होता है किसी का या नाचना हो एक ऐसा पात्र जिसमें से अभी भी अन्यथा जल कभी भी समाप्त नहीं होता था अक्षय पात्र में बिहार डालो तो मनचाही वस्तु उससे निकल जाती थी अक्षय पात्र संबंधित एक शोरत भी है।
जिसके माध्यम से सभी वस्तुओं की प्राप्ति हम कर सकते थे महाभारत में अक्षय पात्र से संबंधित एक कथा आती है जब पांचो पांडव द्रोपदी के साथ 12 वर्षों के लिए जंगल में चले गए तब उनकी मुलाकात कई तरह के साधु संतों से होती है कुटिया बनाकर रहने के बाद उनके यहां ब्राह्मण सीन साधु-संतों जेकेजे थे उनसे मिलने आया करते थे और कई बार तो साधु संत उनके यहां निवास भी करते थे पांचो पांडव सहित द्रोपति के सामने यही प्रश्न होता था कि वह 6 प्राणी अकेले भोजन कैसे करें। और उन सैकड़ों हजारों के लिए भोजन की व्यवस्था कैसे करेंगे तब पुरोहित दो वे उन्हें सूर्य की 108 नामों के साथ आराधना करने के लिए कहते थे
यदि इनका परी युद्ध इनका बड़ी आराधना के साथ जॉब करते थे और सूर्य भगवान की आराधना करते हैं उसके बाद उनकी आराधना से अक्षय तृतीया के दिन भगवान सूर्य प्रसन्न होकर के युद्ध के पास प्रकट होकर कहते हैं और पूछते हैं इस तरह तुमने हमको क्यों पुकारा है तुम्हारी पूजा अर्चना का क्या आशय है यदि कहते हैं कि हे प्रभु में हजारों लोगों को भोजन कराने में असमर्थ हूं मैं आपसे अन्य की अपेक्षा रखता हूं क्योंकि मैं यहां वनवास का समय व्यतीत कर रहा हूं ऐसे में कई साधु संत महात्मा अतिथि मेरे यहां निर्णय करते हैं और निवास करते हैं तो मैं उसी प्रकार से सेवा कर सकूं।
उनका आदर कैसे हो उनको भोजन करवा सकूं और हजारों लोगों को इस प्रकार में भोजन करवा सके ऐसा कोई साधन मैं आपसे चाहता हूं तब सूर्यदेव एक तांबे का पात्र ले करके उन्हें कहते हैं। की युधिष्ठिर तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी मैं 12 वर्ष तक तुम्हें अन्य दान करूंगा यह तांबे का बर्तन तुम्हें प्रदान करता हूं तुम्हारे पास फल फूल शार्क आदि चार प्रकार के भोजन सामग्रियां जो भी तुम चाहोगे इस प्रार्थना में तो अक्षय रहेगी यानी तुमको केवल इस पात्र में हाथ डालना है और वह वस्तु तुम्हें तत्काल ही प्राप्त हो जाएगी जब तक द्रौपदी तुमको प्रति रहेगी अक्षय पात्र हमेशा भरा रहेगा तांबे का वह अक्षय पात्र के योगेश प्रसन्न होकर के आते हैं और कथा के अनुसार प्रॉपर्टी हजारों लोगों को परोस कर ही भोजन ग्रहण करती है जब वह भोजन ग्रहण नहीं करती थी पात्र से भोजन समाप्त नहीं होता था और इसी प्रकार अक्षय पात्र अक्षय तृतीया के दिन पांचों पांडवों को प्राप्त हुआ था और यह अक्षय पात्र बड़ा ही दुर्लभ है इसके अलावा यह अक्षय पात्र भगवान सूर्य की आराधना करने से कई साधु संतों को भी प्राप्त हुआ था। यानी अक्षय तृतीया के दिन पांचों पांडवों को अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी इस प्रकार अक्षय तृतीया का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण माना गया है
वृंदावन में भगवान बांके बिहारी चरण के दर्शन के वर्क अक्षय तृतीया के दिन ही होते हैं तथा भगवान बद्रीनाथ के जो पट खुलते हैं अक्षय तृतीया के दिन से ही आरंभ होते हैं यानी अच्छे दिन हैं अक्षय तृतीया के दिन है पहली बार उनके पट पट खुलते हैं। इस प्रकार अक्षय तृतीया का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण है आप सभी से उम्मीद है अपेक्षा है आप अक्षय तृतीया के दिन का अवश्य ही पुण्य प्राप्त करेंगे
अक्षय तृतीया पर 7 मेसे कोई 1 उपाय करने से भाग्य 15 हजार गुणा प्रबल होगा