विशेषण-परिभाषा भेद और उदहारण: हिंदी व्याकरण visheshan in hindi विशेषण (visheshan in hindi)

विशेषण-परिभाषा भेद और उदहारण: हिंदी व्याकरण visheshan in hindi

विशेषण (visheshan in hindi)

संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण दोष संख्या परिमाण आदि) बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते है।

जैसे- बड़ा, कला,लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर,टेढ़ा-मेढ़ा,एक दो आदि।

महत्वपूर्ण बिंदु

* वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दो को विशेषण कहते है।

जैसे- कला,कुत्ता। इस वाक्य में कला विशेषण है।

* जिस शब्द (संज्ञा अथवा सर्वनाम) की विशेषता बतायी जाती है उसे विशेष्य कहते है उपरोतक्य वाक्य में कुत्ता विशेष्य है।

* जिस विक्री शब्द से संज्ञा की व्यापित मर्यदित होती है उसे भी विशेषण कहते है।

जैसे- मेहनती विधर्थी सफलता पते है धर्मपुर स्वस्छ नगर है वह पीला है ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा इस वाक्यों में मेहनती नीला लाल अच्छा स्वस्छ पीला और ऐसा शब्द विशेषण है जो क्रमश:विधर्थी धर्मपुर वह और आदमी की विशेषता बताते है।

* विशेषण शब्द जिसकी विशेषता बताये उसे विशेष्य कहते है अत:विधर्थी धरमपुर वह और आदमी शब्द विशेष्य है।

* विशेषण सार्थक के आठ भेदो में एक भेद है।

* व्याकरण में विशेषण एक विकारी शब्द है।

विशेष्य

जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है.

जैसे-गीता सुन्दर है इसमें सुन्दर-विशेषण है और गीता विशेष्य है।

विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते है और उसके बाद भी पूर्व में

जैसे-थोड़ा-सा जल लाओ।

एक मीटर कपडा ले आना।

बाद में जैसे-

यह रास्ता लम्बा है।

खीरा कड़वा है।

विशेषण के प्रकार

विशेषण के 4 प्रकार है –

1 गुणवाचक विशेषण

2 संख्यावाचक विशेषण

3 परिमाणवाचक विशेषण

4 सर्वनामिक विशेषण

 गुणवाचक विशेषण

जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के गुण रूप रंग आदि का बोध होता है उसे गुण वाचक विशेषण कहते है।

जैसे-

* बगीचे में सुन्दर फूल है।

* धरमपुर सवच्छ नगर है।

* स्र्वगवाहिनी गन्दी नदी है।

* स्वस्थ बच्चे खेल रहे है।

उपयुक्त वाक्यों में सुन्दर स्वच्छ गन्दी और स्वस्थ शब्द  गुणवाचक विशेषण है।गुण का अर्थ अच्छाई ही नहीं किन्तु कोई भी विशेषता अच्छा बुरा खरा खोता सभी प्रकार के गुण इसके अंतगर्त आते है।

* समय संबंधी- नया,पुराना, तजा, वर्तमान, भूत, भविष्य, अगला, पिछला आदि।

* स्थान संबंधी-लंबा, चौड़ा, ऊँचा, नीचा, सीधा, बाहरी,भीतरी आदि।

* आकार संबंधी-गोल,चौकोर,सुडौल,पोला,सुन्दर,आदि।

* दशा संबंधी-दुबला,पतला,मोटा,भरी,गाढ़ा,गिला,गरीब,पालतू,आदि।

* वर्ण संबंधी-लाल,पीला,नीला, हरा, कला, बैगनी, सुनहरी आदि।

* गुण संबंधी- भला, बुरा, उचित, अनुचित, पाप, आदि।

* संज्ञा संबंधी- मुंबइया,बनारसी, लखनवी, आदि।

 संख्यावाचक विशेषण

जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचका विशेषण कहते है।

जैसे-

कक्षा में चालीसा विधर्थी उपस्थित है।

दोनों भाइयो में बड़ा प्रेम।

उनकी दूसरी लड़की की शादी है।

देश का हरेक बालक वीर है।

उपयुक्त वाक्यों में चालीस दोनों दूसरी और हरेक शब्द  संख्यावाचक विशेषण है।

 संख्यावाचक विशेषण के भी दो प्रकार है

1 निश्चित संख्यावाचक विशेषण: निश्चित संख्यावाचक विशेषण जैसे- एक,पांच,सात,बारह,तीसरी आदि।

2 अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण: अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण जैसे- कई, अनेक, सब, बहुत, आदि।

निश्चित संख्यावाचक विशेषण के 6 भेद है।

1 पूर्णांक बोधक विशेषण

जैसे- एक, दस, सौ,हजार,लाख आदि।

* एक लड़का स्कूल जा रहा हां।

* पच्चीस रूपये दीजिए।

* कल मेरे यहाँ दो मित्र आएंगे।

* चार आम लाओ।

2 अपूर्णांक बोधक विशेषण

जैसा- पौना, सवा, डेढ़, ढाई, आदि।

* मेरी जेब में ढाई रुपये है।

* पापा ने मुझे सवा सौ रूपये दिये।

* दूधिया ने मुझे डेढ़ ग्राम दूध कम दिया।

क्रमवाचक विशेषण

जैसे- दूसरा, चौथा,ग्यारहवां,पचासवाँ आदि।

* पहला लड़का यहाँ आए।

* दूसरा लड़का वहाँ बैठे।

* राम कक्षा में प्रथम रहा।

* श्याम दितीय श्रेणी में पास हुआ है।

4 आवृतिवाचक विशेषण

जैसे- दुगुना,तिगुना, दसगुना,आदि।

* मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।

* गोपाल तुमसे दुगना मोटा है।

5 समूहवाचक विशेषण

जैसे- तीनो, पांचो,आठों आदि।

* तुम तीनो को जाना पड़ेगा।

* यहाँ से चारो चले जाओ।

6 प्रत्येक बोधक विश्षण

जैसे- प्रति, प्रत्येक, हरेक, एक-एक आदि।

* प्रत्येक को प्रसाद मिला।

* एक-एक व्यक्तिक पानी में डूब गया।

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणों से आधिकतर बहुत्व का बोध होता है।

जैसे-

* सारे आम सड़ गए।

* पुस्तकालय में असंख्य पुस्तके है।

* लंका में अनेक महल जल गए.

* सुनामी में बहुत सारे लोग मारे गए।

निश्चित संख्यावाचक के अंतगर्त आनेवाले पूर्णांक बोधक विशेषण के  पहले-लगभग या करीब बाद- में एक या ओ प्रत्यय लगाने से अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हो जाता है।

जैसे-

* लगभग पचास लोग आएंगे।

* करीब बिस रुपए चाहिए।

* सेकड़ो लोग मारे गए।

कभी-कभी दो पूर्णांक बोधक साथ में आकर अनिश्चित वाचक बन जाते है।

जैसे-चालीस-पचास रुपये चाहिए।

2 काम में दो-तीन घंटे लगेंगे।

3 परिमाणवाचक विशेषण

जिस विशेषण से किसी वास्तु की नाप-तौल का बोध होता है उसे परिमाण-बोधक विशेषण कहते है।

जैसे-

* मुझे दो मीटर कपडा दो।

* उसे एक किलो चीनी चाहिए।

* बीमारी को थोड़ा पानी देना चाहिए।

उपयुक्त वाक्यों में दो मीटर एक किलो और थोड़ा पानी शब्द परिमाण-बोधक विशेषण है।

परिणाम-बोधक विशेषण के दो प्रकार है-

1 निश्चित परिमाण -बोधक

जैसे- दो सेर गेहूँ पांच मीटर कपडा एक दूध आदि।

2 अनिश्चित परिमाण-बोधक

जैसे- थोड़ा पानी और अधिक काम कुछ परिश्रम आदि।

* परिमाण-बोधक विशेषण अधिकतर भाववाचक दरयवाचक और समूहवाचक संज्ञाओं के साथ आते है।

4 सर्वनामिक विशेषण

जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से पहले आए तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताये उसे सर्वनामिक विशेषण कहते है।

जैसे-

* वह आदमी व्यवहार से कुशल है।

* कोण छत्र मेरा काम करेगा।

उपयुक्त वाक्यों में वह और कोण शब्द सार्वमाणिक विशेषण है।

पुरुषंवाचक और निजवाचक सर्वनाम को छोड़ बाकि सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ प्रयुक्त होकर सर्वनामिक विशेषण बन जाते है।

निश्चयवाचक-यह मूर्ति ये मूर्तियाँ वह मूर्ति वे मूर्तियाँ आदि।

अनिश्च्यवाचक- कोई व्यक्ति कोई लड़का कुछ लाभ आदि।

प्रश्रवाचक- कौन आदमी कौन लोग क्या काम क्या सहायता आदि।

सबंधवाचक-जो पुस्तक जो लड़का जो वास्तु।

मूल सार्वनामिक विशेषण

जो सार्वनाम बिना किसी रपान्तर के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे मूल सार्वनामिक विशेषण कहते है।

जैसे-

* वह लड़की विधालय जा रही है।

* कोई लड़का मेरा काम कर दे।

* कुछ विद्धर्थी अनुपस्थित है।

2 योगिक सार्वनामिक विशेषण :

जो सार्वनाम मूल सार्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुत्क होता है उसे यौगिक सार्वनाम विशेषण कहते है।

जैसे-

* ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा।

* कितने रुपये तुम्हे चाहिए।

* मुझसे इतना बोझ उठाया नहीं जाता।

उपयुक्त वाक्यों में ऐसा कितने और इतना शब्द यौगिक सार्वनामिक विशेषण है।

विशेषण की अवस्थाए

विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते है विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओ के गुण-दोष कम ज्यादा होते है गुण-दोष के इस कम ज्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निमलिखत तीन अवस्थाए होती है।

* मूलावस्था

* उत्तरावस्था

* उत्तमावस्थ

मूलवस्था मूलवस्था  में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है वह केवल सामन्य विशेता ही प्रकट करता है।

 जैसे –

* सावित्री सुन्दर लड़की है।

* सुरेश अच्छा लड़का है

* सूर्य तेजस्वी

उतरवास्था जब दो वक्तियो या वस्तुओ के गुण-दोष की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है।

जैसे-

* रविंद्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है।

* सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।

उत्तमावस्था उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एव वस्तुओ की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बतया गया है

जैसे –

* पंजाब में अधिकतम अर्न होता है।

* संदीप निकृष्टतम बालक है।

विशेषण की अवस्थाओं के रूप

अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते है

जैसे-

मूलावस्था

उत्तरावस्था

उत्तमवस्था

अच्छी

अधिक अच्छी

सबसे अच्छे

चतुर

अधिक चतुर

सबसे अधिक चतुर

बुद्धिमान

अधिक बुद्धिमान

सबसे अधिक बुद्धिमान

बलवान

अधिक बलवान

सबसे अधिक बलवान

इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते है।

तटसँ शब्दों में मूलावस्था में विशेषण कर मूल रूप उत्तरावस्था  में तर और उत्तमावस्था में तम का प्रयोग होता है।

जैसे-

मूलवस्था

उत्तरावस्था

उत्तमावस्था

उच्च

उच्चतर

उच्तम

कठोर

कठोरतर

कठोरतम

गुरु

गुरुतर

गुरुतम

महान

महानतर महत्तर

महन्तं,महतम

न्यून

न्यूनतर

न्यनूतम

लघु

लघुतर

लघुतम

तीर्व

तीव्रतर

तीव्रतम

विशाल

विशालतर

विशालतम

उत्कृष्ट

उत्कृष्टर

उत्कृटतम

सुन्दर

सुंदरतर

सुंदरतम

मधुर

मधुरतर

मधुतरम

विशेषणों की रचना

कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते है किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा सर्वनाम एव क्रिया शब्दों से की जाती है –