Kishan Behal Bicholiye Malama
कहते है की किसान अन्नदाता पर हमेशा यही अन्नदाता भूखा रह जाता हैं। आज के समय में किसान की हालत सबसे बत्तर है इस दुनिया में और ख़ास कर भारत में। किसानों को कभी ज़्यादा बारिश रुलाती हैं, तो कभी बाद डुबाती हैं, कभी जानवर सताते है और इन सबसे ज़्यादा किसान बिचौलियों और लेनदारों के निचे दब कर मर जातें हैं। आज देश में 55 फीसदी से ज़्यादा लोग खेती – बाड़ी से अपना खर्चा चलाते हैं पर हर साल हज़ारों किसान कर्ज से दबकर खुदख़ुशी कर लेते हैं। किसान आज हर तरफ से फंसे हैं और अपनी ज़िन्दगी में आगे भी नहीं बढ़ पा रहे हैं और अब तो हाल ऐसा है की बहुत सारे किसान अपनी उपजाऊ जमीन छोड़ कर या बड़ी – बड़ी कंपनियों को बेच कर शहरों में जा कर नौकरियां कर रहे हैं।
लेकिन किसान ऐसा कर क्यों रहे हैं?, किसान अपने उपजाऊ खेत बेच क्यूँ रहे है?, किसान और उसका परिवार आत्माहत्या क्यों कर रहे हैं?
क्युंकि किसान सबसे पहले खेती करने के लिए गाओ के आमिर लोगों या ज़मींदारो से कर लेते हैं जो उनको बहुत ब्याज के साथ लोटाना पड़ता है। किसान को एक फसल उगाने में 3 और इससे ज्यादा महीने का कठिन और मेहनत भरा समय लगता हैं और इस बीच अगर कोई आपदा जैसे औलावृस्टि, बाड़, या कोई और आपदा आ जाए तो उनके फसल को बहुत नुक्सान पहुँचता हैं और कई बार तो पूरी की पूरी फसल ही तबाह हो जाती हैं और किसान के पास कुछ नहीं बचता है क़र्ज़ और दुःख – तकलीफ के अलावा जो उन पीछा मरते दम तक नहीं छोड़ता। और अगर किसी किसान की फसल इन सभी मुसीबतों का सामना करने के बाद सही सलामत बच जाए तो उसे किसान को उस फसल के बहुत कम दाम दिए जाते हैं
जो किसान की के ऊपर जो कर्ज होता है उसको उतारने के लिए भी कम पड़ता है और साथ ही साथ उसकी ज़िन्दगी का भी खर्चा निकलने के लिए भी किसान को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। किसान अपनी फसल अगर बिचोलिये को बेचता है तोह उसे अपनी फसल के बहुत काम दाम मिलते है जैसे किसान को बिचोलिये को आलू बेचने के केवल 4 रुपए से 5 रुपए प्रति किलो मिलता है जो बहुत कम है
और यही आलू मार्केट में 30 रुपए से 40 रुपए किलो तक बिकते हैं। जो किसान इस फसल को 3 से ज़्यादा महीने उगाने में लगते हैं उसे इस फसल के केवल 4 – 5 रुपए प्रति किलो किसानों को मिलते हैं और जो बिचौलियें इस फसल को एक दिन के लिए खरीदते हैं और अगले ही दिन किसी और मंडी विक्रेताओ को 20 से 25 रुपए प्रतिकिलो में बेच देते हैं और बाद में मंडी विक्रेता भी इसमें अच्छा खासा पैसा कमा लेते हैं।
पर अब सरकार को किसान के हक़ में सही फैसला लेना होगा और किसान के लिए सही आय सोचना होगी। और किसान के जीवन की बात सुन्नी होगी। और अन्नदाता को इज्जत देनी होगी जो उनका मान – सम्मान बढ़ाना चाहिए। और जब तक इस देश में किसानों की इज्ज़त नहीं होगी तब तक भारत संपन्न देश नहीं हो सकता।