Nirjala Ekadashi 21 Jun 202:- 21जून 2021 “निर्जला एकादशी” के दिन भूलकर भी ना करें, ये गलतियाँ भगवान को होगा कष्ट ,
Nirjala Ekadashi 21 Jun 2021 :-जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की जो एकादशी होती है उसे निर्जला एकादशी कहा जाता है इस बार निर्जला एकादशी 1 जून 2021 को दोपहर 4:18 पर से एकादशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी 21 जून 2021 को दोपहर 1:28 पर एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी सूर्य उदय व्यापिनी तथा द्वादशी युक्त निर्जला एकादशी रहेगी वह 21 जून 2021 सोमवार के दिन यही रहेगी इसलिए भक्तों सभी भक्तजनों को माताओं बहनों को 21 जून 2021 सोमवार के दिन ही निर्जला निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए तथा इस व्रत का पारणा तथा यानी व्रत खोलने का जो समय रहेगा 22 जून को सुबह 5:35 से लगाकर के 8:18 का जो समय रहेगा उस दौरान व्रत का पारणा करना है या नहीं व्रत खोलना चाहिए तो इस प्रकार सभी भक्तजनों को माताओं बहनों को 21 जून 2021 सोमवार के दिन ही निर्जला एकादशी व्रत करना चाहिए पूरे साल में 24 एकादशी आती है
वही अधिक मास होने पर इनकी सखियां 26 हो जाती है और पूरे वर्ष में जो 26 एकादशी होती है उनका व्रत करना यदि असंभव है तो आपको निर्जला एकादशी का व्रत अनिवार्य रूप से करना चाहिए हमारे धर्म ग्रंथों और पुराणों में ऐसा बताया है कि जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत कर लेता है उसे संपूर्ण पूरे वर्ष सभी एकादशी का फल प्राप्त हो जाता है इसलिए आप पूरे वर्ष की एकादशी नहीं कर पाते हैं। तो प्रत्येक मानव मात्र को निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए एक दिन ऐसा होता है जिस दिन खटोर नियम का पालन करके निर्जला एकादशी का व्रत सभी को करना चाहिए यह 24 घंटे की कठिन तपस्या रहेगी निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं क्योंकि महर्षि माधव व्यास के के अनुसार भीमसेन ने इस वर्ष को धारण किया था और धर्म ग्रंथों में बताया है इस एकादशी का व्रत पति एक मानव मात्र को करना चाहिए
पूरे साल में आने वाली समस्त सदस्यों का फल निर्जला एकादशी प्रदान करता है यह वक्त सभी महिलाएं कर सकती हैं सौभाग्यवती महिलाएं विधवा महिलाएं और कुंवारी कन्या सभी को इस वर्ष को अनिवार्य रूप से करना चाहिए तथा समस्त पुरुषों को भी इस व्रत का पालन करना चाहिए यदि विवाहित पुरुष करें तो भी उत्तम है यदि कुंवारी लड़की करें तब भी उत्तम है लेकिन ध्यान रहे गर्भवती माताओं को इस व्रत को नहीं करना चाहिए गर्भवती माता है यदि व्रत करेगी तो उनको इस वर्ष से विपरीत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं इसलिए गर्भवती माताओं को निर्जला एकादशी व्रत बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और जो माताएं बहने मासिक धर्म में रहती है उनको इस वर्ष को तो करना चाहिए लेकिन पूजन पाठ नहीं करना चाहिए केवल और केवल स्वार्थ बर्थ को कर सकती है इसी के साथ यदि आपके घर परिवार में जन्म या मृत्यु का सूतक है आप बैठ कर सकते हैं लेकिन पूजन पाठ और भगवान का स्पष्ट नहीं कर सकते हैं इसीलिए सभी मनुष्य को चाहिए इस व्रत को धारण करें
इस व्रत को धारण करना करना चाहिए निर्जला एकादशी का व्रत करने से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो सकते हैं जब हमारे पाप नष्ट होते हैं तभी हमारे पुण्य का उदय होता है लोग कहते हैं पूजन पाठ का फल नहीं मिलता और हम कई उपाय कर चुके हैं लेकिन फल नहीं मिलता उसका एक ही कारण होता है कि हमारे गुरुजनों के इतने पाप है चौकट ही नहीं रहे हैं उनको काटते काटते हमारी पूरी व्यतीत हो जाती है इसीलिए जो भी हम जब करते हैं तब करते हैं पूजन करते हैं साधना करते हैं आराधना करते हैं उपाय करते हैं वह असली भूत नहीं होते हैं जो हमारे पूरे जन्म के दुष्कर्म है वह जब नष्ट होंगे तभी हमारे पुण्य का उदय होगा तो इसके लिए यह एक अक्सर आप सभी के लिए आया है कि आप जन्म जन्मांतर ओके बाप यदि नष्ट करना चाहते हो तो आपको निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए उस वक्त पर भगवान विष्णु की आराधना का विधान है
इस व्रत को करने से इस संस्थान धर्म की प्राप्ति होगी भौतिक सुख की प्राप्ति होगी तथा अंत समय में आप को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी निर्जला एकादशी व्रत एकादशी के सूर्योदय से प्रारंभ होता है चौकी द्वादशी के सूर्य तक रहता है इसमें जल्द फल फलाहार कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता केवल और केवल निराहार व्रत करना उचित है हालांकि कठिन साधना है कठोर साधना है यदि आप कर सकते हैं समस्त पुण्य को प्राप्त करने वाला है सबसे पहले आपको ध्यान रखना होगा एकादशी के दिन आपको सूर्योदय से पहले आपको और सुना है यानी 5:38 से पहले पहले उठकर के स्नान कर लेना चाहिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके और भगवान विष्णु का विधिवत पूजा कीजिए उनको दूध फल मिठाई का भोग तुलसी पत्र रखकर के अनिवार्य रूप से भोग लगाएं उसके पश्चात हाथ में जल और तुलसी पत्र रखकर के संकल्प करें कि आज मैं यदि आपके मन में कोई काम ना है उस कामना को बोल कर के कहे कि मैं आज निर्जला एकादशी का व्रत करूंगी इसके बाद जो भी कामना है उच्चारण कर करके और संकल्प करके भगवान नारायण के सामने समर्पण कर दे इसके बाद ओम नमो वासुदेवाय इस महामंत्र का जाप करना चाहिए
पूरे दिन भक्ति पूर्वाक भगवान का जब भगवान के भगवान की महिमा का गुणगान श्रवण और कीर्तन करना चाहिए इस दिन व्रत करने वाले को चाहिए कि वह जल से भरे कलर और सफेद वस्त्र को ठक्कर के ब्राह्मणों को चीनी और दक्षिणा रखकर के दान करें यदि ब्राह्मण नहीं मिलते हैं तो यह कलश और चीनी का जो दान है वह निकाल कर के अलग रख दें और उसके पश्चात दो ब्राह्मण मिले उनको दान कर दे हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है की निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी का शरीर स्वस्थ रहता है लंबी आयु मिलती है तथा समस्त पापों का नाश हो जाता है यह एकादशी व्रत यथाशक्ति अन्य जल वस्त्र आसन जूता छतरी पंखी आदि का दान करना चाहिए।
जल का दान भी इसमें विशेष माना गया है और इस व्रत के दिन भी आप दान पुणे कर सकते हैं। या आप अगले दिन द्वादशी के दिन सुबह सभी सामग्रियों का दान कर सकते हैं यानी दोनों ही दिन आप दान पुणे करेंगे तो आपको अक्षय तृतीया की पुण्य पुण्य की प्राप्ति होगी साथ ही आप पूरे वर्ष एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं और आप अन्य सदस्यों में अन्य खा लेते हैं या खा पी लेते हैं उससे दोष लगता है और उस दोष से मुक्ति के लिए केवल और केवल एक ही उपाय है
कि आप निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए साल भर की एकादशी में आपके द्वारा जाने अनजाने में कोई भी पाप हो गए हैं दोष हो गए हैं गलती हो गई है तो सभी एकादशी के प्रेषित के लिए आपको निर्जला एकादशी का निराहार व्रत करना चाहिए यह व्रत सभी पापों से नष्ट हो करके अविनाशी परम पद को प्राप्त करवाता है और धर्म ग्रंथों में लिखा है कि एकादशी कुछ कार्यवाही इन कार्य को गलती से भी नहीं करना चाहिए इन कार्यों को करने से एकादशी का व्रत निष्फल हो जाएगा एकादशी के दिन दिन भर भगवान का स्मरण करना चाहिए तथा दिन में सोना नहीं चाहिए और एकादशी की रात्रि में भी है शेयर नहीं करना चाहिए पूरी रात जागकर के भगवान श्री विष्णु का भजन कीर्तन करना चाहिए इससे भगवान विष्णु जी का का बनी रहेगी कृपा स्तनपान नहीं खाना चाहिए पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा व्रत भंग माना जाएगा एकादशी के दिन चावल का भी सेवन नहीं करना चाहिए यदि एकादशी का व्रत आपके घर में नहीं होता है तब भी आपको चावल का सेवन भी नहीं करना चाहिए और चावल घर में बनाना भी नहीं चाहिए चावल का सेवन करने वाला पाप का फल भागी होता है इसलिए आप ना तो घर में चावल बनने दे या चावल से बनने वाला कोई भी वस्तु घर में नहीं होना चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन शुभ चुगली नहीं करना चाहिए चुगली करने से आपकी मान सम्मान में कमी आ सकती है कई बार आपको अपमान का सामना करना पड़ेगा निर्जला एकादशी के दिन आप को क्रोध नहीं करना चाहिए गुस्सा नहीं करना चाहिए लड़ाई झगड़ा या किसी के साथ वाद-विवाद भी नहीं करना चाहिए निर्जला एकादशी के दिन आपके घरों में बड़ों का ज्ञान और संतों का भगवानों का ब्राह्मणों का अपमान नहीं करना चाहिए उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए निर्जला एकादशी का दिन विवाहित पति-पत्नी का और किसी भी स्त्री का सहवास नहीं करना चाहिए यानी प्रत्येक व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन निर्जला एकादशी के दिन करना चाहिए निर्जला एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए छल कपट का बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए तथा निर्जला एकादशी के दिन तुलसी पत्र बिल्कुल भी नहीं तोड़ना चाहिए इसी के साथ ही किसी भी पेड़ पौधों को नहीं काटना चाहिए और किसी भी अन्य जीवो को सताना नहीं चाहिए गौमाता को मारना नहीं चाहिए और किसी भी प्राणी कोई अजीब मात्र को कष्ट नहीं देना चाहिए क्योंकि धर्म ग्रंथों में लिखा है राम चरित मानस में भी तुलसी जी ने बताया है कि ईस्ट प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास होता है इसलिए एकादशी तिथि के दिन गलती से भी किसी प्राणी मात्र को राजीव को सताना नहीं चाहिए उन्हें कष्ट नहीं देना चाहिए निर्जला एकादशी के दिन किसी भी महिला का दिल नहीं दुखाना चाहिए दिल दुखाने से लक्ष्मी जी नाराज होती है।
निर्जला एकादशी के दिन किसी भी राज्य के अधिकारी को अपने घर में खाली हाथ नहीं लौट आना चाहिए यथाशक्ति कुछ ना कुछ आपको दान में देना ही चाहिए निर्जला एकादशी के दिन यदि अतिथि रूप में आपके घर में आते हैं तो आप अपनी हैसियत के अनुसार उनका सम्मान तथा सत्कार अवश्य करना चाहिए निर्जला एकादशी के दिन बिना स्नान किए आपको कोई भी काम नहीं करना चाहिए बिना स्नान किए बिना आप अशुद्ध अवस्था में आप कोई भी कर्म करेंगे तो सारे कर्म आपके नष्ट हो जाएंगे निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना अनिवार्य है प्रयास करना है कि सूर्योदय से पहले ही आप स्नान करके सूर्य भगवान को जल चढ़ा कर के अपने भगवान की पूजा अर्चना करके एकादशी का संकल्प कर ले निर्जला एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति को दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए तथा शरीर के किसी भी अंग का बाल भी नहीं काटना चाहिए शरीर के अंग के कोई भी 22 दिन नहीं कटवाना चाहिए या नहीं नहीं काटना चाहिए यदि आप बात कर रहे हैं या नहीं भी कर रहे हैं तो भी आपको यह नियम का पालन करना चाहिए निर्जला एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति को चाहे वह करता है या ना करता है मान मदिरा लहसुन प्याज या चावल का उपयोग बिलकुल भी नहीं करना चाहिए इससे कई प्रकार के पाप दोष आप को लगेंगे तथा तथा परमात्मा को कष्ट होगा प्रत्येक व्यक्ति को नाक मुक्त तथा सिर को ढक करके मौन रखकर के मल मूत्र का त्याग करना चाहिए यानी जब आप बाथरूम पर रहते हैं तो आपको बोलना नहीं चाहिए
निर्जला एकादशी के दिन दूसरों के कपड़े नहीं पहने चाहिए स्नान और आचार्य के बिना के बिना सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं अतः सभी कार्य स्नान कर कर शुद्ध होकर ही करने चाहिए पहले से पहने हुए वस्तु को बिना धोए पुनः नहीं पहनना चाहिए पहना हुआ वस्तु धोकर कर ही पहनना चाहिए यदि आपने पहले कोई वस्तु पहना हुआ है और आप स्नान करके उन्हीं वस्तु को वापस पहन लेंगे तो आप को स्नान का फल प्राप्त नहीं होगा इसलिए आप उनको पहनना चाहते हैं तो पहले दो अच्छे से धो लें उसके बाद ही उनको पहनना चाहिए अभी भी गीले कपड़े व्यक्ति को नहीं पहने चाहिए यानी व्यक्ति को हमेशा सूखे हुए कपड़े ही धारण करना चाहिए कभी भी आपको भीगे हुए शरीर को या भीगे हुए हाथों को वस्त्र सेव नहीं पहुंचना चाहिए यानी धुले हुए कपड़ों से या तौलिए से अपने शरीर को और हाथों को भी पूछना चाहिए साथ ही दूसरों के जो वस्त्र होते हैं जैसे तो लिए तैयारी होते हैं मनुष्य को नहीं करना चाहिए
निर्जला एकादशी के दिन दोनों के दोनों समय सुबह और शाम तुलसी जी का पूजन अनिवार्य रूप से करना चाहिए तुलसी जी तथा भगवान शालिग्राम का पूजन और भगवान श्री हरिराम का पूजन इस दिन आने वाले माना जाता है इसी के साथ एकादशी तिथि के दिन बिना स्नान किए व्यक्ति से स्पर्श करने से भी व्रत भंग माना जाता है इसलिए इस बात का भी आपको ध्यान रखना चाहिए निर्जला एकादशी के विषय में बताया है कि महाभारत काल के समय एक बार पांडु पुत्र भीम व्याधि व्यास जी से पूछा हे परम आदरणीय मुनिवर मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी का व्रत करते हैं मुझे भी बात करने के लिए कहते हैं लेकिन मैं भूख सहन नहीं कर पाता हूं अतः आप कृपया करके मुझे कुछ ऐसा उपाय बताइए कि बिना एकादशी किए ही सारे सालों का एकादशी के व्रत का फल प्राप्त कर सकूं भीम के अनुरोध पर बस्सी ने कहा की पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो इसे निर्जला एकादशी कहते हैं इस दिन अन्य जल भोजन सब कुछ त्याग करके आपको व्रत करना है याद यानी और तुम कुछ भी खाना पीना नहीं है हालांकि आपके जो मुंह में लाल बनती है उससे कोई दोष नहीं लगेगा क्योंकि वह शारीरिक क्रिया है स्वाभाविक है किंतु खाना-पीना बिल्कुल भी नहीं है तथा सूर्य उदय से लेकर के अगले दिन सूर्योदय तक इस व्रत का पालन करना है सच्ची श्रद्धा से निर्जला का पालन करना है और ऐसा करने से तुमको पूरे वर्ष की एकादशी जो भी होती है उसका संपूर्ण फल प्राप्त हो जाएगा।
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